सुरक्षा को ध्यान में रखकर बिहार सरकार ने बैराज की मरम्मत के लिए 15 करोड़ 80 लाख रुपए आवंटित किए हैं। अगर समय रहते इसकी मरम्मत सही ढंग से नहीं हुई तो इस बार के बरसाती मौसम में यह बैराज गंडक नदी की तेज तूफानी धारा का शिकार बन सकता है।
बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर जोड़ने वाली गंडक नदी पर बैराज हाई टेक बनते-बनते स्थानीय सुरक्षा पर सवालिया निशान बनता जा रहा है। गत वर्षों से बैराज के लगभग सभी फाटक जीर्ण-शीर्ण होने के कारण बरसात में सुरक्षा को लेकर खतरे का कारण बनते नजर आ रहे हैं। यहां के लोगों को यह शंका है कि कहीं कोसी नदी पर स्थित कुसहा बांध की कहानी फिर बिहार में दोहरायी न जाए। हालांकि सुरक्षा को ध्यान में रखकर बिहार सरकार ने इसकी मरम्मत के लिए 15 करोड़ 80 लाख रुपये का आवंटन दिया है। मरम्मत का कार्य नागार्जुन कम्पनी और कोलकाता की एक कम्पनी ने अपने जिम्मे ले रखा है। अगर समय रहते इसकी मरम्मती सही ढंग से नहीं हुई तो इस बार की बरसात में यह बैराज गंडक नदी की तेज तूफानी धारा का शिकार बन सकता है अगर ऐसा हुआ तो बिहार में गंडक नदी कोसी की तरह बर्बादी का कहर चम्पारण, छपरा, सीवान, गोपालगंज और उत्तर प्रदेश के पडरौना में बरपा सकती है।गौरतलब है कि बहुत अधिक प्रयास के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने नेपाल के महाराजा महेन्द्र वीर विक्रम शाहदेव से मैत्री सम्बन्ध स्थापित करके गंडक नदी पर बैराज का निर्माण सन् 1964 ईस्वी में कराया था। निर्माण कराने का बहुपक्षीय लाभ निर्धारित था। नेपाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में कृषि के क्षेत्र में क्रांति साबित हुई। दोनों देशों के सांस्कृतिक गतिविधि के साथ-साथ आर्थिक संबंध भी मजबूत हुए। नेपाल, उत्तर प्रदेश और बिहार की धरती को सींचने के लिए नहरों का जाल बिछाया गया। जहां आज भी तीनों राज्य लाभान्वित हो रहें हैं। इस बैराज के पानी से पश्चिमी नहर के बासठ आरडी पर सूर्यपूर की पन्द्रह मेगावाट बिजली उत्पादन करने वाली जल विद्युत परियोजना नेपाल में मौजूद है। उत्तर प्रदेश की तरफ हजारों हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होती है। इसके अलावा तिरहुत नहर, दोन नहर भी निकली है।
बिहार के मध्य तक लाखों हेक्टेयर भूमि की इससे सिंचाई होती है। पूर्वी नहर स्थित 6 आरडी के नजदीक रमपुरवा में 15 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना का संचालन होता है। इसके साथ ही कुछ दूरी पर चार प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं के प्रथम चरण का कार्य पूरा हो चुका है। बैराज के यांत्रिक रखरखाव का कार्य प्रमंडल बाल्मीकि नगर द्वारा किया जाता है। जानकारी के अनुसार यांत्रिक रखरखाव और नहरों की मरम्मत और सफाई के खर्च पर बिहार सरकार ने 12 करोड़ 80 लाख रुपया आवंटन दे रखा है। इसके अलावा बैराज के फाटक मरम्मत पर 3 करोड़ का आवंटन दे रखा है। यांत्रिक रखरखाव और नहरों की मरम्मत और साफ सफाई की जिम्मेदारी नागार्जुन कंपनी ने ले रखी है। वहीं फाटकों की मरम्मत की जिम्मेदारी कोलकाता की आर बी एन कंपनी ने ले रखी है।
स्थानीय लोगों का कहना कि 15 जून के बाद बरसात का मौसम शुरू हो जाएगा, फाटक की मरम्मती तभी बढ़िया ढंग से हो सकती है, जब मरम्मत किये जा रहे फाटक के पास पानी का स्राव बिल्कुल बन्द किया जाए। जबकि पानी के स्राव में फाटक मरम्मती का कार्य किया जा रहा है। इसमें भी स्थानीय अनुभवहीन लोगों से तकनीकी काम लिया जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि पैसे का बंदरबाट हो रहा है। लोगों का मानना है कि ठेके पर काम देने से बैराज की सुरक्षा खतरे में प़ड सकती है। आने वाले बरसात के मौसम में अगर बैराज टूटेगा तो बिहार के चम्पारण, गोपालगंज, सीवान, छपरा, उत्तर प्रदेश के पडरौना, कुशीनगर जिले तक गंडक नदी कहर बरपा सकती है। हालांकि विभाग के यांत्रिक अभियन्ता ए के शर्मा का कहना है कि काम सही ढंग से किया जा रहा है। विद्युतीय व यांत्रिक ऑटोमाइजेशन करके बिल्कुल हाईटेक किया जायेगा। बैराज पर किसी तरह का खतरा आने वाले 20 साल तक मौजूद नहीं रहेगा लेकिन जिस तरह से काम हो रहा उसे देखकर तो यही लगता है कि गंडक कहीं विनाशक रूप न धारण कर ले।
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