एक अनोखे नाम वाला पर्वत - ‘एवलांच पीक’


हम तुम्हें हिमालय पर्वतमालाओं में स्थित कई पर्वत चोटियों के विषय में बता चुके हैं। उनमें से कुछ पर्वतचोटियां ऐसी हैं, जिन पर तुम थोड़ी सी तैयारी कर के किसी गाइड के मार्गदर्शन में चढ़ सकते हो तो कुछ ऐसी भी हैं, जिन पर चढ़ने के लिए तुम्हें बड़े होकर पर्वतारोहण सीखना होगा। इसके साथ ही तुमने यह भी जाना कि हिमालय के बहुत से दुर्गम और अनोखे हिमशिखर भी हैं। आज हम एक बार फिर तुम्हें एक अनोखे पर्वत शिखर के विषय में बताते हैं। उसका नाम है - ‘एवलांच पीक’।

एवलांच पीक वास्तव में दो पर्वत शिखरों का समूह है। यह पीक उत्तराखंड में बदरीनाथ के उत्तर-पश्चिम में अरवा घाटी के ऊपरी क्षेत्र में स्थित है। इसके बारे में आगे बताने से पूर्व हम तुम्हें यह बता दें की ‘एवलांच’ क्या होता है। यह तो तुम जानते हो कि ऊंचे पहाड़ों और उनके बीच ऊंची घाटियों में हमेशा बर्फ जमी रहती है। ऐसी जगह पर कभी-कभी प्राकृतिक रूप से अचानक हिमस्खलन होता है तो बर्फ का विशाल ढेर पहाड़ी ढलान पर तेजी से सरकता हुआ नीचे आने लगता है। उसे एवलांच कहते हैं। उसकी चपेट में आने से दुर्घटनाएं भी होती हैं, इसलिए पर्वतारोही एवलांच से हमेशा सतर्क रहते हैं। अब हम तुम्हें बताते हैं कि इनका नाम ‘एवलांच पीक’ क्यों पड़ा।

यह नाम उन पर्वतारोहियों ने दिया, जिन्होंने आरम्भ में इन शिखरों पर चढ़ने के प्रयास किये थे। उन्हें इन शिखरों के मार्ग में पड़ने वाले ग्लेशियर पार करते समय अक्सर एवलांच का सामना करना पड़ता था, इसलिए उन्होंने इन हिमशिखरों को ‘एवलांच पीक’ नाम दे दिया। है ना एक अनोखी बात! लेकिन फिर भी उन लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और वह इन शिखरों पर फतह पाने के प्रयास करते रहे।

एवलांच पीक समूह की पीक्स में से ‘एवलांच-फर्स्ट’ प्रमुख है। हालांकि इसकी ऊंचाई दूसरी पीक से कम है, किन्तु यह प्रमुख पीक कहलाती है। यह तो तुम जानते हो ना, कि पर्वत और स्थानों की ऊंचाई को समुद्रतल से मापा जाता है। समुद्रतल से इस पर्वत की ऊंचाई 6,196 मीटर है। इस पर्वत पर पहली बार एरीक शिप्टन और फ्रेंक स्मिथ ने दो शेरपाओं के साथ 1931 में विजय पायी थी। इस पर्वत के दक्षिण में ‘एवलांच-सेकेंड पीक’ स्थित है। यह समुद्रतल से 6,443 मीटर की ऊंचाई पर है। एवलांच पीक के निकट अन्य स्थानों में चंद्रा पर्वत, चतुरंगी ग्लेशियर और कालिंदी खाल प्रमुख हैं।

बहुत से लोग पर्वतारोहण नहीं सीख पाते, लेकिन उनमें साहस की कमी नहीं होती और वह ऊंचे हिमशिखरों को देखना चाहते हैं। ऐसे लोग हाई अल्टीट्यूड ट्रैकिंग कर के उन स्थानों तक पहुंचते हैं, जहां से मनमोहक पर्वत शिखर काफी निकट नजर आते हैं।

‘एवलांच पीक को देखने के लिए ऐसे बहादुर लोगों को ‘कालिंदी खाल’ की ट्रैकिंग करनी पड़ती है। यह भी अपने आप में एक अदम्य साहस का कारनामा होता है। कालिंदी खाल एक दर्रा है। यह 5,947 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसके पास से गुजरते हुए माना पर्वत, अबिगमीन पीक और कामेट पीक भी नजर आती हैं। वहां जाने के लिए टैकर्स गंगोत्री, भोजवासा, गोमुख और गंगोत्री ग्लेशियर पर स्थित नंदनवन जैसे सुंदर स्थानों से होकर जाते हैं। सोचो जरा, प्राकृतिक सौन्दर्य से सजे ऐसे सुंदर स्थान हिम्मत वाले लोग ही देख पाते हैं। साहसी बन कर तुम भी ऐसी जगहों पर जाकर रोमांचक सफर का आनंद ले सकते हो।
 
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