सारांश
भूमि की बाह्य परत एवं आस-पास के वातावरण के कारण जलविज्ञानीय तंत्र काफी जटिल एवं गतिशील प्रकृति का होता है। यद्यपि पृथ्वी पर जल विभिन्न रूपों में विधमान है तथापि बढ़ती जनसंख्या, स्वच्छ जल निकायों में बढ़ते प्रदूषण, शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण बढ़ती जल की मांग के चलते स्वच्छ जल की उपलब्धता में कमी आती जा रही है। इस बढ़ती हुई जल की कमी के कारण वर्तमान में जल की गुणवत्ता का मापन एक आवश्यकता बन गई है। वैश्विक स्तर पर जल की निगरानी व आपूर्ति संगठन व्यापक भौगोलिक क्षेत्र पर जल की गुणवत्ता की सही निगरानी करने के बारे में किन्तित है एवं समय-समय पर अपने निगरानी नेटवर्क को मजबूत करने में प्रयासरत हैं। हाइड्रोमेट्रिक नेटवर्क की अभिकल्पना स्टेशनों की न्यूनतम संख्या के आरम्भ होकर एवं धीरे-धीरे बढ़कर इष्टतम संख्या तक पहुंच जाती है। इष्टतम संख्या, उपलब्ध आंकड़ों की मात्रा एवं गुणवत्ता, उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं एवं आर्थिक रूप से न्यायसंगतता पर निर्भर करती है। जल विज्ञान के क्षेत्र में, आंकड़ों की निगरानी अधिकतर स्थल विशिष्ट होती है एवं स्थानिक पैमाने पर आंकड़ों के उचित प्रतिनिधित्व के लिए उचित नेटवर्क योजना की आवश्यकता होती है। चूंकि जल की गुणवत्ता के चालक स्थान और समय में भिन्न होते हैं, इसलिए जल की गुणवत्ता भी स्थान और समय के साथ भिन्न होती है। इसलिए विविध स्थान पर निर्भर परिस्थितियों में जल की गुणवत्ता की निगरानी करना अनिवार्य है, जिसके लिए एख विशेष जल गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क आवश्यक है। प्रस्तुत लेख एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM) हेतु आंकड़ों को एकत्र करने के लिए जल गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क की पहचान और योजना के संदर्भ में है।
परिचय
भारत में हाइड्रोलॉजिकल सिस्टम की निगरानी प्राचीन काल से ही ज्ञात है। वर्षा गेज और इसके उपयोग का पहला विवरण चाणक्य द्वारा लिखित अर्थशास्त्र (300 ईसा पूर्व) में निहित है। वराहमिहिर द्वारा लिखित बृहतसंहिता (ई 505-587) में वर्षा मापक, वायु फलक और वर्षा के लिए भविष्यवाणी प्रक्रियाओं का वर्णन है। मिस्रवासियों क 1800 ईसा पूर्व नदियों के चरण माप का महत्व और नील नदी के चरणों का रिकॉर्ड पता था। हाइड्रोलॉजिकल चक्र का ज्ञान यूरोप में बहुत बाद में, लगभग 1500 ई0 में जाना गया (सुब्रमण्य, 2010)। वर्तमान समय में, जल की गुणवत्ता की निगरानी के नेटवर्क की इष्टतम अभिकल्पना और दक्षता में सुधार से सम्बन्धित समस्याएं वर्ष 1970 के बाद से शोध का विषय रही हैं (निंग और चांग, 2002)। विशिष्ट निगरानी स्टेशनों के लिए नेटवर्क डिजाइन और स्थल चयन हेतु मानदंड के लिए बुनियादी सिद्धान्तों का मूल्यांकन किया गया है और कई शोधकर्ताओं (स्काल्स्की एवं मैकेंजी, 1982; लटनमेयर एट अल, 1986; स्मिथ और मैकब्राइड, 1990) द्वारा लागू किया गया है। बाद के अध्ययनों ने विभिन्न प्रकार की सांख्यिकीय और/ या प्रोग्रामिंग तकनीकों का उपयोग करते हुए पानी की गुणवत्ता की निगरानी के नेटवर्क के प्रभावी डिजाइन पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया है, जैसे कि पूर्णांक प्रोग्रामिंग, मल्टी ऑब्जेक्टिव प्रोग्रामिंग, क्रिगिंग सिद्धांत और अनुकूलन विश्लेषण (हुडक एट अल, 1995; डिक्सन)।
भारत के विभिन्न जल निगरानी और जल आपूर्ति संगठन और संस्थान, व्यापक भौगोलिक क्षेत्र हेतु जल संसाधनों की अधिक सटीक निगरानी रखने के लिए अधिक चिंतित हैं, और इस प्रकार समय-समय पर अपने निगरानी नेटवर्क को मजबूत करते हैं। ऐसी एजेंसियां और शोधकर्ता वर्षा (वर्षा और हिमपात के रूप में), धारा प्रवाह (सीपीसीबी, 2009, सरगांवकर और देशपांडे, 2003; समांत्रे एटल, 2009, जिंदल और शर्मा 2011), भूजल (कृष्ण एट अल 2013, 2014), झीलों, जलाशयों इत्यादि विभिन्न जल निकायों की जल गुणवत्ता की निगरानी कर चुके हैं।
हाइड्रोमेट्रिक नेटवर्क का डिजाइन आदर्श रूप से न्यूनतम स्टेशनों के साथ शुरू होता है, और धीरे-धीरे बढ़ता है जब तक कि एक इष्टतम नेटवर्क प्राप्त नहीं होता है जब तक एकत्रित डेटा की मात्रा और गुणवत्ता आर्थिक रूप से उचित होती है और यह विशिष्ट निर्णय लेने के लिए उपयोगकर्ता की जरूरतों को पूरा करती है। नेटवर्क प्लानिंग किसी भी निगरानी प्रणाली की रीढ़ होती है। जल विज्ञान के क्षेत्र में, आंकड़ों की निगरानी के लिए चयनित अधिकतर स्थल विशिष्ट होते हैं, एवं स्थानिक पैमाने पर इन आंकड़ों के उचित प्रतिनिधित्व के लिए उचित नेटवर्क योजना की आवश्यकता होती है। प्रस्तुत अध्ययन एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM) के लिए आंकड़ों के अधिग्रहण हेतु जल गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क की पहचान और योजना के संदर्भ में किया गया है।
जल गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क
जल के नमूनों के संग्रह हेतु नेटवर्क प्रकृति में काफी सामान्य होता है जिसमें विभिन्न प्रकार के नमूनों के संग्रहके लिए एक नेटवर्क स्थापित किया जाता है। इस नेटवर्क के तहत एकत्र किए गए नमूनों का उपयोग विभिन्न हाइड्रोलॉजिकल विश्लेषण यथा पानी की गुणवत्ता, समस्थानिक विश्लेषण, अवसादन आदि के लिए किया जाता है। पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए कई दृष्टिकोण है। मॉनिटरिंग को रणनीतिक रूप से स्थित दीर्घकालिक स्टेशनों के नेटवर्क के माध्यम से किया जा सकता है, बार-बार अल्पकालिक सर्वेक्षण, या इन दोनों के संयोजन से जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम के मूल उद्देश्यों के अतिरिक्त, स्टेशनों के स्थान के चयन हेतु निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
- मौजूदा पानी की समस्याएं और स्थितियां
- संभावित विकास केन्द्र (औद्योगिक और नगर निगम)
- जनसंख्या के रुझान
- जलवायु, भूगोल और भूविज्ञान
- पहुंच
- उपलब्ध जनशक्ति, धन, क्षेत्र और प्रयोगशाला डेटा हैंडलिंग सुविधाएं
- अंतर-न्यायिक विचार
- प्रयोगशाला में ले जाने में लगने वाला समय (नमूने के बिगड़ने के लिए), तथा
- कर्मियों की सुरक्षा
जल गुणवत्ता मानक
जल की गुणवत्ता की विशेषता वाले मापदंडों को कई तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है, जिसमें भौतिक गुण (जैसे, तापमान, विद्युत चालकता, रंग, मैलापन), अकार्बनिक रासायनिक घटक (जैसे, घुलित ऑक्सीजन, क्लोराइड, क्षारीयता, फ्लोराइड, फॉस्फोरस, धातु), कार्बनिक शामिल हैं, रासायनिक गुण (जैसे, फेनोल, क्लोरीनयुक्त हाइड्रोकार्बन, पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन और पेस्टीसाइड्स) और जैविक घटक, दोनों सूक्ष्मजीव विज्ञानी, जैसे कि मल के समान, और मैक्रोबायोटिक, जैसे कीड़े, प्लवक और मछली, जो जलीय पर्यावरण के पारिस्थितिक स्वास्थ्य का संकेत कर सकते हैं (WMO, 1994)
एक दूसरा वर्गीकरण पैरामीटर से जुड़े महत्व के अनुसार किया जाता है। यह जल निकाय के प्रकार, जल के इच्छित उपयोग और निगरानी कार्यक्रम के उद्देश्यों के साथ बदलता रहता है।
जल गुणवत्ता चर को कभी-कभी दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता हैः
i.मूल चर (तालिका1 में दिए गए)।
ii. उपयोग से सम्बन्धित चर
- पेयजल आपूर्ति
- सिंचाई और
- जलीय जीवन की सामान्य गुणवत्ता।
तालिका 1. जल गुणवत्ता मूल चर
क्रमांक |
प्राचल |
नदी |
झील एवं जलाशय |
भूजल |
अ |
सामान्य जल गुणवत्ता |
|
|
|
1. |
जल स्तर/डिस्चार्ज |
X |
x |
x |
2. |
कुल निलंबित ठोस |
X |
- |
- |
3. |
तापमान |
X |
x |
x |
4. |
पी एच |
X |
x |
x |
5. |
विद्युत चालकता |
X |
x |
x |
6. |
घुलित आक्सीजन |
X |
x |
x |
7. |
पारदर्शिता |
- |
x |
- |
ब |
घुलित लवण |
|
|
|
8. |
कैल्शियम |
X |
x |
x |
9. |
मैग्नीशियम |
X |
x |
x |
10. |
सोडियम |
X |
x |
x |
11. |
पोटेशियम |
X |
x |
x |
12. |
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