ढीठ पतोहु धिया गरियार, खसम बेपीर न करै बिचार।
घरे जलावन अन्न न होई, घाघ कहैं सो अभागी जोई।।
शब्दार्थ- ढीठ-जबर, धृष्ट। धिया-लड़की।
भावार्थ- यदि बहू धृष्ट हो, बेटी आलसी हो, पति दुख-सुख का ध्यान न देने वाला हो और घर में चूल्हा जलने की लकड़ी और अन्न न हो तो इससे बढ़कर दयनीय स्थिति क्या हो सकती है। ऐसे परिवार को अभागा ही कहा जाएगा।
Path Alias
/articles/dhaitha-pataohau-dhaiyaa-garaiyaara