धरती उगले सोना

बिहार सरकार ने पूरे सूबे में श्री विधि से 10 प्रतिशत धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया था। इससे इतर नालंदा को 20 फीसदी का टारगेट दिया गया। जिले में 25 हजार हेक्टेयर लक्ष्य के ऊपर 25,600 हेक्टेयर क्षेत्र में धान फसल का आच्छादन हुआ था जो शत-प्रतिशत लक्ष्य से अधिक है। इस बार मौसम भी अनुकूल रहा। अच्छी वर्षा हुई। नदी-नालों में पर्याप्त जल प्रवाहित होता रहा। किसानों ने कड़ी मेहनत की। उनकी मेहनत रंग लाने लगी। कहीं 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तो कहीं 190-196 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान का उत्पादन होने लगा।

उत्साह जब खाद-पानी बनकर खेतों में उतरता है तो धरती सोना उगलने लगती है। लगन और आत्मविश्वास आदमी को विपरीत परिस्थितियों में बुलंदियों पर परचम लहराने का मौका मुहैया कराती रही है। जिस बिहार में खेती को घाटे का सौदा समझकर किसान मजदूरी के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे थे उसी सूबे में अब उपज के मामले में विश्व रिकॉर्ड बनने लगे हैं। कृषि विशेषज्ञों और केंद्र सरकार ने माना है कि अब दूसरी हरित क्रांति पूर्वी भारत में ही होगी और बिहार के किसान इस उम्मीद पर खरे उतरने लगे हैं। बिहार सरकार ने कृषि रोडमैप को लागू करने के लिए अलग से कृषि कैबिनेट का गठन किया है जिसमें खेती से जुड़े 17 विभाग शामिल किए गए हैं। कृषि की एक खास तकनीक श्री (सिस्टम ऑफ रूट इंटेंसिफिकेशन) के माध्यम से खेती को प्रोत्साहन देकर पारंपरिक तरीके की अच्छाइयों को भी अपनाया जा रहा है और सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। नालंदा के किसानों ने एक हेक्टेयर में 224 क्विंटल धान उपजाकर चीन का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। संकर धान के जनक चीनी वैज्ञानिक यूयान लौंगपिंग ने प्रति हेक्टेयर 190 क्विंटल धान उपजाकर वर्ष 2004 में यह विश्व रिकॉर्ड बनाया था जिसे दरवेशपुरा गांव के साधारण किसानों ने अपनी मेहनत के बूते पछाड़ दिया।

नालंदा के किसानों ने जैविक खेती में हाईब्रीड बीजों का इस्तेमाल कर श्री विधि से उत्पादन कर रिकॉर्ड बनाया है। श्री विधि के इंटनेशनल मूवमेंट कमेटी के मुखिया डॉ. नार्मन अपहाक ने बिहार सरकार के कृषि विभाग को लिखे पत्र में नालंदा के किसानों की तारीफ की है। श्री विधि की शुरुआत चीन में ही हुई है। भारत में इस विधि पर काम कर रही संस्था प्रोफेशनल असिस्टेंट फॉर डेवलपमेंट एक्शन को लिए पत्र में डॉ. नार्मन ने कहा कि श्री विधि से ही भारत में दूसरी हरित क्रांति आ सकती है। वर्तमान में विश्व के 44 देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है। नालंदा के दरवेशपुरा के किसानों की उपलब्धि के बाद दुनिया के कई देशों से विशेषज्ञों की टीम बिहार आने वाली हैं।

किर्तिमान बनाने वाले किसानों के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमारकिर्तिमान बनाने वाले किसानों के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमारनालंदा के किसानों ने 6444 सिजेंटा और अराइज 6302 किस्म के धान बीजों का इस्तेमाल किया। इसमें धान के पौधे में 93 बालियां तक आईं और एक बाली में अधिकतम 424 दाने थे। एक-एक पौधे से अधिकतम 106 कल्ले (टिलर्स) फूटे। उल्लेखनीय है कि इससे पहले विदेशी किसान आर अल्बर्ट ने एक हेक्टेयर में 161 क्विंटल, एनाई वासन ने 152 क्विंटल, आर जे डॉन ने 166, आर जे क्लाइड ने 175 क्विंटल और यूयान लौंगपिंग ने 190 क्विंटल तक उत्पादन किया था। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह कहते हैं कि खाद्यान्न उत्पादन में प्रभावी वृद्धि करने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए श्री क्रांति की शुरुआत 27 जनवरी 2011 को की गई थी। अब चार लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में इस विधि से संकर धान की खेती शुरू की गई है जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं।

दरअसल, जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने की खातिर हरी खाद के रूप में ढैंचा उगाने के लिए किसानों को लगभग एक लाख क्विंटल ढैंचा बीज दिए गए हैं। जैविक बिहार पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन पटना में आयोजित हुआ जिसमें जैविक उत्पादों की ब्राडिंग के लिए ‘जैबि’ ब्रांड की शुरुआत की गई है। जैविक खाद के लिए अगले पांच वर्षों में 255 करोड़ रुपए से अधिक व्यय की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की जा रही है। वर्मी कंपोस्ट के साथ बायो गैस का भी बड़े पैमाने पर उत्पादन की योजना है। नालंदा के किसानों ने धान और आलू उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज की है।

बंपर फसल देखते नालंदा के डीएम संजय अग्रवालबंपर फसल देखते नालंदा के डीएम संजय अग्रवालअब तक किसान खेती को घाटे का ही सौदा मानते रहे थे। सरकारी सहयोग 'ऊंट के मुंह में जीरा' जैसी भूमिका में रहा और प्रोत्साहन के अभाव में किसान खेती छोड़ने को विवश होने लगे लेकिन बदले परिवेश में जब बिहार विकास की नई इबारत लिख रहा है तब कृषि क्षेत्र में भी इसका असर दिखना शुरू हुआ है।

निराशा के माहौल में भी कुछ किसान ऐसे हैं जो उम्मीद नहीं छोड़ते। वे परंपरागत खेती करने के बजाय नए रास्ते खोजते हैं। हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने के बजाय ऐसी तकनीक अपनाते हैं जिससे खेती को मुनाफे के लायक बनाया जा सके। किसानों की कड़ी मेहनत और कृषि वैज्ञानिकों के निरंतर सहयोग के कारण नालंदा के किसान खेती को नई इबारत लिख रहे हैं। इससे किसानों की समृद्धि तो बढ़ ही रही है, साथ ही, बिहार का मान भी बढ़ने लगा है। प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद नालंदा जिले में तीन वर्षों से श्री विधि से धान की खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इस बाबत तीस हजार से अधिक प्रगतिशील किसानों को प्रशिक्षित भी किया गया है। परवलपुर प्रखंड के मिर्जापुर गांव की रिंकू देवी और अस्थावां प्रखंड के अंदी गांव की माया देवी ने खेती में नए तरीके से इतिहास रच डाला है। कतरीसराय प्रखंड के दरवेशपुरा गांव के सुमंत कुमार और कृष्ण कुमार ने तो रिकॉर्ड तोड़ धान उपजाकर नालंदा ही नहीं बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है। सुमंत ने प्रति हेक्टेयर 224 क्विंटल और कृष्ण कुमार ने 202 क्विंटल धान उपजा कर दुनिया भर में नाम कमाया है।

बिहार सरकार ने पूरे सूबे में श्री विधि से 10 प्रतिशत धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया था। इससे इतर नालंदा को 20 फीसदी का टारगेट दिया गया। जिले में 25 हजार हेक्टेयर लक्ष्य के ऊपर 25,600 हेक्टेयर क्षेत्र में धान फसल का आच्छादन हुआ था जो शत-प्रतिशत लक्ष्य से अधिक है। इस बार मौसम भी अनुकूल रहा। अच्छी वर्षा हुई। नदी-नालों में पर्याप्त जल प्रवाहित होता रहा। किसानों ने कड़ी मेहनत की। उनकी मेहनत रंग लाने लगी। कहीं 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तो कहीं 190-196 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान का उत्पादन होने लगा। नालंदा के हजारों किसानों ने श्री विधि से धान का आच्छादन किया था लेकिन सबसे आगे निकले कतरीसराय प्रखंड के दरवेशपुरा गांव के किसान। इस गांव के 13 किसानों ने इस विधि से धान की खेती की थी।

धान की छंटनी करने वाली रीयर मशीन देखते लोगधान की छंटनी करने वाली रीयर मशीन देखते लोगजिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो, दरवेशपुरा पंचायत के मुखिया नवेंदु झा और विषय वस्तु विशेषज्ञ राजीव रंजन कुमार ने हर मोड़ पर श्री विधि की सफलता के लिए किसानों का साथ दिया। दरवेशपुरा के 13 में से पांच किसानों के खेतों की उत्पादकता की जांच कृषि निदेशक अरविंद कुमार सिंह और नालंदा डीएम संजय कुमार अग्रवाल एवं अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में की गई तो सुमंत कुमार के खेतों में 224 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और कृष्ण कुमार के खेतों में 202 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पाया गया जो विश्व रिकॉर्ड है। इसके साथ ही, नीतीश कुमार ने 196 क्विंटल, विजय कुमार ने 192 क्विंटल और संजय कुमार ने 190 क्विंटल प्रति हेक्टेयर धान उपजाकर खुद को विशिष्ट किसानों की सूची में शामिल किया है। इससे पहले गेहूं की खेती में हमने पंजाब को पछाड़ने का काम किया ही था।

दरअसल, इस बेहतरीन उपलब्धि के लिए प्रगतिशील किसानों ने धान की रोपनी से पहले अपने खेतों में ढैंचा की बुआई की थी। सुमंत कुमार ने तो पीएसबी, जिंक, डीएपी, पोटाश, यूरिया के अलावा गोबर कम्पोस्ट का भी इस्तेमाल किया।

बहरहाल, नालंदा में धान के अनेक प्रभेदों को लगाया गया था। सुमंत ने 6444 सिजेंटा प्रभेद लगाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन किसानों की पीठ थपथपाई है। उन्होंने दरवेशपुरा पंचायत के मुखिया नवेंदु झा को शॉल, प्रशस्ति पत्र व नकद देकर सभी किसानों को सम्मानित किया। बिहार सरकार इस उपलब्धि के बारे में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को अवगत करा चुकी है। अब केंद्र सरकार विश्व रिकॉर्ड दर्ज कराने की दिशा में कदम उठाएगी। अब ये किसान प्रेरणास्रोत बन गए हैं। इस उपलब्धि के बाद नालंदा के किसान परंपरागत कृषि के सीमित दायरे से बाहर निकलकर खेतीबारी करने लगे हैं। मजदूरों की कमी देखते हुए सरकार धान कटनी के लिए किसानों को रीयर मशीन खरीदने के लिए अनुदान दे रही है। धान खरीदने के लिए नालंदा में 151 और पूरे सूबे में सात हजार से अधिक क्रय केंद्र खोले गए हैं।

इस खेत में श्री विधि नहीं अपनाने के कारण कमजोर रही फसलइस खेत में श्री विधि नहीं अपनाने के कारण कमजोर रही फसलइन किसानों ने साबित कर दिया है कि धान की खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो इसकी उपज अप्रत्याशित तरीके से बढ़ाई जा सकती है। धान की उन्नत खेती से अधिक आमदनी हो सकती है। अब सफल किसानों पर कृषि विभाग फिल्म बनाने की तैयारी कर रहा है। लालमी और तरबूज उपजाने के लिए चर्चित दरवेशपुरा गांव में किसानों ने धान उत्पादन में विश्व रिकॉर्ड बनाया तो मुखिया नवेंदु झा ने उन्हें शॉल व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। अपने प्रयोग में सफल इन किसानों का विश्वास कुछ इस कदर बढ़ गया है कि ये किसान श्री विधि से गेहूं, आलू और प्याज आदि की खेती से भी रिकॉर्ड बनाने की ठान रहे हैं। पूर्व मुखिया पवन कुमार शर्मा ने कहा कि दरवेशपुरा के किसान पहले से ही नकदी फसल का उत्पादन करते रहे हैं। 1965 में इस गांव के एक किसान ने 9 इंच लंबी मिर्च उपजाई थी जिसे सबौर कृषि विश्व विद्यालय के अधिकारी जांच के लिए ले गए थे। नालंदा के किसानों ने इस बार मिसाल कायम की तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हर भारतीय के भोजन के थाल में बिहारी व्यंजन को स्थान दिलाने का सपना अब साकार रूप ग्रहण करने लगा है।

साथ में बिहारशरीफ से राम विलास

Raghvendra.mishra@naidunia.com

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