हमारी जी20 की अध्यक्षता की शुरुआत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्पष्ट अधिदेश दियाँ गया था कि यह एक महत्वाकांक्षी और समावेशी अध्यक्षता होनी थी, जिसने अपने केंद्र में ग्लोबल साउथ के हितों को रखा था। हमने इस निदेश को पूरे दिल से अपनाया, हर बाधा को एक अवसर में बदल दिया और इस प्रक्रिया में हमने एक असाधारण उपलब्धि हासिल की नई दिल्ली लीडर्स घोषणा (एनडीएलडी) जिसमें 83 पैराग्राफ शामिल थे. जिसमें असहमति की कोई आवाज नहीं थी। यह उल्लेखनीय दस्तावेज एक महत्वपूर्ण वैश्विक सहमति का प्रतीक है जो आम चुनौतियों से निपटने में एकता की शक्ति को रेखांकित करता है।
नई दिल्ली के नेताओं की घोषणा संघर्ष और विभाजन से विकास और सहयोग की ओर एक बुनियादी बदलाव का प्रतिनिधित्व करती है। यह भारत को एक वैश्विक नेता के रूप में प्रदर्शित करता है जो जी20 देशों के बीच नीति और नियामक सामंजस्य को बढ़ाने, अधिक पूर्वानुमानित और विश्वसनीय व्यापार, निवेश और आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देने, जलवायु कार्रवाई और समावेशी विकास की महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है।
मजबूत, स्थायी, संतुलित और समावेशी विकास
यह स्वीकार करते हुए कि आर्थिक विकास किसी देश की समृद्धि और विकासात्मक क्षमता को रेखांकित करता है, घोषणा में निजी उद्यमों, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) और स्टार्टअप की महत्वपूर्ण भूमिका की स्पष्ट मान्यता के साथ मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है ताकि नवाचार और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिल सके।
इसके अतिरिक्त, यह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सुधार के साथ-साथ नेताओं की ठोस प्रतिबद्धताओं को प्रदर्शित करते हुए व्यापार और निवेश नीतियों को बढ़ावा देने की वकालत करता है। इसके अलावा, घोषणापत्र कौशल अंतराल का समाधान करने, सभ्य कार्य को बढ़ावा देने और सतत विकास प्राप्त करने के लिए अवसरों और संसाधनों तक पहुंच के लिए प्रतिबद्ध है।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में, यह घोषणापत्र सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में पारदर्शिता, जवाबदेही और अखंडता को बढ़ावा देने के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराता है, इस वैश्विक चुनौती को रोकने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता पर बल देता है।
एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाना
दुनिया एक महत्वपूर्ण मोड़ का सामना कर रही है, जिसमें अस्तित्व से जुड़ीं चुनौतियों पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र की नवीनतम एसडीजी रिपोर्ट से पता चलता है कि एसडीजी लक्ष्यों का केवल 12 प्रतिशत ही सही ट्रैक पर है, जबकि 2015 के बाद से 30 प्रतिशत स्थिर हो गए हैं या पीछे चले गए हैं। वर्ष 2015 से 2020 तक 50 मिलियन हेक्टेयर वनों की हानि और बढ़ती मौसम संबंधी आपदाओं जैसी खतरनाक प्रवृत्तियों की वजह से 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि हुई है जिससे विकासशील दुनिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
उच्च मुद्रास्फीति, कड़ी मौद्रिक नीतियों, प्रतिबंधात्मक ऋण और कई विकासशील देशों में बढ़ते ऋण संकट से चिह्नित वैश्विक आर्थिक स्थितियों के साथ और अधिक चुनौतियां कोविड से उबरने के बाद सामने आयीं। एजेंडा 2030 के मध्य बिंदु पर, देश, विकास और जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन दोनों में एक साथ निवेश करने की आवश्यकता से जूझ रहे हैं।
भारत की जी20 की अध्यक्षता एक मील का पत्थर है, जो जलवायु और विकास दोनों मुद्दों का सफलतापूर्वक समर्थन कर रही है और यह पहचान कर रही है कि देशों को गरीबी उन्मूलन और पर्यावरण संरक्षण के बीच चयन नहीं करना चाहिए। इसके नेतृत्व में, एसडीजी प्रगति में तेजी लाने के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत की गई है जिसमें क्रॉस कटिंग दृष्टिकोण अपनाया गया है और विकास को आगे बढ़ाने में आंकड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया है। विकास के लिए आंकड़ों के उपयोग पर सिद्धांतों का समर्थन इस प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। इसके अतिरिक्त, खाद्य सुरक्षा और पोषण 2023 पर जी20 डेक्कन उच्च-स्तरीय सिद्धांत (एचएलपी), बाजरा जैसे प्राचीन अनाज को बढ़ावा देने के साथ-साथ वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने का वादा करते हैं जो सतत विकास - का एक अनिवार्य पहलू है।
भारत की जी20 अध्यक्षता ने स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के गहरे प्रभाव की पहचान की है और उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए डिजिटल स्वास्थ्य पर एक वैश्विक पहल की स्थापना की है।
अभूतपूर्व वैश्विक चुनौतियों के इस युग में, भारत का दृष्टिकोण पृथ्वी के साथ सद्भाव, सतत विकास और समावेशिता पर जोर देने वाले दर्शन के साथ प्रतिध्वनित होता है। भारत की सांस्कृतिक विरासत में निहित इन दर्शनों ने अधिक न्यायसंगत और सतत विश्व की ओर हमारी यात्रा का मार्गदर्शन किया है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय और महात्मा गांधी जैसे विचारकों से प्रेरित, हमारा दर्शन 2030 एजेंडा के सार के साथ जुड़ा हुआ है, जिसमें सभी को साथ लेकर चलने, और पृथ्वी के साथ सद्भाव में रह के साथ आर्थिक समृद्धि को संतुलि करना है। इस समग्र दृष्टिकोण ने भार के सतत विकास पथ को एक आकार दिया है।
फिर भी, अरबों से लेकर खरबों पाउंड तक का व्यापक वार्षिक एसडीजी वित्तपोषण अंतर, सतत विकास और स्वच्छ ऊर्जा के परिवर्तन में आर्थिक विकास की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाने के लिए जी-20 2023 कार्य योजना' एक मील का पत्थर उपलब्धि है, जो वित्त और प्रौद्योगिकी तक पहुंच जैसी चुनौतियों का समाधान करते हुए न्यायसंगत, मजबूत, टिकाऊ और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है।
हरित विकास समझौता, जलवायु वित्त, और मिशन लाइफ 'भारत के नई दिल्ली नेताओं की घोषणा (एनडीएलडी) में 'हरित विकास समझौता' शामिल है जो वैश्विक सहयोग के माध्यम से पर्यावरणीय संकट का समाधान करने के लिए अगले दशक के लिए एक व्यापक रोडमैप है।
इस समझौते के लिए प्रतिबद्ध होकर, जी 20 नेताओं ने एकीकृत और संतुलित तरीके से पर्यावरणीय दृष्टि से स्थायी और समावेशी आर्थिक वृद्धि और विकास को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है जिससे ग्लोबल साउथ को लाभ होगा। वे सभी देशों से अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्यों के साथ सरेखित करने और भावी एनडीसी चक्रों में अर्थव्यवस्था-व्यापी ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) कटौती लक्ष्यों को प्रोत्साहित करने का आह्वान करते हैं। जी20 देश सीओपी 28 में वैश्विक स्टॉकटेक के सफल निष्कर्ष सहित शमन, अनुकूलन तथा कार्यान्वयन और समर्थन के माध्यम से जलवायु कार्रवाई को बढ़ाने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
ऊर्जा परिवर्तन में, जी20 अन्य पहलों के अलावा, हाइड्रोजन, महत्वपूर्ण खनिज सहयोग, एक वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के प्रयासों पर उच्च-स्तरीय सिद्धांतों (एचएलपी) पर सहमत हुआ है। एनडीएलडी, प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने और चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर एक दृढ़ संदेश के साथ जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और प्रदूषण का समाधान करने में स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका पर जोर देता है। समझौते में सतत विकास के लिए जीवन शैली (LIFE) पर एचएलपी भी शामिल है जो 2030 तक पर्याप्त उत्सर्जन कटौती में योगदान देगा।
LiFE दुनिया के लिए भारत की अनूठी पेशकश है जो भारत की पारंपरिक, स्थायी प्रथाओं और दार्शनिक लोकाचार को एक स्केलेबल, वैश्विक आंदोलन में बदलने के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के दृष्टिकोण से पैदा हुई है जो समाज के उपभोग और उत्पादन के तरीके को बदल देती है। जलवायु न्याय और समानता के प्रति भारत की वचनबद्धता एनडीएलडी में स्पष्ट है जहां वे जलवायु परिवर्तन से निपटने और सतत विकास का समर्थन करने के लिए ग्लोबल नॉर्थ से पर्याप्त वित्तीय और प्रौद्योगिकीय सहायता का आह्वान करते हैं। यह घोषणापत्र राष्ट्रों से 2024 तक जलवायु वित्त का एक महत्वाकांक्षी, पारदर्शी और ट्रैक करने योग्य नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (एनसीक्यूजी) निर्धारित करने का आग्रह करता है जो 100 बिलियन पाउंड से शुरू होता है और 2025 तक 2019 के स्तर को तुलना में सामूहिक अनुकूलन वित्त को दोगुना करने की वकालत करता है। विशेष रूप से, प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने अंततः विकासशील देशों के लिए अपने एनडीसी को पूरा करने हेतु 2030 तक £5.9 ट्रिलियन संसाधनों और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए अतिरिक्त वार्षिक £4 ट्रिलियन की पहचान की है जो ग्लोबल साउथ की व्यापक जरूरतों को प्रदर्शित करता है।
पर्याप्त वित्तपोषण की इस आवश्यकता को पहचानते हुए. जी20 बेहतर, बड़े और अधिक प्रभावी बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) के महत्व पर जोर देता है और अधिक प्रतिक्रियाशील अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त प्रणाली बनाने के लिए ऋण चुनौती समझौतों में मुद्रा विनिमय गारंटी और आपदा खंड जैसे उपायों की खोज करता है। भारत संयुक्त राष्ट्र के भीतर सुधारों को आगे बढ़ाने में भी सबसे आगे रहा है विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे प्रमुख अंगों के पुनर्गठन में जिसका लक्ष्य एक ऐसी संरचना बनाना है जो वैश्विक दक्षिण देशों के हितों को बेहतर ढंग से पूरा करें।
प्रौद्योगिकीय परिवर्तन और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना
सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों का नेतृत्व करने में हमारे अपने अनुभवों से प्रेरित होकर, भारत के विकासात्मक मॉडल ने वैश्विक मान्यता प्राप्त की है। भारत में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) का गहरा प्रभाव असंदिग्ध है। चाहे वह डिजिटल भुगतान हो, को-विन, डिजीलॉकर या प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) हो, तकनीक दूर-दराज के कोने तक पहुंचने और जीवन को गहराई से बदलने में सहायक रही है।
इस प्रभावशाली यात्रा पर प्रकाश डालते हुए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के लिए जी20 फ्रेमवर्क पर आम सहमति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिससे दुनिया भर के देशों को समान डीपीआई सिस्टम को अपनाने, विकसित करने और आगे बढ़ाने में सक्षम बनाया गया है। वन फ्यूचर अलायंस के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, हम निम्न और मध्यम आय वाले देशों एलएमआईसी) को समर्थन दे रहे हैं उनके डीपीआई सिस्टम के विकास को बढ़ावा देने के लिए क्षमता निर्माण और वित्तीय सहायता दोनों प्रदान कर रहे हैं। इस सामूहिक प्रयास का उद्देश्य राष्ट्रों को अपने समाज की बेहतरी के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे की
क्षमता का उपयोग करने के लिए सशक्त बनाना है।
लैंगिक समानता और सभी महिलाओं तथा लड़कियों को सशक्त बनाना
यह घोषणा बहुआयामी है, इसमें मानव-केंद्रित विकास के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है और किसी को भी पीछे नहीं छोड़ा गया है। यह महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास, आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण, लिंग-समावेशी जलवायु कार्रवाई और महिलाओं की खाद्य सुरक्षा का समर्थन करता है जो इसे लैंगिक समानता और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लिए सबसे महत्वाकांक्षी विज्ञप्ति के रूप में चिह्नित करता है। इसके अलावा, महिला सशक्तीकरण के लिए जी20 की प्रतिबद्धता का उदाहरण महिला कार्य समूह की स्थापना है जिसकी पहली बैठक ब्राजील की अध्यक्षता के दौरान होने वाली है।
ग्लोबल साउथ की आवाज
भारत की वकालत के केंद्र में एक दूरदर्शी प्रस्ताव था अफ्रीकी संघ (एयू) को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करना। यह प्रस्ताव एक कठोर वास्तविकता पर आधारित थाः अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार, ग्लोबल साउथ और विशेष रूप से अफ्रीका, वैश्विक आर्थिक विकास के 80 प्रतिशत के लिए तैयार है जो कि चौंकाने वाला है। वैश्विक आर्थिक विकास में अचानक आए बदलावों को स्वीकार करते हुए, भारत ने जी20 तालिका में एयू की स्थायी सीट की वकालत की। इस प्रस्ताव ने वैश्विक नीतियों को आकार देने में अफ्रीका के प्रतिनिधित्व और योगदान की आवश्यकता में एक वास्तविक विश्वास को समाहित किया।
इसके अलावा, भारत की जी20 की अध्यक्षता ने मंच के भीतर अफ्रीका देशों की आवाज को बुलंद करने क लिए सक्रिय कदम उठाकर बयानबाजी से परे कदम बढ़ाया। जी20 चर्चा में भाग लेने के लिए मॉरीशस, मिस्र और नाइजीरिया सहित कई अफ्रीकी देशों को निमंत्रण दिया गया था। यहीं नहीं रुके, बातचीत को समृद्ध बनाने के लिए कोमोरोस और AUDA- NEPAD से अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष का भी स्वागत किया गया। यह ठोस प्रयास रंग लाया जिसके परिणामस्वरूप जी20 बैठकों में अफ्रीकी देशों की अब तक की सबसे अधिक भागीदारी हुई। यह समावेशिता यह सुनिश्चित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि अफ्रीकी परिप्रेक्ष्य को न केवल सुना जाए बल्कि जी20 विचार-विमर्श में प्रमुखता से शामिल किया जाए।
भारत की जी20 अध्यक्षता में एक महत्त्वपूर्ण क्षण 'वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट' था। वर्ष की शुरुआत में आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में 125 देशों का जमावड़ा और ग्लोबल साउथ के 18 राष्ट्राध्यक्षों की भागीदारी देखी गई। शिखर सम्मेलन ने राष्ट्रों के लिए वैश्विक मंच पर अपनी चिंताओं, आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं को स्पष्ट करने के लिए एक अमूल्य मंच के रूप में कार्य किया। इन सभाओं ने समकालीन वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने और दुनिया के भविष्य को आकार देने में ग्लोबल साउथ की प्रभावशाली भूमिका को स्वीकार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय चर्चाओं को नया रूप देने की दिशा में शुरुआती कदम उठाए।
वास्तव में, भारत की संपूर्ण जी20 अध्यक्षता ने बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) सुधार, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) और जलवायु कार्रवाई जैसे मुद्दों पर जोर दिया, यह मानते हुए कि ये विकासशील दुनिया के लिए महत्वपूर्ण चिंताएं हैं। पूरे एजेंडे को ग्लोबल साउथ की जरूरतों और हितों को सामने रखने के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया था जिन्हें अक्सर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कम प्रतिनिधित्व दिया गया है। इन कारणों का समर्थन करते हुए, भारत का उद्देश्य ऐतिहासिक असंतुलन को दूर करना और यह सुनिश्चित करना था कि विकासशील देशों की आवाज़ वैश्विक मंच पर सुनी जाए और इसका समाधान किया जाए जिससे वैश्विक शासन के लिए अधिक न्यायसंगत और समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा मिले।
पीपल्स जी 20
यह सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं है कि भारत ने समावेशिता का समर्थन किया है। जनभागीदारी कार्यक्रमों के माध्यम से, देश भर के नागरिक जी20 से संबंधित कार्यक्रमों और गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल हुए। 60 शहरों में 220 से अधिक बैठकों और 25,000 से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ, जी20 विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों के लिए सुलभ हो गया। विभिन्न स्तरों पर कार्यक्रम आयोजित करने में शिक्षा मंत्रालय के प्रयासों ने 233 मिलियन से अधिक प्रतिभागियों को आकर्षित किया जिससे जी20 की प्राथमिकताओं के बारे में जागरुकता बढ़ी।
जनभागीदारी भागीदारी संख्या से आगे निकल गई जिसमें विश्वविद्यालय के व्याख्यानों से लेकर इंटरैक्टिव मॉडल जी20 बैठकों, त्योहारों के मंडपों, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं, खाद्य उत्सवों और अन्य कई आकर्षक गतिविधियों को शामिल किया गया। कार्य समूहों ने सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ाने के लिए साइक्लोथॉन और रैलियों जैसे नवीन तरीकों को शुरुआत की।
भारत के सहकारी संघवाद मॉडल ने राज्य और केंद्रीय अधिकारियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देते हुए, परिवर्तनकारी शहरी विकास पहलों को जन्म दिया और स्वदेशी सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया, जिसके परिणामस्वरूप पर्यटन को बढ़ावा मिला और रोजगार के अवसर सृजित हुए। इसके अलावा, शामिल समूहों ने जी20 आख्यान में नागरिकों को शामिल करने और एनडीएलडी के अंतिम निर्माण के लिए नागरिक समाज से विशेषज्ञता और परिप्रेक्ष्य में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेबर 20, साइंस 20 और यूथ 20 जैसे समूहों में भी पर्याप्त नागरिक भागीदारी देखी गई, जिसमें पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर सहित विभिन्न क्षेत्रों में नवीन गतिविधियों का विस्तार हुआ और सोशल मीडिया ने इस पहुंच का विस्तार किया जिसके परिणामस्वरूप 14 ट्रिलियन से अधिक इंप्रेशन प्राप्त हुए। तेजी से विभाजित होती दुनिया में, भारत के लोगों द्वारा संचालित और मानव-केंद्रित जी20 अध्यक्षता ने सामूहिक कार्रवाई की शक्ति का प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री जी ने इसे 'जनता की अध्यक्षता' के रूप में संदर्भित किया जो अधिक न्यायसंगत वैश्विक भविष्य को आकार देने में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की भावना का प्रतीक है।
लेखक ,अमिताभ कांत,भारत के जी20 शेरपा और पूर्व सीईओ, नीति आयाम, ईमेल: g20sherpaoffice@men.gov.in
स्रोत -योजना 2020
/articles/g20-played-earth-people-peace-and-prosperity