गाय दुहे, बिन छाने लावै


गाय दुहे, बिन छाने लावै, गरमा, गरम तुरन्त चढ़ावै।
बाढ़ै बल अउर बुद्धि भाई, घाघ कहे सच्ची बतलाई।


भावार्थ- घाघ का कहना है कि गाय को दूहकर उसी समय बिना छाने गरमागरम कच्चा दूध पीने से बल और बुद्धि दोनों बढ़ती हैं।

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Post By: tridmin
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