जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये अफ्रीका ने सेनेगल से लेकर जिबॉटी तक पेड़ों की 14 किलोमीटर चौड़ी और 6400 किलोमीटर लम्बी हरित दीवार बनाना तय किया है। बढ़ते हुए रेगिस्तानीकरण को रोकने के लिये बनी इस विवादास्पद परियोजना को अब सेनेगल में आकार मिलना शुरू हो गया है। यहां पहले ही 50,000 एकड़ जमीन पर पेड़ लगा दिये गये हैं। अटलांटिक महासागर की गोद में बसा एक छोटा सा प्रायद्वीप है-सेनेगल। राजधानी है डकार। जो विशाल देश चीन की तरह एक दीवार बना रहा है। पर यह दीवार पत्थरों की नहीं, पेड़ों की हैं जो हजारों मील दूर दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान सहारा से उठने वाली रेतीली आंधियों के आक्रमण से मुकाबला करने के लिए है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि कम वर्षा इस इलाके में पेड़ों की यह दीवार रेत की आंधी को रोक सकेगी। और इलाके में समृद्धि भी ला सकेगी। इस पुनीत काम के लिए विश्व बैंक सहित अनेक दानदाता संस्थाएं भी आगे आई हैं। डकार ने इस साल कई रेतीले तूफान झेले हैं। यहां रेतीली धूल इस कदर आती है कि उसके गुबार से ऊची इमारतें तक ढंक जाती है, इस तूफान ने यहां के निवासियों को झकझोर दिया है। उष्ण कटिबंधीय सेनेगल में मानसून का मौसम जुलाई-अगस्त में शुरू होता था पर मौसम के बदलाव के चलते यह मानसून अब सितम्बर में खिसक चला है।सीमित वर्षा वाले इस इलाके में अब और कम बारिश होने लगी है। वर्ष भर में यहां औसतन मात्र 600 मिमी वर्षा होती है। ऐसे में यहां के निवासियों के लिए अनाज पानी, चारा, आदि की समस्याएं मुंह बाए खड़ी रहती हैं।
एक मोटे अनुमान के अनुसार अफ्रीका के कुल क्षेत्रफल का 40 प्रतिशत हिस्सा रेगिस्तानीकरण से प्रभावित है । संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अगर यही हाल रहा तो सन् 2025 तक अफ्रीका की एक तिहाई खेती वाली ज़मीन खत्म हो सकती है। सेनेगल, अफ्रीका के साहेल क्षेत्र के उन 11 देशों में से एक है, जो रेगिस्तानीकरण की समस्या से निपटने के लिए एक समान विकल्प पर काम कर रहा है। बढ़ते रेगिस्तान को रोकने का विकल्प है - पेड़ों की घनी लम्बी दीवार बनाना। परियोजना के तहत पूरे अफ्रीका महाद्वीप में पश्चिमी हिस्से सेनेगल से लेकर पूर्वी हिस्से जिबॉटी तक पेड़ों की 14 किलोमीटर चौड़ी और 6400 किलोमीटर लंबी दीवार खड़ी करना हैं। अफ्रीकी राजनेताओं को उम्मीद है कि ये पेड़ रेत को वहां रोक लेंगे और इस तरह रेगिस्तान का बढ़ना रुक सकेगा। सेनेगल में महान हरित दीवार परियोजना के तकनीकी निदेशक है-पापा सार। उनके अनुसार हमें आशा है कि एक बार दीवार बनना शुरू हो जाए तो डकार में रेत आना कम हो जाएगी।
डकार के दक्षिण पश्चिम में विदाउ गांव इस हरित दीवार परियोजना का शुरूआती हिस्सा है । यहां पर लगाए बबूल (अकेसिया) के पेड़ों उम्र चार बरस है ओैर कमर तक उंचे और कांटेदार हैं। इन पेड़ों के चारों और तारों का घेरा है ताकि बकरियों एवं अन्य मवेशियों को चरने से रोका जा सके।
पापा सार कहते हैं, ’’मरूस्थली इलाके होने से यहां कौन-सा पेड़ लगेगा इसका चुनाव सोच समझकर किया है। ताकि इस इलाके में सबसे अच्छी तरह क्या उग सकता है इनकी सीख हमें यहां की प्रकृति ने दी है।’’
सेनेगल में प्रतिवर्ष लगभग 2 लाख पेड़ लगाए जा रहे हैं। पर इन्हें रोपने का सही वक्त वर्षा वाला मौसम ही है। यहां के श्रमिक अकेसिया के छोटे से पौधे को मिट्टी में रोपते हैं और खाद के लिए मवेशी के मल का उपयोग करते हैं। इनमें से अधिकांश पौधे बबूल की एक प्रजाति निलोटिका के हैं, जिससे अरबी गोंद निकलता है, जिसका इस्तेमाल स्थानीय लोग उपचारार्थ करते हैं और इसका फल पशुओं के खाने के काम आता है।
परियोजना की सफलता के लिए यह बहुत ही अहम है कि यहां वहीं पेड़ लगाए जाएं जो भविष्य में स्थानीय रहवासियों को फायदा दे सकें। सरकार की मंशा ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की है। महान हरित दीवार निर्माण करना एक ऐसी ही विकास परियोजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीणों की मदद करना हैं।
सेनेगल साहेल क्षेत्र में पियूल जनजाति का प्रभाव है। पियूल लोग प्रायः परंपरागत चरवाहे हैं। ये पियूल इन पेड़ों की देखभाल करते है और बगीचे लगा रहे हैं। इन बगीचों में गाजर, बंदगोभी, टमाटर, तरबूज उगाये जा रहे हैं। सप्ताह में एक दिन घर की महिलाएं इन बगीचों की चौकीदारी करती है और सहेलियों के साथ खेलती-कूदती हैं । सब महिलाएं इससे खुश हैं। बेशक होना भी चाहिए आखिर उनके पास अब विभिन्न प्रकार की सब्ज़ियाँ जो हैं पकाने के लिए। जरूरत जितनी सब्जियों को रखकर शेष को बाजार में बेच देते हैं इस तरह उनकी आमदनी भी हो जाती है।
पियूल समुदाय में महिला पुरूषों के बीच काम का स्पष्ट बँटवारा है। इसलिए महिलाएं जहां परियोजना के फायदे को बगीचे के रूप में देखती है, वही पुरुषों का नजरिया अलग है। पुरूषों की प्रमुख जिम्मेदारी बकरियों और गायों के विशाल परिवार की देखभाल करना है। ये लोग अपनी आजीविका के लिए इन मवेशियों पर निर्भर हैं। वैज्ञानिकों को आशा है कि महान हरित दीवार परियोजना के पेड़ों से क्षेत्र में अच्छी वर्षा होगी और जल स्तर बढ़ेगा। वहीं स्थानीय चरवाहों के लिए यह परियोजना वरदान साबित होगी। उनका कहना है जितने पेड़ लगेंगे उतना पानी आएगा। पानी हमारा भविष्य है-यह पानी हमारी सब समस्याएं दूर कर देगा।
हरित दीवार परियोजना में लगे सभी अधिकारी मानते हैं कि योजना का अंतिम लक्ष्य ग्रामीण समुदायों की मदद करना है। लेकिन इसका बेहतर क्रियान्वयन कैसे हो? इसके बारे में अलग-अलग विचार हैं।
अफ्रीकी राजनेता इसे महज एक पेड़ों की दीवार की तरह ही देखते हैं जो रेगिस्तान की रेत को दूर रखेगी। लेकिन वैज्ञानिक और विकास एजेंसियां इसे महज एक दीवार से बढ़कर, गरीबी उन्मूलन एवं बिगड़ी भूमि को बेहतर करने वाली विविध परियोजनाओं की एक कसीदाकारी मानते हैं।
हरित दीवार परियोजना के लिए विश्व बैंक से कुल 1080 खरब डॉलर की और वैश्विक पर्यावरण सुविधा समूह से 1080 लाख डॉलर की सहायता मिली हैं। इस समूह के कार्यक्रम अधिकारी जीनमार्क सिन्नासामी के अनुसार ’’ हम किसी भी वृक्षारोपण कार्यक्रम के लिए वित्तीय सहायता नहीं देते हैं, पर यह परियोजना सिर्फ पेड़ लगाने की बजाए कृषि, ग्रामीण विकास, खाद्य सुरक्षा एवं टिकाऊ भूमि प्रबंधन से कहीं ज्यादा जुड़ी हुई हैं।’’
इस परियोजना में सम्मिलित सभी 11 देश इसे आगे ले जाने के लिये प्रतिबद्ध है किंतु इन देशों के सामने बहुत-सी चुनौतियाँ हैं। जिसमें अत्यंत गरीबी, बदलता मौसम और राजनीतिक अस्थिरता प्रमुख हैं। पूरा क्षेत्र खाद्य संकट की गिरफ़्त में है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम के अनुमान के मुताबिक साहेल में 1 करोड़ 10 लाख लोगों के पास खाने को पर्याप्त मात्रा नहीं हैं।
महान हरित दीवार में निर्माण में सेनेगल सबसे आगे हैं। मौजूदा पेड़ों को बचाने के साथ- साथ उन्होंने मोटे तौर पर कोई 50 हजार एकड़ में नये पेड़ लगाये हैं। सेनेगल में तो यह अभी तक सफल रहा हैं लेकिन पड़ोसी देशों को यह शंका हैं कि यह काम पूरे साहेल क्षेत्र में कारगर हो सकता है। पापा सार कहते हैं ’’आगामी 10 से 15 वर्षों में यहां एक विशालकाय जंगल होगा। पेड़ बड़े होंगे और इस क्षेत्र का पूरी तरह कायाकल्प हो जायेगा। वर्षों पहले पलायन करने वाले जानवर भी अब वापस आ रहे हैं। इनमें हिरण, सियार और जंगली पक्षियों की अनेक प्रजातियाँ प्रमुख हैं।
सेनेगल के नव निर्वाचित राष्ट्रपति मैकी सैल को भी महान हरित दीवार के प्रति उतनी ही मजबूत प्रतिबद्धता दिखानी होगी जितनी पूर्व राष्ट्रपति अबडाउली वेड की रही है। लेकिन अपनी गायों को पालते, बगीचों को पानी देते और यह उम्मीद करते कि बारिश आयेगी, यहां रहने वाले लोगों के लिये महान हरित दीवार सेनेगल और शेष क्षेत्र में आने वाली पीढ़ियों के लिये सकारात्मक बदलाव की अपार संभावना लिए हुए हैं।
एक मोटे अनुमान के अनुसार अफ्रीका के कुल क्षेत्रफल का 40 प्रतिशत हिस्सा रेगिस्तानीकरण से प्रभावित है । संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अगर यही हाल रहा तो सन् 2025 तक अफ्रीका की एक तिहाई खेती वाली ज़मीन खत्म हो सकती है। सेनेगल, अफ्रीका के साहेल क्षेत्र के उन 11 देशों में से एक है, जो रेगिस्तानीकरण की समस्या से निपटने के लिए एक समान विकल्प पर काम कर रहा है। बढ़ते रेगिस्तान को रोकने का विकल्प है - पेड़ों की घनी लम्बी दीवार बनाना। परियोजना के तहत पूरे अफ्रीका महाद्वीप में पश्चिमी हिस्से सेनेगल से लेकर पूर्वी हिस्से जिबॉटी तक पेड़ों की 14 किलोमीटर चौड़ी और 6400 किलोमीटर लंबी दीवार खड़ी करना हैं। अफ्रीकी राजनेताओं को उम्मीद है कि ये पेड़ रेत को वहां रोक लेंगे और इस तरह रेगिस्तान का बढ़ना रुक सकेगा। सेनेगल में महान हरित दीवार परियोजना के तकनीकी निदेशक है-पापा सार। उनके अनुसार हमें आशा है कि एक बार दीवार बनना शुरू हो जाए तो डकार में रेत आना कम हो जाएगी।
डकार के दक्षिण पश्चिम में विदाउ गांव इस हरित दीवार परियोजना का शुरूआती हिस्सा है । यहां पर लगाए बबूल (अकेसिया) के पेड़ों उम्र चार बरस है ओैर कमर तक उंचे और कांटेदार हैं। इन पेड़ों के चारों और तारों का घेरा है ताकि बकरियों एवं अन्य मवेशियों को चरने से रोका जा सके।
पापा सार कहते हैं, ’’मरूस्थली इलाके होने से यहां कौन-सा पेड़ लगेगा इसका चुनाव सोच समझकर किया है। ताकि इस इलाके में सबसे अच्छी तरह क्या उग सकता है इनकी सीख हमें यहां की प्रकृति ने दी है।’’
सेनेगल में प्रतिवर्ष लगभग 2 लाख पेड़ लगाए जा रहे हैं। पर इन्हें रोपने का सही वक्त वर्षा वाला मौसम ही है। यहां के श्रमिक अकेसिया के छोटे से पौधे को मिट्टी में रोपते हैं और खाद के लिए मवेशी के मल का उपयोग करते हैं। इनमें से अधिकांश पौधे बबूल की एक प्रजाति निलोटिका के हैं, जिससे अरबी गोंद निकलता है, जिसका इस्तेमाल स्थानीय लोग उपचारार्थ करते हैं और इसका फल पशुओं के खाने के काम आता है।
परियोजना की सफलता के लिए यह बहुत ही अहम है कि यहां वहीं पेड़ लगाए जाएं जो भविष्य में स्थानीय रहवासियों को फायदा दे सकें। सरकार की मंशा ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की है। महान हरित दीवार निर्माण करना एक ऐसी ही विकास परियोजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीणों की मदद करना हैं।
सेनेगल साहेल क्षेत्र में पियूल जनजाति का प्रभाव है। पियूल लोग प्रायः परंपरागत चरवाहे हैं। ये पियूल इन पेड़ों की देखभाल करते है और बगीचे लगा रहे हैं। इन बगीचों में गाजर, बंदगोभी, टमाटर, तरबूज उगाये जा रहे हैं। सप्ताह में एक दिन घर की महिलाएं इन बगीचों की चौकीदारी करती है और सहेलियों के साथ खेलती-कूदती हैं । सब महिलाएं इससे खुश हैं। बेशक होना भी चाहिए आखिर उनके पास अब विभिन्न प्रकार की सब्ज़ियाँ जो हैं पकाने के लिए। जरूरत जितनी सब्जियों को रखकर शेष को बाजार में बेच देते हैं इस तरह उनकी आमदनी भी हो जाती है।
पियूल समुदाय में महिला पुरूषों के बीच काम का स्पष्ट बँटवारा है। इसलिए महिलाएं जहां परियोजना के फायदे को बगीचे के रूप में देखती है, वही पुरुषों का नजरिया अलग है। पुरूषों की प्रमुख जिम्मेदारी बकरियों और गायों के विशाल परिवार की देखभाल करना है। ये लोग अपनी आजीविका के लिए इन मवेशियों पर निर्भर हैं। वैज्ञानिकों को आशा है कि महान हरित दीवार परियोजना के पेड़ों से क्षेत्र में अच्छी वर्षा होगी और जल स्तर बढ़ेगा। वहीं स्थानीय चरवाहों के लिए यह परियोजना वरदान साबित होगी। उनका कहना है जितने पेड़ लगेंगे उतना पानी आएगा। पानी हमारा भविष्य है-यह पानी हमारी सब समस्याएं दूर कर देगा।
हरित दीवार परियोजना में लगे सभी अधिकारी मानते हैं कि योजना का अंतिम लक्ष्य ग्रामीण समुदायों की मदद करना है। लेकिन इसका बेहतर क्रियान्वयन कैसे हो? इसके बारे में अलग-अलग विचार हैं।
अफ्रीकी राजनेता इसे महज एक पेड़ों की दीवार की तरह ही देखते हैं जो रेगिस्तान की रेत को दूर रखेगी। लेकिन वैज्ञानिक और विकास एजेंसियां इसे महज एक दीवार से बढ़कर, गरीबी उन्मूलन एवं बिगड़ी भूमि को बेहतर करने वाली विविध परियोजनाओं की एक कसीदाकारी मानते हैं।
हरित दीवार परियोजना के लिए विश्व बैंक से कुल 1080 खरब डॉलर की और वैश्विक पर्यावरण सुविधा समूह से 1080 लाख डॉलर की सहायता मिली हैं। इस समूह के कार्यक्रम अधिकारी जीनमार्क सिन्नासामी के अनुसार ’’ हम किसी भी वृक्षारोपण कार्यक्रम के लिए वित्तीय सहायता नहीं देते हैं, पर यह परियोजना सिर्फ पेड़ लगाने की बजाए कृषि, ग्रामीण विकास, खाद्य सुरक्षा एवं टिकाऊ भूमि प्रबंधन से कहीं ज्यादा जुड़ी हुई हैं।’’
इस परियोजना में सम्मिलित सभी 11 देश इसे आगे ले जाने के लिये प्रतिबद्ध है किंतु इन देशों के सामने बहुत-सी चुनौतियाँ हैं। जिसमें अत्यंत गरीबी, बदलता मौसम और राजनीतिक अस्थिरता प्रमुख हैं। पूरा क्षेत्र खाद्य संकट की गिरफ़्त में है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम के अनुमान के मुताबिक साहेल में 1 करोड़ 10 लाख लोगों के पास खाने को पर्याप्त मात्रा नहीं हैं।
महान हरित दीवार में निर्माण में सेनेगल सबसे आगे हैं। मौजूदा पेड़ों को बचाने के साथ- साथ उन्होंने मोटे तौर पर कोई 50 हजार एकड़ में नये पेड़ लगाये हैं। सेनेगल में तो यह अभी तक सफल रहा हैं लेकिन पड़ोसी देशों को यह शंका हैं कि यह काम पूरे साहेल क्षेत्र में कारगर हो सकता है। पापा सार कहते हैं ’’आगामी 10 से 15 वर्षों में यहां एक विशालकाय जंगल होगा। पेड़ बड़े होंगे और इस क्षेत्र का पूरी तरह कायाकल्प हो जायेगा। वर्षों पहले पलायन करने वाले जानवर भी अब वापस आ रहे हैं। इनमें हिरण, सियार और जंगली पक्षियों की अनेक प्रजातियाँ प्रमुख हैं।
सेनेगल के नव निर्वाचित राष्ट्रपति मैकी सैल को भी महान हरित दीवार के प्रति उतनी ही मजबूत प्रतिबद्धता दिखानी होगी जितनी पूर्व राष्ट्रपति अबडाउली वेड की रही है। लेकिन अपनी गायों को पालते, बगीचों को पानी देते और यह उम्मीद करते कि बारिश आयेगी, यहां रहने वाले लोगों के लिये महान हरित दीवार सेनेगल और शेष क्षेत्र में आने वाली पीढ़ियों के लिये सकारात्मक बदलाव की अपार संभावना लिए हुए हैं।
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