एनशिंएट टैंक - रिस्टोरेशन एंड रिजूवेनेशन कोर्स (Ancient Tank - Restoration and Rejuvenation Course)

गांव-गांव फैले हुई जल संकट से निजात पाने को प्राचीन जल संरचनाओं का पुनर्जीवन ही एकमात्र रास्ता है। बुंदेलखंड सहित पूरा मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा सहित पूरा महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल का एक बड़े हिस्से को बड़े एनशिएंट-टैंक हजारों साल से पानी पिलाते रहे हैं। 

प्राचीन जल संरचनाओं को फिर से जीवित करने के लिए कई तरह की कोशिशें चलती रहती हैं। सरकार के कई योजनाएं भी आती रहती हैं प्रदेश सरकारें भी कई-कई योजनाओं के माध्यम से कोशिश करती रहती हैं। इसी दिशा में एक और अच्छी पहल छतरपुर, बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश में स्थित महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने शुरू की है।

पीजी डिप्लोमा इन एनसिंएट टैंक - रिस्टोरेशन एंड रिजूवेनेशन कोर्स शुरू किया गया है। इस कोर्स का डिजाइन पूर्णतः जल के जानकार के. जी. व्यास जी ने किया है। भारतीय जल ज्ञान परंपरा पर शुरू किया गया यह कोर्स महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर, मध्य प्रदेश के द्वारा संचालित किया जाएगा। भारत की जल ज्ञान परंपरा का शायद पहला ही कोर्स होगा।

एनशिंएट टैंक - रिस्टोरेशन एंड रिजूवेनेशन कोर्स और बुंदेलखंड

बुंदेलखंड में साढ़े 17 हजार से अधिक प्राचीन तालाब हैं, सरकारी व निजी प्रयासों से काफी संख्या में नए तालाब भी खोदे जा चुके हैं। पेयजल के लिए कुएं हमारी अमूल्य धरोहर हैं, इनकी संख्या 35 हजार से ज्यादा है। बुंदेलखंड में जल संरक्षण का अपना प्राचीन फार्मूला है, वो है टैंक। पर बुंदेलखंड इन सबको भूलकर बाप-बार जल संकट से दो-चार हो रहा है। 

एनशिंएट टैंक का पुनर्जीवन बुंदेलखंड जैसे इलाकों में एक बड़ा समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं। एनशिंएट टैंक - रिस्टोरेशन एंड रिजूवेनेशन जैसे कोर्स एक सार्थक पहल की नींव हो सकता है। 

एनशिंएट टैंक - रिस्टोरेशन एंड रिजूवेनेशन कोर्स  से संबंधित कुछ मुख्य मुख्य जानकारी जो यहां पत्र अटैच किया गया है, उसमें दी गई है। आप उसे डाउनलोड कर के कोर्स के बारे में अतिरिक्त विवरण प्राप्त कर सकते हैं।
 

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