45 हजार लोग पुरखों से कृषि और पशुपालन से जुड़े हैं। इस सूखे प्रदेश में किसान अपनी मेहनत से ज्वार, बाजरा,गेहूँ, बाजरा, जीरा, कपास और चना बड़े पैमाने पर उगाते हैं। मीडिया में ढोलेरा के मेहनतकश किसानों की कोई चर्चा नहीं हैं। गुजरात सरकार 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून को दरकिनार करते हुए ज़मीन लेने का नया नज़रिया अख्तियार किया है। वह है गुजरात स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन एक्ट 2009। इसके तहत 50 फीसदी ज़मीन किसानों के हाथ से बिना किसी मुआवज़े के निकल जाएगी।
ढोलेरा स्मार्ट शहर ही नहीं राजनीतिक तन्त्र की क्रूर प्रयोगशाला है। यह गुजरात में पड़ता है। जिसके विकास मॉडल की दुहाई पूरे देश में दी जा रही है। उसे अब पूरे देश में लागू किया जा रहा है। गुजरात का एक ऐसा ही बड़ा इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन है ढोलेरा। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर पर बना ये शहर एक नियोजित शहर की तरह विकसित हो रहा है। दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर प्रोजेक्ट के बाद किस तरह ढोलेरा और आसपास के इलाके के इलाके के किसान तबाह हैं और पानी के नाम पर राजनीति हो रहा है।दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर प्रोजेक्ट की इस इलाके से गुजर रही है। इस प्रोजेक्ट के तहत इलाके में कुल 903 वर्ग किलोमीटर एरिया को विकसित किया जा रहा है। दिल्ली के नज़दीक दादरी को मुम्बई के जवाहरलाल नेहरू बन्दरगाह से जोड़ने वाली डेडिकेटेड फ्रेड कोरिडोर या मालवाहक रेलमार्ग सात राज्यों से गुजरेगी। इसके ईद-गिर्द पच्चीस जगहों को औद्योगिक रूप से विकसित करने की परिकल्पना है। इस पर पाँच सौ चालीस हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।
प्रथम चरण में सात जगहों पर काम आरम्भ किया जाएगा, इनमें अग्रणी है ढोलेरा। दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के उद्योग से ज्यादा सरकार की दिलचस्पी स्मार्ट शहर में है। सरकार की दिलचस्पी रोज़गार और उत्पादन से ज्यादा रिएल एस्टेट और ज़मीन के भाव में। इसका नतीजा यह हुआ है कि पिछले 3 साल में यहाँ ज़मीन की कीमत 80 गुना तक बढ़ चुकी है।
इस क्षेत्र में 45 हजार लोग पुरखों से कृषि और पशुपालन से जुड़े हैं। इस सूखे प्रदेश में किसान अपनी मेहनत से ज्वार, बाजरा,गेहूँ, बाजरा, जीरा, कपास और चना बड़े पैमाने पर उगाते हैं। मीडिया में ढोलेरा के मेहनतकश किसानों की कोई चर्चा नहीं हैं। गुजरात सरकार 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून को दरकिनार करते हुए ज़मीन लेने का नया नज़रिया अख्तियार किया है। वह है गुजरात स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन एक्ट 2009। इसके तहत 50 फीसदी ज़मीन किसानों के हाथ से बिना किसी मुआवज़े के निकल जाएगी। बिना किसी मुआवज़े के ज़मीन छीनने का यह आसान तरीका है। ज़मीन लेने का यह तरीका गुजरात में 1976 में अहमदाबाद शहर के विस्तार के लिए अख्तियार किया गया था।
22 गाँवों के प्रतिनिधियों ने अनेकों बैठकें की, सभाएँ बुलाई और सरकार की इस परियोजना का विरोध किया। हर गाँव के बाहर बोर्ड लगा है, जिस पर लिखा है एसआईआर से जुड़े लोगों का अन्दर आना मना है।
परियोजना के कागजों पर लिखा है- 'गाँव वाले इस परियोजना को लेकर उत्साहित हैं। जनवरी 2014 की जनसुनवाई में लोगों ने परियोजना रिपोर्ट की अनेक गलतियों पर सवाल उठाए हैं। लोगों के विरोध को दरकिनार करते हुए कुछ ही महीनों में ढोलेरा में एसआईआर को पर्यावरण मन्त्रालय से हरी झण्डी मिल गई। अब यह लड़ाई हाईकोर्ट तक पहुँच गई है। जनहित याचिका के माध्यम से किसानों ने एसआईआर एक्ट की संवैधानिक वैद्यता को चुनौती दी है।
पूरे ढोलेरा प्रकरण में ज़मीन ही नहीं पानी पर भी प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। नर्मदा पर सरदार सरोवर बाँध बनाने की मुहिम जब शुरू हुई तब सरकार ने तर्क दिया। सौराष्ट्र और कच्छ के किसान पानी की कमी से त्रस्त थे। वहाँ पानी उपलब्ध करने का वायदा किया गया था। ढोलेरा भी नर्मदा के कमाण्ड क्षेत्र का हिस्सा है। बाँध बनने के बाद नहरें नहीं बनी है।
सरकार ने किसानों को ज़मीन लेने के लिये नोटिस भेजी। हद तो तब हो गई जब एक और सरकारी विभाग सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड ने इनके खिलाफ एक और कदम उठाया, इस पूरे क्षेत्र को कमाण्ड एरिया से बाहर कर दिया गया। यहाँ के लोग एसआईआर हटाओ और नर्मदा का नीर लाओ माँग के साथ आन्दोलन चला रहे हैं। किसानों की पानी भी अब सरकार बेचने पर आमादा है।
ढोलेरा की शुरूआत स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन के तौर पर हुई थी। यह एस.ई.जेड की तर्ज पर औद्योगिक विस्तार है। सरकारी कागजों में ढोलेरा अचानक की स्मार्ट शहर बन गया।
गुजरात सरकार ढोलेरा के इलाके को स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन की तरह विकसित करेगी। जाएगा। इसके बाद यहाँ हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन, अदानी पावर और महिन्द्रा एंड महिन्द्रा जैसी कम्पनियाँ आने की तैयारी में हैं। साथ ही रेसिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी की कई योजनाएँ भी लॉन्च हो रही हैं।
ढोलेरा को शहर के रूप में विकसित करने में जापान का सहयोग लिया जा रहा है। 2040 तक राज्य सरकार इस पूरे इलाके को इंडस्ट्रियल, कमर्शियल, रिहायशी, एंटरटेनमेंट जैसे 12 जोन में डेवलप करेगी। दलील यह दी जा रही है कि लॉटरी किसी एक आदमी की तकदीर बदल सकती है लेकिन ढोलेरा में तो 22 गाँवों के हजारों किसानों की तकदीर बदलते दिख रही है। यह दावा हकीक़त से काफी दूर है।
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Post By: RuralWater