कैनबेरा 2001 में स्वीकार किया गया और डकार 2012 में संशोधित किया गया।
ग्लोबल ग्रीन्स हरियाली को लेकर काम करने वाले साझेदारों व राजनीतिक आन्दोलनों का अन्तरराष्ट्रीय नेटवर्क है।
प्रस्तावना
हम इस पृथ्वी के नागरिक व ग्लोबल ग्रीन्स के सदस्य,
हम पृथ्वी के जीवन, अनेकता व सुन्दरता पर निर्भर हैं और यह हमारा दायित्व है कि हम आने वाली पीढ़ी को यह उसी रूप में या उसे और सुधार कर सौंपें।
माना जा रहा है कि किसी भी सूरत में आर्थिक विकास पर आधारित माल उत्पादन व उपभोग के एकाधिकार का पैटर्न व पृथ्वी की सीमित क्षमता के बावजूद प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन व गैर जरूरी इस्तेमाल पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँचा रहा है और दूसरी प्रजातियों के खात्मे का कारण बन रहा है।
यह भी माना जा रहा है कि अन्याय, जातिवाद, गरीबी, अवहेलना, भ्रष्टाचार, अपराध, हिंसा, सशस्त्र लड़ाई व क्षण भर में बड़े लाभ की ललक मानव को कष्ट में डाल रही है।
हम स्वीकार करते हैं कि विकसित देशों ने आर्थिक व राजनीतिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये पर्यावरण के नुकसान व मानव की प्रतिष्ठा को गिराने में बड़ा किरदार निभाया है।
हम समझते हैं कि विश्व के कई लोग व देश शताब्दियों के उपनिवेश व शोषण से दरिद्र हो गए हैं और अमीर देशों ने अपना इकोलॉजिकल दायित्व इन दरिद्र देशों के मत्थे मढ़ दिया है।हम गरीब और अमीरों के बीच की खाई को पाटने व सबके लिये सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक मोर्चे पर समान अधिकार पर आधारित नागरिकता दिलाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
हम मानते हैं कि महिला व पुरुष में समानता लाये बगैर असली लोकतंत्र के लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सकता है।
हम मानवता की प्रतिष्ठा व सांस्कृतिक विरासत के मूल्य को बचाये रखने के लिये चिन्तित हैं।
हम मूल निवासियों के अधिकार व साझा विरासत में उनके योगदान और साथ ही दमित लोगों व सभी अल्पसंख्यकों की संस्कृति, धार्मिक, आर्थिक व सांस्कृतिक जीवन के अधिकार को समझते हैं।
हमें यकीन है कि पोषक भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा, श्रम, विचारों की अभिव्यक्ति, स्वच्छ हवा, शुद्ध पानी और साफ प्राकृतिक वातावरण जैसे मानवाधिकार को सुनिश्चित करने के लिये प्रतिस्पर्द्धा की जगह सहयोग की जरूरत है।
हम यह महसूस कर रहे हैं कि पर्यावरण देशों की सीमाओं की परवाह नहीं करता है और वर्ष 1992 में रिओ में ग्रीन्स के वैश्विक जुटान में घोषणा की गई थी। ऐसे में लोगों के नजरिए, उत्पादन के तरीके व जीवनशैली में बुनियादी बदलाव पर जोर दिया जाय।नए मिलेनियम को बदलाव शुरू करने का निर्धारक बिन्दु घोषित किया जाय।स्थायित्व की विस्तृत अवधारणा को प्रचारित करने के लिये निम्नलिखित संकल्प लिया जाय।
1. बायो डायवर्सिटी व प्राकृतिक प्रक्रिया पर विशेष ध्यान देते हुए पृथ्वी के इकोसिस्टम की अखण्डता को पुनःस्थापित कर उन्हें सुरक्षित किया जाय।
2. इकोलॉजिकल, सामाजिक व आर्थिक प्रक्रिया के आपसी सम्बन्ध को समझा जाय।
3. व्यक्तिगत फायदा व साझा अच्छाई के बीच सन्तुलन रखा जाये।
4. स्वाधीनता व दायित्व में मधुर सम्बन्ध रखा जाये।
5. एकता में विविधता का स्वागत हो।
6. अल्पावधि उद्देश्यों व दीर्घावधि लक्ष्यों के बीच सामंजस्य हो।
7. प्राकृतिक व सांस्कृतिक फायदों पर आने वाली पीढ़ी का भी अधिकार उतना ही हो जितना वर्तमान पीढ़ी को है।
हम एक दूसरे के लिये, जीवन के बड़े समुदाय व आने वाली पीढ़ी के प्रति अपने दायित्व की दोबारा तस्दीक करते हैं।
ग्रीन पार्टी व राजनीतिक आन्दोलनों के रूप में अन्तर्सम्बन्धित सिद्धान्तों को लागू करने व इसकी पूर्ति के लिये वैश्विक साझेदारी करने की प्रतिज्ञा लेते हैं।
सिद्धान्त
ग्लोबल ग्रीन्स की नीतियाँ निम्नलिखित सिद्धान्तों के आधार पर बनाई गई हैं।
पर्यावरणीय अक्लमन्दी
हम मानते हैं कि मानव प्राकृतिक दुनिया का हिस्सा है और हम हर जीव व गैर मानव प्रजातियों के महत्त्व का सम्मान करते हैं।
हम इस दुनिया के मूल निवासियों की बुद्धिमानी का भूमि व संसाधनों के रक्षक के बतौर सम्मान करते हैं।हम यह भी मानते हैं कि मानव सभ्यता इस ग्रह के पर्यावरणीय संसाधनों पर निर्भर हैं और हमें जैवविविधता, इकोसिस्टम का संरक्षण व जीवन रक्षक व्यवस्थाओं की लोचता को सुनिश्चित करना चाहिए।
इसके लिये निम्नलिखित काम करने की जरूरत है।
1. हम धरती पर उपलब्ध पारिस्थितिक व संसाधनों के दायरे में रहना सीखें।
2. हम पशु और पेड़-पौधों की रक्षा करें जो प्राकृतिक तत्व मसलन धरती, पानी हवा व सूरज पर आश्रित हैं।
3. अगर हमारे पास पर्याप्त जानकारी नहीं है, तो धरती पर मौजूद अकूत संसाधनों को वर्तमान व आने वाली पीढ़ी के लिये सुरक्षित रखने के लिये हमें सचेत होना चाहिए।
सामाजिक न्याय
हम जोर देकर कहते हैं कि स्थानीय व वैश्विक स्तर पर सामाजिक व प्राकृतिक संसाधनों का एक समान वितरण मानव की बुनियादी जरूरतों को निशर्त पूरा करने और सामाजिक न्याय की कुंजी है। साथ ही सभी नागरिकों के व्यक्ति व सामाजिक विकास सुनिश्चित करने के लिये भी यह जरूरी है।
हम घोषणा करते हैं कि पर्यावरणीय न्याय के बिना सामाजिक न्याय व सामाजिक न्याय के बिना पर्यावरणीय न्याय नहीं हो सकता है।
इसके लिये निम्नलिखित कार्य करने की जरूरत है।
1. वैश्विक स्तर पर एक संगठन और स्थानीय वैश्विक अर्थव्यवस्था की जरूरत है जो अमीर व गरीब के बीच की खाई को कम करेगा; उत्तर से दक्षिण तक संसाधनों का सन्तुलित वितरण करेगा और विकास को प्रभावित करने वाले गरीब देशों के कर्ज का बोझ उतारेगा।
2. गरीब का उन्मूलन यह सोचकर करना होगा कि यह नैतिक, सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय रूप से अनिवार्य है।
3. अशिक्षा का उन्मूलन।
4. लैंगिक, आयु, धर्म, जाति, उत्पत्ति, विकलांगता, धन या स्वास्थ्य से परे होकर सभी लोगों के लिये समान अधिकार पर आधारित नागरिकता तैयार करनी होगी।
सहभागी जनतंत्र
हम ऐसे जनतंत्र के लिये प्रयत्न करते हैं जिसमें सभी नागरिकों को अपने विचार रखने का अधिकार हो और जीवन को प्रभावित करने वाले पर्यावरण, अर्थव्यवस्था व राजनीतिक से जुड़े निर्णयों में वे सीधे तौर पर भाग ले सकें। इससे अधिकार व दायित्व स्थानीय समुदाय को मिलेगा और सरकार के ऊँचे स्तर पर यह तभी जाएगा जब जरूरत पड़ेगी।
इसके लिये निम्नलिखित कदम उठाने की जरूरत है।
1. कोई भी निर्णय लेने के लिये जरूरी सूचनाओं तक पहुँच सुनिश्चित कर व्यक्ति को सशक्त करने की जरूरत है। साथ ही इसमें भाग लेने के लिये उन तक शिक्षा भी पहुँचानी होगी।
2. भागीदारी में बाधक सम्पत्ति व अधिकार की असमानता को खत्म करने की जरूरत है।
3. ऐसे बुनियादी संस्थान खोलने की जरूरत है, जो प्रभावितों को सही स्तर पर सीधे निर्णय लेने में सक्षम बनाए। यह सामुदायिक दायित्व, ऐच्छिक कार्य व नगरीय क्षमता के प्रोत्साहन पर आधारित हो।
4. राजनीतिक जीवन के हर पहलू में युवाओं को शामिल करने में सहयोग व प्रोत्साहन तथा युवा वर्ग को आवाज देने के लिये उन्हें शिक्षित करने में सहयोग देने की जरूरत है। साथ ही निर्णय लेने वाली इकाइयों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने में भी सहयोग करना चाहिए।
5. चुनाव में जीतने वाले सभी जनप्रतिनिधि शासन में पारदर्शिता, सच्चाई व जवाबदेही के सिद्धान्त को लेकर समर्पित हों।
6. सभी निर्वाचन व्यवस्था पारदर्शी व जनतांत्रिक व कानून के तहत हों।
7. हर वयस्क व्यक्ति का वोट एक समान हो।
8. निर्वाचन व्यवस्था समानुपातिक प्रतिनिधित्व पर आधारित हो और सभी चुनावों की फंडिंग सरकार द्वारा की जाये। फंडिंग की सीमा तय हो। कॉरपोरेट व निजी चन्दे में पारदर्शिता बरती जाय।
9. बहु पार्टी व्यवस्था में सभी नागरिकों को अपनी पसन्द के अनुसार किसी भी पार्टी में शामिल होने का अधिकार हो।
अहिंसा
हम वैश्विक सुरक्षा के लिये अहिंसा व दो देशों, समाजों और व्यक्तियों के बीच सांस्कृतिक शान्ति व सहयोग को बनाए रखने के लिये अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा करते हैं।
हमें लगता है कि सुरक्षा केवल सैन्य मजबूती तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि सहयोग, स्वस्थ आर्थिक व सामाजिक विकास, पर्यावरण सुरक्षा व मानवाधिकार का सम्मान भी सुरक्षा के दायरे में आना चाहिए।
इसके तहत निम्नलिखित कार्य करने की जरूरत है-
1. वैश्विक सुरक्षा की विस्तृत अवधारणा तैयार करने की जरूरत है। यह टकराव की स्थिति में सैन्य सन्तुलन की अवधारणा की जगह इसके सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय, मनोवैज्ञानिक व सांस्कृतिक पहलुओं को प्राथमिक दे।
2. एक वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था बने जो टकराव को रोकने, उसके प्रबन्धन और उसके समाधान में समर्थ हो।
3. एक दूसरे की संस्कृति की समझ विकसित कर व उन्हें सम्मान देकर, रंगभेद को निर्मूल कर, स्वाधीनता व जनतंत्र को प्रोत्साहित कर और वैश्विक दरिद्रता दूर कर युद्ध के कारणों को खत्म करना चाहिए।
4. पूरी तरह निरस्त्रीकरण के साथ ही परमाणु, बायोलॉजिकल व रासायनिक हथियार, एंटी पर्सनल माइंस व यूरेनियम हथियार पर पूरी तरह प्रतिबन्ध सुनिश्चित करने के लिये अन्तरराष्ट्रीय समझौता करने की जरूरत है।
5. युद्ध प्रबन्धन व शान्ति बहाली के लिये संयुक्त राष्ट्र को वैश्विक संगठन मानते हुए इसे मजबूत करना चाहिए।
6. जिन देशों में मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है, वहाँ हथियारों के निर्यात के लिये कठोर कानून बनाने के लिये काम करने की आवश्यकता है।
निरन्तरता
हम यह मानते हैं कि मानव समाज के भौतिक विस्तार का स्कोप सीमित है अतः जैवविविधता को बरकरार रखने के लिये नवीकरणीय संसाधनों के इस्तेमाल में निरन्तरता रखने व गैर नवीकरणीय संसाधनों का दायित्व के साथ इस्तेमाल करने की जरूरत है।
हम मानते हैं कि पृथ्वी पर मौजूद सीमित संसाधनों के बीच स्थायित्व के लक्ष्य को पाने और वर्तमान व आने वाली पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करने के लिये वैश्विक उपभोग में बढ़ोत्तरी, जनसंख्या व भौतिक बँटवारे में असमानता को रोकना होगा व पीछे की तरफ लौटना होगा।
हम यह भी मानते हैं कि जब तक गरीबी हैं तब तक स्थायित्व की बात बेमानी है।
इसके लिये निम्नलिखित कदम उठाने की जरूरत है।
1. पृथ्वी पर मौजूदा संसाधनों का उचित हिस्सा गरीबों को मिले इसके लिये यह सुनिश्चित किया जाये कि अमीर अपने उपभोग की मात्रा को सीमित करें।
2. उपभोग की क्षमता बढ़ाने की जगह बेहतर जीवन पर ध्यान देते हुए धन की अवधारणा को पुनर्परिभाषित किया जाये।
3. ऐसी वैश्विक अर्थव्यवस्था तैयार की जाये जिसका लक्ष्य कुछ लोगों के स्वार्थ की पूर्ति की जगह सभी को सन्तुष्ट करने पर आधारित हो। साथ ही वह मौजूदा पीढ़ी को इतना समर्थ बना दे कि वह आने वाली पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता को नुकसान पहुँचाए बिना अपनी जरूरतें पूरी कर सके।
4. स्थायी विकास के सिद्धान्तों के सहयोग के लिये बहुराष्ट्रीय कॉरपोरेट्स की भूमिका व उनके दायित्वों को पुनर्परिभाषित करने की जरूरत है।
5. सम्भावित फाइनेंशियल फ्लो, विनियमन व टैक्स के लिये तंत्र लागू किया जाय।
6. यह भी सुनिश्चित किया जाये कि वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य में उक्त सामान या सेवाओं के निर्माण व उपभोग से पर्यावरण को होने वाले नुकसान का खर्च भी शामिल हो।
7. पर्यावरण को कम-से-कम नुकसान पहुँचाने वाली तकनीक का विकास व इस्तेमाल और संसाधन व ऊर्जा का निपुणता से इस्तेमाल किया जाये, यह सुनिश्चित करना चाहिए।
8. व्यावहारिक तौर पर जितना हो सके स्थानीय स्तर पर स्वनिर्भर बनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि एक लाभप्रद व सन्तोषी समुदाय का निर्माण किया जा सके।
9. यूथ कल्चर की भूमिका को स्वीकार करते हुए उक्त कल्चर के दायरे में स्थायित्व की नीति को बढ़ावा देने की जरूरत है।
विविधता का सम्मान
हम सभी के प्रति व्यक्ति दायित्व के सन्दर्भ में सांस्कृतिक, भाषाई, प्रजाति, लैंगिक व धार्मिक विविधता का सम्मान करते हैं।
हम बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों के अधिकार का बचाव करते हैं।
हम बहु-संस्कृति समाज के सभी वर्गों के बीच सम्मानजनक, सकारात्मक व दायित्वशील सम्बन्ध बनाने को प्रोत्साहित करते हैं।
इसके लिये निम्नलिखित कदम उठाने की जरूरत है-
1. मूल निवासियों की बुनियादी जरूरतों जैसे अस्तित्व, आर्थिक व सांस्कृतिक, भूमि व निर्णय लेने के अधिकारों को मान्यता देने की जरूरत है। साथ ही राष्ट्रीय व वैश्विक संस्कृति की साझा विरासत में उनके योगदान को भी स्वीकार किया जाना चाहिए।
2. अल्पसंख्यक मूल निवासियों को अपनी संस्कृति, अपना धर्म व भाषा को बिना किसी भेदभाव के विकसित करने के अधिकार को मान्यता दी जानी चाहिए। उन्हें जनतांत्रिक प्रक्रिया में वैधानिक, सामाजिक व सांस्कृतिक भागीदारी का अधिकार भी सुनिश्चित करना चाहिए।
3. लैंगिक अल्पसंख्यक को मान्यता व सम्मान देने की जरूरत है।
4. सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक जीवन में महिला व पुरुषों को बराबरी का हक मिलना चाहिए।
5. ग्रीन विजन में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये यूथ कल्चर को शामिल करने की जरूरत है और यह भी समझने की जरूरत है कि युवाओं की अलग जरूरतें हैं व उनकी अभिव्यक्ति का माध्यम भी अलग है।
राजनीतिक कार्रवाई
I. लोकतंत्र
I.0 विश्व का एक बड़ा तबका ऐसे देशों में रह रहा है जहाँ अलोकतांत्रिक सत्ता है और जहाँ भ्रष्टाचार, मानवाधिकार का उल्लंघन और प्रेस पर पाबन्दी आम है। विकसित लोकतंत्र में मीडिया नजरदारी, कॉरपोरेट द्वारा राजनीतिक फंडिंग के कारण कम भ्रष्टाचार होता है व इसमें जातीय, नस्ली, राष्ट्रीय और धार्मिक समुदायों के व्यवस्थित बहिष्कार व वैकल्पिक विचारों व नई तथा छोटी पार्टियों के साथ भेदभाव कम होता है।
ग्रीन्स-
I.1 जनतांत्रिक, पारदर्शी व जवाबदेह सरकार के लिये काम करने वाले जमीनी आन्दोलनों व सिविल सोसाइटी से जुड़े संगठनों को प्रोत्साहन व समर्थन देने को प्राथमिकता देता है।
I.2 युवाओं को शिक्षित, प्रोत्साहित व सहयोग देकर राजनीति के हर पहलू में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने में सहयोग करता है।
I.3 आर्थिक, राजनीतिक व सामाजिक स्तर पर महिला व पुरुष समान रूप से हिस्सा ले सकें, इसके लिये मध्यस्थता को बढ़ावा देगा ताकि लैंगिग तौर पर लोकतंत्र को बढ़ावा मिल सके।
I.4 आर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) कनवेंशन ऑन कॉम्बेटिंग ब्राइबरी ऑफ फॉरेन पब्लिक ऑफिशियल इन इंटरनेशनल बिजनेस का समर्थन करता है और गैर राजनीतिक पार्टियों से अपील करता है कि इस पर हस्ताक्षर कर बिना किसी देरी के इसे लागू करे।
I.5 आधिकारिक सूचना व स्वतंत्र माध्यमों तक आम लोगों की पहुँच के अधिकार को सुरक्षित रखता है।
I.6 रेडियो, सामुदायिक इंटरनेट व इमेल के जरिए इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन व सूचना तकनीक तक वैश्विक पहुँच के लिये काम करेगा। हम इन तकनीकों तक किफायती कीमत पर पहुँच सुनिश्चित करने के लिये भी काम करेंगे।
I.7 धर्म निरपेक्ष विधि व्यवस्था को लागू करेंगे जो अपराध और सजा में बराबरी सुनिश्चित करता हो।
I.8 सरकारी खर्च से चुनाव, चुनाव के लिये मिलने वाले चन्दे में पारदर्शिता व जवाबदेही तथा चुनाव के किसी भी तरह के प्रभाव से मुक्त रखने का समर्थन करता है।
I.9 हम सरकार में कॉरपोरेट के दबदबे और खासकर राजनीति में हिस्सेदारी से आम नागरिकों को वंचित रखने को चुनौती देंगे।
I.10 कार्यपालिका, विधायिका व न्यायपालिका में अधिकारों के बँटवारे का समर्थन करते हैं।
I.11 स्थानीय सरकार को मजबूत व विकसित करने का समर्थन करते हैं।
I.12 जनतांत्रिक व्यवस्था बनाने के लिये स्टेट इंस्टीट्यूशंस को पुनर्गठित करने का समर्थन करते हैं ताकि आमलोगों के अधिकार व स्थायी विकास के लक्ष्य को पाने में ये इंस्टीट्यूशंस पारदर्शी व सक्षम हों।
I.13 गैर निर्वाचित कॉरपोरेट्स के हित की जगह एक व्यक्ति, एक वोट, एक वैल्यू के जनतांत्रिक सिद्धान्तों पर आधारित वैश्विक शासन का समर्थन करते हैं।
2. हिस्सेदारी
2.0 आज विश्व भर में जीवनस्तर व अवसर में असमानता नाकाबिले बर्दाश्त है। तीसरी दुनिया पर सबसे अधिक 7.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर कर्ज का बोझ है। ऑर्गनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओआईसीडी) देश जीएनपी का महज 0.31 प्रतिशत हिस्सा ही देते हैं। सबसे अमीर 20 प्रतिशत आबादी के पास वैश्विक आय का 83 प्रतिशत हिस्सा जाता है जबकि 20 प्रतिशत गरीब जिसमें 50 प्रतिशत आबादी युवाओं की है, के पास महज 1 प्रतिशत आय जाती है। वहीं, 2.6 बिलियन लोग 2 डॉलर की दिहाड़ी आय पर जिन्दगी गुजार रहे हैं। विश्व के 60 प्रतिशत गरीब महिलाएँ हैं। 130 मिलियन बच्चे कभी स्कूल नहीं गए जबकि 800 मिलियन वयस्क न तो पढ़ पाते हैं और न लिख पाते हैं। महिलाओं की आबादी में बढ़ोत्तरी रुक गई जबकि सन 2050 तक विश्व की आबादी के 8.9 बिलियन होने का अनुमान है यानी आबादी में 47 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी। एचआईवी व टीबी का संक्रमण बड़ा खतरा बना हुआ है।
ग्रीन्स
2.1 विकासशील देशों में सरकारी सहायता बढ़ाने और स्थानीय समुदायों के साथ काम कर चिन्हित गरीबों को आर्थिक मदद देने के लिये काम करेगा।
2.2 महिलाओं के अधिकारों, उनके ओहदे, शिक्षा व राजनीति में उनकी भागीदारी को बढ़ाने के लिये काम करेंगे।
2.3 आर्थिक मदद बढ़ाकर व कर्ज में रियायत देकर 2015 तक वैश्विक उच्च गुणवत्ता की प्राथमिक शिक्षा देने के लक्ष्य को हासिल करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
2.4 विकासशील देशों खासकर गरीब देशों के कर्ज की माफी व इंसेंटिव को बढ़ावा देने के लिये काम करेंगे ताकि माफ किये गए कर्ज का इस्तेमाल गरीबी कम करने व पर्यावरण संरक्षण में किया जा सके। इसमें पारदर्शिता व जवाबदेही हो एवं प्रभावी समुदाय की भागीदारी हो इसके लिये भी कम करेंगे।
2.5 एचआईवी एड्स, टीबी मलेरिया समेत अन्य महामारी की रोकथाम के लिये सम्मिलित कार्रवाई पर जोर देंगे। खासकर अफ्रीका में सस्ती व प्रभावी थेरेपी तक लोगों की पहुँच बनाने व आर्थिक विकास के लिये दोहरा प्रयास करने की जरूरत है। यह शिक्षा के जरिए किया जा सकता है।
2.6 हम मानते हैं कि पर्यावरणीय नुकसान व मानवीय कारणों मसलन उपनिवेश व विस्थापन की वजह से प्राकृतिक संसाधनों से दूर होने वाले लोगों को क्षतिपूरण का अधिकार मिलना चाहिए।
2.7 पर्यावरण का नुकसान रोकने व मूल समुदायों तक बुनियादी जीविका की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये सम्पत्ति पर मालिकाना अधिकार व संसाधानों के इस्तेमाल के बीच के सम्बन्धों का मूल्यांकन करेंगे।
2.8 यह सुनिश्चित करने के लिये काम करेंगे कि महिला, पुरुष व बच्चे आर्थिक सुरक्षा के दायरे में आएँ। इसमें यह भी ध्यान रखेंगे कि यह प्रोर्नोग्राफी, वैश्यावृति या शरीर के अंगों की बिक्री की शर्त पर न हो।
2.9 विकासशील देशों में गरीबों व हाशिए के लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कल्याणकारी फंडों के बराबर आवंटन व समाज में सभी को बराबरी का अवसर देने के लिये काम करेंगे।
2.10 हम यह समझते हैं कि नव-उदार पूँजीवाद अमीरों की मदद करता है और यह खतरनाक है। यह असमानता को बढ़ावा देता है और गरीब लोगों को अधिकारों से वंचित करता है।
2.11 हम सभी अश्वेत लोगों को मानवाधिकार, सामाजिक व पर्यावरणीय अधिकारों को बचाएँगे।
3. जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा
3.0 जलवायु संकट वैश्विक समुदाय के लिये एक बड़ी चुनौती और साथ ही एक बड़ा अवसर भी है। यह संकट देखते हुए हम सोचें कि कैसे जीना है कि जो सामाजिक तौर पर सही व पृथ्वी की पारिस्थितिक सीमा के भीतर हो। वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस (प्री इंडस्ट्रियल लेवल) के ऊपर न जाये, इसके लिये ग्रीन्स प्रतिबद्ध है। तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस के ऊपर न बढ़े, इसके लिये वैश्विक स्तर पर कार्बन के उत्सर्जन में कमी में 2020 तक तेजी लानी होगी।
ग्रीन्स
3.1 जितनी जल्दी हो सके वायुमण्डल में कार्बन के स्तर को 450 पीपीएम तक लाने का लक्ष्य रखेंगे।
3.2 जीरो कार्बन उत्सर्जन अर्थव्यवस्था में तेजी से संक्रमण करने में सहयोग करेंगे।
3.3 ग्लोबल कार्बन टैक्स व ग्लोबल एनवायरमेंट लोड से जुड़े वैश्विक संगठनों के लिये अन्तरराष्ट्रीय उत्सर्जन रिपोर्टिंग ढाँचा स्थापित करने के लिये काम करेंगे।
3.4 हम यह सुनिश्चित करने के लिये कड़ी मेहनतत करेंगे कि विकासशील देशों की पहुँच समर्थ, स्थायी व सही तकनीकी तक हो। इसमें रिन्युएबल एनर्जी पर खास फोकस होगा व वे देश क्लाइमेट चेंज कनवेंशन का समर्थन करेंगे ताकि इसको लेकर की गई कार्रवाई विस्तृत वैश्विक हो। साझेदारी का सिद्धान्त जलवायु परिवर्तन समझौते व उपायों की बुनियाद पर हो, इसके लिये भी काम करेंगे।
3.5 किसी भी तरह के न्यूक्लियर पावर के विस्तार का विरोध करेंगे व जो है, उन्हें बन्द करने के लिये काम करेंगे।
3.6 नए जीवाश्म ईंधन तलाशने व इसके विकास पर प्रतिबन्ध लगाने के लिये उठने वाली माँगों का समर्थन करेंगे।
3.7 वन कॉर्बन रिच इकोसिस्टम है और यह निवासियों के लिये बहुत जरूरी है, इसलिये हम 2020 तक प्राकृतिक वनों की कटाई व इसके क्षय को रोकने के लिये काम करेंगे।
3.8 कार्बन के असर को कम करने व पर्यावरण के अन्य फायदों के लिये अल्पावधि उपायों के तहत अलग-अलग प्रजातियों के पौधे रोपने के लिये हम प्रोत्साहित करेंगे।
3.9 गैर नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल पर टैक्स लगाने और टैक्स से इकट्ठा होने वाले फंड का इस्तेमाल नवीकरणीय ऊर्जा व कम ऊर्जा इस्तेमाल करने के उपायों पर खर्च करने को प्रोत्साहित करेंगे।
3.10 स्थायी ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल व पर्यावरणीय ऊर्जा उत्पादन के तकनीकी विकास पर रिसर्च का समर्थन करते हैं।
3.11 बिना किसी खर्च या कम-से-कम खर्च पर विभिन्न देशों के बीच कम ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाली तकनीकी व ग्रीन पावर इनफ्रास्ट्रक्चर के आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं।
4. जैवविविधता
4.0 स्वस्थ इकोसिस्टम जीवन के लिये बेहद जरूरी है, लेकिन ऐसा लगता है कि हम प्रकृति व समाज के बीच के सम्बन्ध को भूल गए हैं। मानव सभ्यता से पहले की तुलना में प्रकृति का नुकसान 100 से 1000 प्रतिशत बढ़ गया है। पृथ्वी का महज 20 प्रतिशत वन ही फिलहाल सुरक्षित है। 80 प्रतिशत मछली का स्टॉक जल्द ही खत्म होने के कगार पर है। औद्योगिक व कृषि विकास के कारण ठौर-ठिकानों का विध्वंस व प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में है। औद्योगिक व कृषि विकास बिगड़े हुए जलवायु परिवर्तन, वैश्विक असमानता व देशी संस्कृति व जीविका को और बिगाड़ रहा है। एग्रीबिजनेस व संकर बीजों के प्रोत्साहन से एक फसली खेती फसलों की विविधता व वन्य जीवों को नुकसान पहुँचा रहा है और इससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है।
ग्रीन्स-
4.1 हम पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले कृषि व औद्योगिक विकास का विरोध करेंगे व जहाँ भी सम्भव हो हम पौधों व पशुओं को उनके मूल ठिकानों में रखने की कोशिश करेंगे।
4.2 पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली गतिविधियों मसलन लॉगिंग, जीवाश्म ईंधन का दोहन, बाँध निर्माण, खनन, जेनेटिक इंजीनियरिंग व एकफसली खेती से सब्सिडी को हटाने के लिये काम करेंगे।
4.3 लकड़ी व अन्य उत्पादों के लिये हम इकोलॉजिकल परचेजिंग पॉलिसी को बढ़ावा देने के लिये काम करेंगे लेकिन यह स्थायित्व की कठोर परिभाषा पर आधारित होना चाहिए।
4.4 प्रकृति के कर्ज की अदला-बदली के विचार का समर्थन करते हैं और यह प्रभावित मूल समुदाय व स्थानीय समुदाय के समझौते पर आधारित हो।
4.5 विश्व के पूर्व व मौजूदा मिलिटरी व औद्योगिक जोन के जहरीले साइट्स व प्राकृतिक पर्यावरण को हुए नुकसान की मरम्मत करने को प्रोत्साहित करेंगे।
4.6 हम मानते हैं कि उत्पादित वस्तुओं को वाहनों द्वारा पहुँचाने के चलन को कम कर यथासम्भव स्थानीय स्तर पर उत्पादन को बढ़ावा देने से पर्यावरण का नुकसान कम होगा। इससे जीवाश्म ईंधन की खपत व ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन भी कम होगा।
4.7 हर स्तर की पढ़ाई में ग्लोबल इकोलॉजी विषय को शामिल करने को बढ़ावा देंगे।
4.8 पर्यावरण और जैवविविधता के नुकसान को लेकर अन्तरराष्ट्रीय कोर्ट की स्थापना के लिये काम करेंगे। इस कोर्ट में पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले संगठन, सरकार व व्यक्तियों के केसों की सुनवाई की जा सकती है।
4.9 हम जीवन के पेटेंट व जीवन के व्यापार का विरोध करेंगे।
5. स्थायीत्व के सिद्धान्तों द्वारा आर्थिक वैश्वीकरण का संचालन
5.0 आज दुनिया में 100 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से 53 अर्थव्यवस्था कॉरपोरेट्स के हैं। इन्होंने सरकारों की मिलीभगत से एक कानूनी प्रणाली बनाई है। इसके तहत कॉरपोरेट्स जनता की भलाई पर ध्यान न देकर आर्थिक गतिविधि को बरकरार रखते हैं। यह कानून प्रणाली कॉरपोरेट के हितों की रक्षा करती है, लेकिन समाज कल्याण पर हमले करती है और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को एक वैश्विक वित्तीय जुए के अधीन करता है जिसमें प्रतिदिन 3 खरब डॉलर का अनुमानित लेनदेन होता है। वैश्विक आर्थिक मंदी ने सभी अर्थव्यवस्था में असुरक्षा बढ़ाई है और इसका सबसे अधिक असर गरीब लोगों, समुदायों और देशों पर पड़ रहा है। इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड और विश्व बैंक ने इस समस्या के समाधान में अपनी भूमिका निभाने की जगह समस्या को और बढ़ाया ही है। ये संगठन जिन शर्तों पर आधारित हैं, वे एक वैश्विक, टिकाऊ और सिर्फ आर्थिक व्यवस्था तैयार करने के लिये उपयुक्त नहीं हैं।
ग्रीन्स-
5.1 हम मानते हैं कि पानी जैसी जिन्दगी के लिये जरूरी तत्व पर सार्वजनिक स्वामित्व और नियंत्रित होना चाहिए; और संस्कृति, भोजन तक पहुँच, सामाजिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा और मुफ्त मीडिया उत्पाद नहीं है कि ये अन्तरराष्ट्रीय बाजार समझौतों पर आधारित हों।
5.2 संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और वैश्विक पर्यावरण सुविधा (जीईएफ) को मिलाकर विश्व पर्यावरण संगठन बनाने का हम समर्थन करते हैं। इस संगठन को धन और शक्ति दी जाएगी ताकि वैश्विक स्तर पर वैश्विक टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिये वह प्रतिबन्ध लगाए। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) इस संगठन के निर्णयों पर निर्भर होना चाहिए।
5.3 विश्व बैंक और आईएमएफ के गम्भीर सुधारों का समर्थन करता है ताकि उनकी सदस्यता और निर्णय लोकतांत्रिक हो सकें और उनके कार्य स्थिरता के सिद्धान्तों व अन्तरराष्ट्रीय कनवेंशनों में मानव व श्रम अधिकारों व पर्यावरण संरक्षण पर आधारित हो।
5.4 स्थिरता केन्द्रीय लक्ष्य बनाने के लिये विश्व व्यापार संगठन में स्थायी सुधार का समर्थन करते हैं। पारदर्शी व जनतांत्रिक प्रक्रिया का समर्थन करते हुए इसमें प्रभावित समुदाय के प्रतिनिधियों की भागीदारी का समर्थन करते हैं। इसके अलावा विवादों के निबटारे के लिये तंत्र को विश्व व्यापार संगठन से निकाल उसे पृथक शक्तियाँ देनी चाहिए। किसी भी नए कदम उठाए जाने से पहले स्थिरता के प्रभाव के आकलन के लिये नेगोसिएशन राउंड्स की जरूरत है।
5.5 विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत नए क्षेत्रीय या गोलार्ध व्यापार और निवेश समझौतों के क्रियान्वयन को रोकने के लिये काम करेगा। लेकिन, समर्थन देने वाले देशों की एकीकृत प्रक्रिया का समर्थन करेगा, जो लोगों के कल्याण और पर्यावरणीय स्थिरता का आश्वासन देती है।
5.6 हम एक वैश्विक वातावरण बनाएँगे, जहाँ वित्तीय और आर्थिक संस्थान और संगठन पर्यावरण की सुरक्षा पर आधारित स्थायी परियोजनाओं का पोषण और रक्षा करेंगे जो समुदायों को सभी स्तरों (स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय) स्थायित्व देगा।
5.7 हम माँग करते हैं कि पर्यावरण, श्रम की स्थिति और स्वास्थ्य पर अन्तरराष्ट्रीय समझौतों को व्यापार को लेकर बने अन्तरराष्ट्रीय नियमों से ऊपर रखा जाय।
5.8 अनुमान पर आधारित अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा लेन-देन को रोकने के लिये टोबिन-हेंडरसन या फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन टैक्स और अन्य व्यवस्था को लागू करने के लिये काम करेगा और वास्तविक अर्थव्यवस्था में निवेश को प्रोत्साहित करने और वैश्विक विकास में इक्विटी को बढ़ावा देने के लिये फंड तैयार करने में मदद करेगा।
5.9 हम इसके लिये भी काम करेंगे कि कॉरपोरेट अपने देश और जिस देश में कारोबार संचालित कर रहे हैं, उनमें से जिस भी देश के पर्यावरण, श्रम और सामाजिक कानूनों में कठोरता हो उसका पालन करें।
5.10 यह सुनिश्चित करने के लिये काम करेगा कि सभी वैश्विक संगठन और विशेष रूप से वह संगठन जो अन्तरराष्ट्रीय कारोबार के नियमों को परिभाषित करने में सक्षम हों, वे स्थायी विकास के सिद्धान्तों का दृढ़तापूर्वक पालन करते हुए और इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये सांस्कृतिक बदलाव का प्रशिक्षण कार्यक्रम करें।
5.11 हम चाहते हैं कि कॉरपोरेट कल्याण को पारदर्शी बनाया जाये और सामाजिक कल्याण के रूप में उसकी जवाबदेही उसी स्तर की हो। साथ ही पर्यावरण और सामाजिक रूप से विनाशकारी गतिविधियों के लिये सब्सिडी पूरी तरह समाप्त की जाये।
5.12 आर्थिक वैश्वीकरण के चलते सामाज से हो रहे बहिष्कार से निबटने के लिये समुदाय आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये नागरिक उद्यमशीलता के विकास का समर्थन करता है।
6 मानवाधिकार
6.0 राजनीतिक शक्ति नहीं मिलने व गरीबी के कारण मानवाधिकार व आजादी नहीं मिलती है। लाखों लोग भेदभाव, धमकी, गैर कानूनी तरीके से बंधक, हिंसा व मौत की बलि चढ़ रहे हैं। पिछले तीन सालों में विश्व की तीन तिहाई सरकारों ने यातनाओं का सहारा लिया है।
ग्रीन्स
6.1 मानवाधिकार, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकारों के अन्तरराष्ट्रीय कनवेंट, सिविल व राजनीतिक अधिकारियों के अन्तरराष्ट्रीय कनवेंट, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ) कनवेंशन व अधिक तथा आजादी की रक्षा करने वाले अन्य संगठनों की अन्तरराष्ट्रीय घोषणाओं का समर्थन करते हैं।
6.2 तानाशाही व उन शासनों की भर्त्सना करता है जो नागरिकों को मानवाधिकार से वंचित रखते हैं, भले ही वे लाख राजनीतिक दावा कर लें।
6.3 मानवाधिकार के प्रति जागरूकता के लिये स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि मानवाधिकार के संयुक्त राष्ट्र आयोग व अन्य संगठनों के पास पर्याप्त संसाधन हो।
6.4 हम मानवाधिकार में संशोधन कर स्वस्थ प्राकृतिक पर्यावरण का अधिकार व प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक संसाधनों तक अन्तरपीढ़ी के अधिकारों को इसमें शामिल करने के लिये वैश्विक घोषणा करने की माँग करते हैं।
6.5 (uphold) हम महिलाओं को उनके निर्णय खुद लेने, उन्हें अगर उचित लगे तो गर्भाधान पर नियंत्रण, किसी भी तरह के भेदभाव व जबरदस्ती से मुक्त होने के अधिकार को बरकरार रखना चाहते हैं। हम एलिमिनेशन ऑफ डिस्क्रिमिनेशन, अगेंस्ट वूमेन (सीईडीएडब्ल्यू) के कनवेंशन का समर्थन करते हैं और जिन्होंने हस्ताक्षर नहीं किये हैं, उनसे हस्ताक्षर करने व किसी भी तरह का विलम्ब किये बिना उसे मंजूर करने और हस्ताक्षर करने वालों से हर तरह का आरक्षण खत्म करने की अपील करते हैं।
6.6 हम स्वदेशी लोगों के अधिकारों का समर्थन, आत्मनिर्णय, भूमि अधिकारों और पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ तकनीकों का उपयोग कर अपने निर्वाह के लिये पारम्परिक शिकार और मछली पकड़ने के अधिकारों तक पहुँच का समर्थन करते हैं और स्वदेशी लोगों के लिये समर्थन अपने स्वयं के अन्तरराष्ट्रीय निकायों के माध्यम से स्थापित करने एवं कदम उठाने के लिये काम करेंगे।
6.7 हम स्वदेशी लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र का समर्थन करते हैं क्योंकि स्वदेशी लोगों द्वारा न्यूनतम संरक्षण स्वीकार कर लिया जाता है। हम स्वदेशी लोगों के खुद के अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के काम का समर्थन करते हैं।
6.8 अन्तरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के तत्वावधान में सेवा करने वाले न्यायाधीशों के एक अन्तरराष्ट्रीय पैनल से पहले हम उन लोगों से माँग करते हैं कि यातना करने वालों को जिम्मेदार ठहराया जाये और उनके अपने देश या अन्य जगहों पर न्याय के लिये उनके सामने लाया जाये।
6.9 हम व्यक्ति की भौतिक अखण्डता के किसी भी तरह से उल्लंघन, अत्याचार, सजा या परम्परागत और धार्मिक तरीके की किसी भी पद्धति का विरोध करते हैं।
6.10 हम माँग करते हैं कि मौत की सजा पूरी दुनिया में खत्म कर दी जाएगी।
6.11 हम सरकारों से माँगते हैं कि सुरक्षित व दोस्ताना माहौल वाले स्थान पर जाने के इच्छुक लोगों चाहे वे राज्य हिंसा या स्वतंत्र सशस्त्र समूहों के शिकार हों, उनके साथ 1951 के जेनेवा कनवेंशन के अधिकार के तहत व्यवहार किया जाना चाहिए। निष्पक्ष प्रक्रियाओं तक उनकी पहुँच सुनिश्चित की जानी चाहिए। मनमाने ढंग से उन्हें हिरासत में नहीं रखा जाये और यह सुनिश्चित किया जाये कि जिन देशों में उन पर अत्याचार, यातना या जान का खतरा हो, उन देशों में वे न लौंटें।
6.12 सामूहिक निष्कासन पर रोक लगाने की माँग करते हैं।
6.13 हम सभी कर्मचारियों की सुरक्षा, लाभप्रद रोजगार व आजादी के अधिकारों का समर्थन करते हैं।
6.14 बच्चों को काम करने की आवश्यकता से मुक्त होकर बड़ा होने और काम करने वाले बच्चों/किशोरों के लिये कम आयु सीमा तय करने का समर्थन करते हैं।
6.15 हम समलैंगिकता को अपराध नहीं मानने व समलैंगिक और समलैंगिक लोगों को अपनी जीवनशैली के अधिकार और समलैंगिक सम्बन्धों के समान अधिकारों का समर्थन करते हैं।
6.16 हम विकलांग लोगों के अवसरों में सुधार करने और समाज में समान रूप से काम करने तथा राजनीति में भागीदारी के अवसर बढ़ाने के लिये काम करेंगे।
6.17 अपनी भाषा का उपयोग करने के लिये भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकार का समर्थन करें।
7 भोजन व पानी
7.0 लाखों लोग कुपोषण के शिकार हो जाते है, इसलिये नहीं कि उनके पास खाने के लिये नहीं है बल्कि जमीन, पानी, क्रेडिट व बाजार तक उनकी पहुँच असमान है। जेनेटिकली मोडिफाइड आर्गनिज्म (जीएमओ) समाधान नहीं है क्योंकि तात्कालिक समस्या उत्पादन नहीं बल्कि वितरण है। वहीं, जीएमओ से पर्यावरण, छोटे किसानों और यहाँ तक कि इसका इस्तेमाल करने वालों तक को खतरा होता है। इससे जैवविविधता को भी खतरा है, जो कृषि जनित आपदा के लिये इंश्योरेंस का काम करता है। भूगर्भ के ऊपर व भूजल की मात्रा कम हो रहा है जिससे पानी का संकट मंडरा रहा है। नदियों के आसपास वनों की कटाई के कारण भूधंसान व बाढ़ का खतरा बढ़ा है। साथ ही मरुस्थलीकरण व वन क्षेत्रों में तेजी से कमी आ रही है। इन संकटों के बीच एक सुनहरी किरण तेजी से बढ़ रही जैविक खेती के रूप में दिख रहा है।
ग्रीन्स
7.1 बुनियादी जरूरतों के लिये स्वच्छ पानी को मौलिक अधिकार मानते हैं और जल संसाधन तथा अन्य बुनियादी ढाँचे के निजीकरण का विरोध करते हैं।
7.2 सामाजिक सब्सिडी की जगह पानी पर सब्सिडी खत्म करने के लिये काम करेंगे ताकि पानी का अधिक-से-अधिक सदुपयोग किया जा सके।
7.3 साफ पानी व भूजल संसाधन को संरक्षित करने व इनका मूल्य निर्धारित करने के लिये काम करेंगे ताकि इन संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
7.4 हम यह मानते हैं कि नदी के कैचमेंट क्षेत्र में स्थायित्व व नदी व्यवस्था का स्वास्थ्य बहुत जरूरी है और हम उन लोगों के साथ काम करेंगे जो नदियों के क्षय को रोक सकते हैं। साथ ही नए बड़े बाँध, सिंचाई परियोजना और कैचमेंट एरिया में वनों की कटाई को लेकर भी काम करेंगे।
7.5 सूखा प्रवण क्षेत्रों जहाँ जलवायु अनिश्चित है, वहाँ के स्थानीय समुदाय के लोगों के साथ मिलकर काम करेंगे ताकि भूमि के क्षय को रोका जा सके।
7.6 हम उन देशों के लिये अपनी चिन्ता व्यक्त करते हैं जो रेगिस्तान बनने व वनों की कटाई से बहुत अधिक प्रभावित हुए हैं और उन देशों से पूछते हैं जिन्होंने यूएन कनवेंशन ऑफ डेजर्टीफिकेशन को मंजूर नहीं किया है। साथ ही हम आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराएँगे ताकि इस कनवेंशन को लागू किया जा सके।
7.7 हम जैविक कृषि का समर्थन करेंगे और उसे बढ़ावा देंगे।
7.8 हम आनुवांशिक रूप से संशोधित फसलों के व्यावसायिक विकास पर विश्वव्यापी प्रतिबन्ध का आह्वान करते हैं।
7.9 हम यह सुनिश्चित करने के लिये काम करेंगे कि भोजन सुरक्षित हो और उनके उत्पादन, भण्डारण और बिक्री पर कड़े नियम लागू किये जाएँ।
7.10 हम यह सुनिश्चित करने के लिये काम करेंगे कि वैज्ञानिक अनुसन्धान नैतिक तरीके से किया जाये और एहतियाती सिद्धान्तों के अनुसार यह लागू हो।
7.11 हम सभी स्थायी और जैव-संचित मानव निर्मित रसायनों के इस्तेमाल बन्द करने का आह्वान करते हैं और पर्यावरण को खतरा पहुँचाने वाले रसायनों के उत्सर्जन को खत्म करने के लिये काम करेंगे।
7.12 हम यह सुनिश्चित करने के लिये काम करेंगे कि पशुओं के विकास के हार्मोन पर प्रतिबन्ध लगाया जाये व और जानवरों पर एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल को नियंत्रित करने के लिये कड़े नियम लागू किये जाएँ।
7.13 हम प्रजनन, परिवहन और वध के दौरान सभी जानवरों के मानवीय उपचार पशु कल्याण को सुनिश्चित करने के लिये काम करेंगे।
7.14 क्षरण, बाढ़ और अन्य पर्यावरणीय खतरों के प्रभाव को कम करने और इसके लिये उपयुक्त उपायों को लागू करने के लिये काम करेंगे।
8. सतत नियोजन
8.0 औद्योगिक देशों में अत्यधिक उपभोग हो रहा है और यह पर्यावरण के नुकसान के लिये जिम्मेदार हैं। नए औद्योगिक देशों में भी उपभोग का परिमाण बढ़ रहा है जिससे इकोलॉजी पर दबाव बढ़ेगा। ऐसी सूरत में हरित अर्थव्यवस्था की ओर मुड़ना होगा। इसमें पारिस्थितिकीय प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें पुनःइस्तेमाल और रीसाइक्लिंग कर अपशिष्ट खत्म कर दिया जाता है। साथ ही ऐसी गतिविधियों पर जोर देती है जो सामान के उपभोग की जगह जीवनस्तर और आपसी रिश्तों को बनाती है। यह अर्थव्यवस्था नए रोजगार, कम प्रदूषण वाले उद्योग, काम का बेहतर माहौल और बेहतर जीवनशैली का वादा भी करती है।
ग्रीन्स
8.1 प्रगति को मापने के लिये जीडीपी के बजाय लोगों के फायदे के उपायों को बढ़ावा देने और भौतिक विकास और उपभोग के लिये इकोलॉजिकल सीमाओं को पहचानता है।
8.2 हम यह मानते हैं कि विकास परियोजनाओं से प्रभावित देशों के नागरिकों को राष्ट्रीय सीमाओं की परवाह किये बिना इसके बारे में निर्णय लेने का अधिकार है।
8.3 हम यह सुनिश्चित करने के लिये काम करेंगे कि जो लोग आम और / या प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर फायदा लेते हैं उन्हें इन संसाधनों के उपयोग व किसी भी अन्य सामान्य संसाधनों के नुकसान पर बाजार की दर के अनुसार किराया दें।
8.4 हम यह मानते हैं कि कृषि भूमि और प्राकृतिक वातावरण के शहरीकरण के असर को सीमित और अन्ततः बन्द कर दिया जाना चाहिए
8.5 हम यह भी मानते हैं कि ग्रामीण गरीबी के कारण शहरीकरण की प्रक्रिया धीमी होनी चाहिए और गाँव के चरित्र व इकोलॉजी को बरकरार रखने वाले उपयुक्त ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के जरिए इसे रोका जाना चाहिए।
8.6 हम पारिस्थितिक रूप से स्थायी व्यवसाय, आवास, परिवहन, कूड़ा प्रबन्धन, पार्क, शहर के जंगलों, सार्वजनिक स्थानों के लिये स्थानीय योजना का समर्थन करते हैं। साथ ही हम स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर ग्रीन्स के बीच सम्पर्क स्थापित करेंगे ताकि सूचनाओं का आदान-प्रदान और समर्थन किया जा सके।
8.7 वाहनों के किसी भी जगह बेरोकटोक आवाजाही को नियंत्रित कर वाहन आधारित शहरी प्रदूषण को कम करने के लिये काम करेंगे। कम-से-कम ऊर्जा की खपत वाले वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करेंगे। पब्लिक ट्रांसपोर्ट, साइकिल व पैदल चलने के साथ भूमि के बेहतर इस्तेमाल की योजना को एकीकृत करेंगे। मास ट्रांजिट प्लानिंग को प्राथमिकता व प्राइवेट ऑटो इनफ्रास्ट्रचर के लिये फंडिंग और ऑटो केन्द्रित विकास को प्रोत्साहन देने वाली टैक्स नीति को खत्म करने पर काम करेंगे।
8.8 हम धन के उचित वितरण के लिये टैक्स व पब्लिक फाईनेंस का इस्तेमाल कर सामाजिक रूप से जिम्मेदार रणनीति बनाने के लिये काम करेंगे। साथ ही कूड़ा व प्रदूषण से बचने के लिये प्रोत्साहन राशि देने के लिये इको-टैक्स लगाने पर काम करेंगे।
8.9 हम माँग करेंगे निगम और समुदाय कचरे को कम करे, उसका पुन: उपयोग और रीसाइकिल करे ताकि प्राकृतिक इकोसिस्टम की प्रतिकृति के तौर पर एक शून्य अपशिष्ट अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त हो सके।
8.10 हम उन सभी नीतियों को समर्थन करते हैं जो देशों को आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से या संसाधनों की रीसाइक्लिंग, टिकाऊ वस्तुओं का उत्पादन कर, जैविक खेती, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण के जरिए नौकरी सृजन में वृद्धि करने की अनुमति देती है।
8.11 सामाजिक जिम्मेवारी लेते हुए निवेश और इकोलॉजिकल मार्केटिंग को बढ़ावा देते हैं ताकि उपभोक्ता विश्वसनीय जानकारी के आधार पर अपनी सहूलियत से विकल्प चुन सकें।
8.12 पारम्परिक और स्थानीय ज्ञान और विश्वास के महत्त्व को स्वीकार करते हैं और प्लानिंग तथा परियोजनाओं में इन्हें शामिल करने का समर्थन करते हैं।
9. शांति और सुरक्षा
9.0 हम शांति को युद्ध की अनुपस्थिति से ज्यादा समझते हैं। शान्ति के लिये प्रयास करना हमेशा ग्रीन एजेंडे का केन्द्र बिन्दु रहा है। संघर्ष के कारण बदल रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के असर से पानी, भोजन और संसाधनों के लिये संघर्ष में तेजी आएगी। युद्ध में बदलाव, संगठित अपराध और मानव अधिकारों के बड़े पैमाने पर हनन बढ़ रहा है। 2001 के बाद से 'आतंकवाद के खिलाफ युद्ध’ ने भी सुरक्षा के नाम पर मानव अधिकारों का हनन किया है। हथियारों का व्यापार बढ़ रहा है और वैश्विक हो रहा है। सब्सिडी के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन के नियमों से एक छूट मिल रहा है जिससे इसे और बढ़ावा मिल रहा है। एक वैश्विक नेटवर्क के रूप में हमारा यह बड़ा दायित्व है कि हम मानवाधिकार व शान्ति को लेकर काम करने वाले संगठनों के बीच सम्बन्ध मजबूत करने की भूमिका निभाएँ। साथ ही हमें वैश्विक शासन के संगठनों के सिद्धान्त को आकार देने में समर्थन करेंगे।
ग्रीन्स
9.1 संघर्ष प्रबन्धन और शान्ति प्रबन्धन के एक वैश्विक संगठन के रूप में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को मजबूत करने का समर्थन करता है। साथ भी यह ध्यान में रखा जाये कि जहाँ रोकथाम विफल रहता है और मानव अधिकारों और / या नरसंहार के बड़े पैमाने पर उल्लंघन और मौजूदा स्थिति में बल प्रयोग उचित हो और यह आगे के मानवाधिकारों के उल्लंघन और पीड़ा को रोकने का एकमात्र साधन हो तो इसका संयुक्त राष्ट्र के आदेश के तहत किया जाना चाहिए। बहरहाल, अलग-अलग देशों के पास कार्रवाई का समर्थन या सहयोग नहीं करने का अधिकार होगा।
9.2 संयुक्त राष्ट्र में दक्षिण के देशों को अधिक शक्ति देने, सुरक्षा परिषद में वीटो पावर खत्म करने, इससे स्थायी सदस्यता की श्रेणी को हटाने और सदस्यता के साथ राज्यों की संख्या बढ़ाने के लिये अभियान चलाएगा।
9.3 हम अन्तरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय का समर्थन करते हैं। युद्ध अपराधों में सामूहिक बलात्कार जैसी यौन हिंसा को युद्ध अपराध माना जाना चाहिए। ठीक उसी तरह टकराव के समय पर्यावरण का नुकसान होने पर पर्यावरण अपराध भी माना जाये।
9.4 सैन्य-औद्योगिक-वित्तीय शक्ति को कम करने के लिये हथियारों के व्यापार में कमी लाने, हथियारों के निर्माण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और सैन्य उद्योगों को लाभ वाली गुप्त सब्सिडी को खत्म करने के लिये प्रयास करें।
9.5 अन्तरराष्ट्रीय हथियारों के व्यापार (परमाणु, जैविक और रासायनिक हथियारों पर प्रतिबन्ध, यूरेनियम हथियारों व एंटी-पर्सनल माइंस को कम करने) को नियंत्रित और कम करने व इसे समाप्त करने के दीर्घकालिक लक्ष्य के लिये काम करेगा और इसे संयुक्त राष्ट्र के दायरे में लाएगा।
9.6 मौजूदा शान्ति कार्यक्रमों को मजबूत करने और नए कार्यक्रम तैयार करने में मदद करेंगे जिसमें शान्ति का माहौल बनाने के लिये हर पहलू पर चर्चा होगी। कार्यक्रम में हिंसा के बुनियादी कारणों का विश्लेषण, पारिवारिक हिंसा और लिंगों के बीच आपसी सम्मान के मुद्दे शामिल होंगे। हम सभी स्तरों पर अहिंसक विरोध समाधान से सम्बन्धित प्रशिक्षण में सहयोग करेंगे।
9.7 संघर्षों में प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखने के लिये सेना की मदद लेने के वास्ते अन्तरराष्ट्रीय नियमों में संशोधन करने की माँग करेंगे।
9.8 किसी भी नेशनल मिसाइल डिफेंस प्रोजेक्ट के खिलाफ संघर्ष करेंगे और स्पेस के डी-न्यूक्लीयराइजेशन व डीमिलिटराइजेशन के लिये काम करेंगे।
10 वैश्विक कार्रवाई
10.0 ग्लोबल ग्रीन्स विभिन्न संस्कृतियों और पृष्ठभूमि का एक स्वतंत्र संगठन है जो एक साझा उद्देश्य के लिये काम करता है और यह मानता है कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये हमें विश्व स्तर पर और साथ ही स्थानीय स्तर पर मिलजुल कर काम करना होगा।
ग्रीन्स –
10.1 वैश्विक आवश्यकता के मुद्दे पर एक साथ कार्रवाई कर ग्लोबल ग्रीन्स चार्टर को लागू करने के लिये एक साथ मिलकर काम करेगा।
10.2 हम दुनिया भर में ग्रीन पार्टी, राजनीतिक आन्दोलनों और युवा नेटवर्क तैयार करने का समर्थन करेंगे।
10.3 हम उनके अनुरोध पर अन्य ग्रीन पार्टियों और आन्दोलन में मदद करेंगे और साथ ही-
- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में पर्यवेक्षक मुहैया कराएँगे
- मतदाताओं को प्रोत्साहित करेंगे कि वे अपना नामांकन कराएँ व अपने गृह देश में ग्रीन को वोट दें।
10.4 हम अपने संगठनों में उन लोकतांत्रिक सिद्धान्तों को लागू करेंगे जो हम बड़े समाज के लिये चाहते हैं।
10.5 हम अपने आन्तरिक संगठन में हर स्तर पर सक्रिय लोकतंत्र के एक मॉडल के रूप में काम करेंगे।
10.6 ग्लोबल ग्रीन पार्टियों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करेंगे। हम सदस्य पार्टियों से परामर्श लेकर, उन्हें शिक्षित कर यह सुनिश्चित करेंगे वे भी ग्रीन्स की वैश्विक स्थितियों को प्रभावित करने के लिये क्षमतावान हों।
10.7 हम ग्रीन पार्टीज और ग्रीन पॉलिटिकल मूवमेंट को प्रोत्साहित करेंगे कि वे पारदर्शी और विकेन्द्रीकृत संरचनाओं की गारंटी देने वाली नीतियों की स्थापना में नेतृत्व दें ताकि राजनीतिक शक्ति और अवसर सभी सदस्यों को मिले। साथ ही नया राजनीतिक मॉडल विकसित हो जो स्थायी विकसित व जमीन लोकतंत्र के सामने खड़ी चुनौतियों से मुकाबला कर सके।
10.8 हमारे दृष्टिकोण व मूल्यों से टकराव वाले वित्त के स्रोतों से हम बचेंगे।
10.9 हम तानाशाह, सम्प्रदाय या आपराधिक संगठनों और उनके आश्रित संगठनों से खासकर लोकतंत्र और मानवीय अधिकारों के मामलों में सहयोग से बचेंगे।
10.10 हम अपनी सोच से इत्तेफाक रखने वाले सामुदायिक संगठनों और नागरिक समाज संगठनों के साथ सम्पर्क मजबूत करेंगे। हम सभी एक हिस्सा हैं उस बढ़ती चेतना का जो पर्यावरण सम्मान, सामाजिक और मानवाधिकार व लोकतंत्र का समर्थन करता है। यह चेतना दुनिया के आर्थिक संगठनों में होनी होगी।
10.11 हम एक दूसरे को निजी व राजनीतिक तौर पर मैत्री, आशावाद और हँसी-मजाक के साथ सहयोग करेंगे तथा इस प्रक्रिया में हम आनन्द लेना नहीं भूलेंगे!
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