भारतीय फैशन में ब्रांड बन चुका खादी अब अन्य देशों में भी लोकप्रिय होता जा रहा है। अमेरिका के मशहूर फैशन ब्रांड पेटागोनिया ने अपने परिधानों में खादी डेनिम का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। इस कंपनी ने हाल ही में भारत से 1.08 करोड़ रुपये का करीब 30 हजार मीटर खादी डेनिम फैब्रिक खरीदा है।
खादी शुद्धता और मजबूती का प्रतीक माना जाता है। अमेरिकी कंपनी द्वारा अपने फैशन में इसका इस्तेमाल करना ग्लोबल फैशन की दुनिया में एक बड़ा कदम है। पेटागोनिया ने भारत की प्रमुख कपड़ा मिल अरविंद मिल्स के माध्यम से गुजरात से यह खादी डेनिम फैब्रिक खरीदा है। मिल्स गुजरात के केवीआईसी प्रमाणित खादी संस्थानों से हर साल बड़ी मात्रा में खादी डेनिम कपड़े खरीदेगा।.दुनिया में सबसे टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल कपड़ा होने के कारण दुनिया में खादी की मांग बढ़ती जा रही है। खादी डेनिम दुनिया में एकमात्र दस्तकारी डेनिम फैब्रिक है, जिसने देश और विदेश में व्यापक लोकप्रियता हासिल की है। कपड़े की बेहतर गुणवत्ता, आराम, जैविक और पर्यावरण के अनुकूल गुणों के कारण प्रमुख फैशन ब्रांडों में खादी डेनिम के प्रति आकर्षण बढ़ा रहा है।
एक अध्ययन के मुताबिक खादी उद्योग के कुल व्यापार में साल दर साल वृद्धि दर्ज की जा रही है। वर्ष 2016-17 में भारत में खादी का कुल व्यापार 50 हजार करोड़ का हुआ। इस व्यापार में उत्तर प्रदेश की सर्वाधिक भागीदारी है। इसके बाद तमिलनाडु और हरियाणा का स्थान है। सिल्क खादी के व्यापार में पश्चिम बंगाल का स्थान सबसे ऊपर है। दूसरी तरफ ऊनी खादी के व्यापार में हरियाणा का स्थान सर्वोपरि है। भारतीय डिजाइनर्स के नये ब्रांड, फैशनेबल खादी के उत्पादों पर फोकस कर रहे हैं। अलग-अलग क्षेत्रों के सेलेब्रिटीज भी खादी के प्रमोशन में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। डिजाइनर अनाविला मिश्रा कहती हैं कि खादी का युवाओं में क्रेज बढ़ रहा है, भारत की जलवायु और जीवनशैली के अनुकूल होने के कारण खादी युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रही है। यह ट्रेंड न केवल भारत के हथकरघा क्षेत्र को मजबूती दे रहा है, बल्कि कुल टेक्सटाइल उद्योग व्यापार में अपनी बड़ी हिस्सेदारी भी तय कर रहा है।
ग्रीनवायर फैशन प्रा. लि. के संस्थापक अभिषेक पाठक कहते हैं कि खादी नेचुरल पहनावा है, इसलिए अत्यधिक आरामदायक है। खादी वैरिएशन्स की कोई सीमा नहीं है। इसलिए भी यह युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रही है। खादी केवल स्पेसिफिक उत्पाद नहीं है, बल्कि यह एक स्पेसिफिक प्रक्रिया भी है। इसमें कताई करने वाले, बुनाई करने वाले और हैण्डीक्राफ्ट के जानकार परिवारों की पूरी श्रृंखला काम कर रही है।
ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए डिजाइनर्स भी लेटेस्ट ट्रेंड को फाॅलो कर रहे हैं। खादी की बढ़ती लोकप्रियता से खुश होकर फैशन डिजाइनर गौतम गुप्ता कहते हैं कि नये डिजाइनिंग विकल्पों की उपलब्धता ने भी खादी की मांग बढ़ाई है। आधुनिक युवा पीढ़ी आज ऐसे फैशन में संभावना देखती है, जो स्वदेशी भी हो और नेचर फ्रेंडली भी। निश्चित रूप से उनकी इस मांग पर खादी खरी उतर रही है। खादी के उत्पादन में मशीनों और ऊर्जा का अल्पतम उपयोग होता है। यह उद्योग कचरा भी नहीं छोड़ता। खादी का एक मीटर कपड़ा तैयार करने में मात्र तीन लीटर पानी का व्यय होता है, वहीं मिलों में एक मीटर कपड़ा 55 लीटर पानी पी जाता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में खादी की जगह बेहद महत्त्वपूर्ण है। खादी के उत्पादन में दिखने वाले ये त्वरित लाभ, लोगों को इसे अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। लोगों की इस काम में कई चरणों में संलग्नता, एक समाज के रूप में हम सबको किसी न किसी प्रक्रिया से जोड़ती है।
बदलते समय के साथ खादी उद्योग में टर्निंग प्वाइंट आया है। खादी अब केवल ग्रामीण उद्योग ही नहीं रहा। अब यह अपनी जड़ों, परंपराओं और विरासत के साथ माॅडर्न लग्जरी उद्योग भी बन रहा है। भारत के कुल वस्त्र उद्योग में खादी इंडस्ट्री आज 10 प्रतिशत हिस्सेदारी निभा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर देश के 5 प्रतिशत लोग भी सोलर चरखे का इस्तेमाल करना शुरू करें, तो उत्पादन में 1.8 करोड़ कुंतल सूत की वृद्धि हो सकती है, जो आज भारत की कुल सूत उत्पादन क्षमता का लगभग आधा है। खादी इंडस्ट्री आज लगभग 1.2 करोड़ भारतीय ग्रामीणों को उनके गांवों में रोजगार उपलब्ध करा रही है।
स्रोत - सर्वोदय जगत
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