दूषित पानी से महिला की मौत का मामला विधानसभा में गूंजा

गदिल्ली में दूषित पानी की वजह से कई लोग मौत का शिकार हो चुके हैं और लाखों लोग जलजनित बीमारियों का शिकार हो रहे हैं वहीं दूसरी और पानी के बिलों में बेतहाशा वृद्धि की गई है। दिल्ली की मुख्यमंत्री जो कि जल बोर्ड की अध्यक्षा भी हैं उसमें पेयजल आपूर्ति करने में पूरी तरह विफल रही हैं। दिल्ली में पानी निजीकरण की राह पर चल पड़ी है। उधर, विपक्ष के सदस्य विधानसभा सदस्य के सामने वैल में पहुंच गए तो सदन की कार्यवाही फिर से आधे घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया।। दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन विपक्षी दल भाजपा ने राजधानी में पानी की स्थिति को लेकर जमकर हंगामा किया। इस वजह से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. योगानंद शास्त्री को सदन तीन बार स्थगित करना पड़ा। बाद में हंगामा कर रहे भाजपा सदस्यों को सदन से निकाल दिया गया। सदन से बाहर भाजपा विधायक धरने पर बैठ गए। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सदन में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दिल्ली मूल्य संवर्द्धित कर संशोधन विधेयक पेश किया। इसी तरह से शहरी विकास मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली शहरी आश्रय सुधार संशोधन विधेयक 2013 पेश किया। ये दोनों विधेयक पारित हो गए।

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के नेता प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा खड़े हो गए और वे कार्यस्थगन की मांग करने लगे। उन्होंने कहा कि नारायणा में गंदा पानी पीने से एक महिला की मौत हो गई है। गंदे पानी से दिल्ली में लाखों लोग बीमार हुए हैं। मामला गंभीर है, इसलिए सदन को सारे काम छोड़कर इस पर चर्चा करानी चाहिए। उसके बाद विपक्ष के सदस्य सदन में हंगामा करने लगे। उस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वे विपक्ष के प्रस्ताव पर व्यवस्था देना चाहते हैं। उधर, विपक्ष के सदस्य नहीं माने और सदन में दिल्ली में पानी की कमी और गंदेपानी कि कमी को लेकर हंगामा करते रहे। उधर विधानसभा अध्यक्ष ने व्यव्स्था दी कि ऐसे मामले पर सदन में चर्चा होती रहती है। उस पर कार्यस्थगन प्रस्ताव लागू नहीं हो सकता है। इधर विपक्षी दल फिर से हंगामा करने लगे तो विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी।

सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई तो विपक्षी सदस्य फिर से हंगामा करने लगे। नेता प्रतिपक्ष प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा ने कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री दिल्ली को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने की बात कर रही हैं लेकिन यहां पीने योग्य पानी उपलब्ध नहीं करा पाई हैं। दिल्ली में दूषित पानी की वजह से कई लोग मौत का शिकार हो चुके हैं और लाखों लोग जलजनित बीमारियों का शिकार हो रहे हैं वहीं दूसरी और पानी के बिलों में बेतहाशा वृद्धि की गई है। दिल्ली की मुख्यमंत्री जो कि जल बोर्ड की अध्यक्षा भी हैं उसमें पेयजल आपूर्ति करने में पूरी तरह विफल रही हैं। दिल्ली में पानी निजीकरण की राह पर चल पड़ी है। उधर, विपक्ष के सदस्य विधानसभा सदस्य के सामने वैल में पहुंच गए तो सदन की कार्यवाही फिर से आधे घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया।

तीसरी बार सदन फिर से शुरू हुआ तो विपक्ष के सदस्य पानी की समस्या को लेकर फिर से हंगामा करने लगे। उस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सत्ता या विपक्ष का कोई भी मेडिकल रिपोर्ट पेश कर देगा कि कोई मौत पानी से हुई है तो वे उस पर फौरन कार्यवाही करवाएंगे। लेकिन विपक्ष के सदस्य नहीं माने और सदन की कार्यवाही तीसरी बार स्थगित कर दी गई।

चायकाल के बाद सदन शुरू हुआ तो विपक्षी दल भाजपा के सदस्य फिर से पानी को लेकर हंगामा करने लगे तो विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें सदन से बाहर कर दिया। विपक्ष के सदस्य विधानसभा सदस्य के सामने वैल में पहुंच गए तो सदन की कार्यवाही फिर से आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी गई। सदन में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भाजपा पर सदन में राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा सदन में चर्चा में भाग लेने के बजाए उससे भागने के रास्ते तलाशती है।

दूषित पानी से मौत का मुख्यमंत्री ने खंडन किया


दिल्ली जलबोर्ड की अध्यक्ष शीला दीक्षित ने गुरुवार को विधानसभा में बताया कि डीडीयू अस्पताल में 62 वर्ष की महिला सुंदरा की मृत्यु का कारण जलजनित बीमारी नहीं था। मेडिकल रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि सुंदरा कम रक्तचाप और कम पल्स रेट से प्रभावित थीं और मृत्यु का कारण सेप्टीसीमिया और हिमेटोलॉजिकल मैलीजलेनसी की आशंका हो सकती है। अगर यह मृत्यु दूषित पानी से हुई तो इससे अन्य लोग भी प्रभावित हुए होते।

दीक्षित ने यह भी कहा कि मीडिया की खबरों में जिन दो लोगों की मृत्यु दूषित पानी से होने की बात की जा रही है इस बारे में पता चला है कि दोनों मामलों में मृत्यु क्रोनिक बीमारी से हुई। इनका कारण पानी की आपू्र्ति नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जन स्वास्थ्य और पर्यावरण इंजीनियरी संगठन -सीपीएचईईओ के पीने के पानी की जांच निगरानी के नियमों के अनुसार प्रति एक लाख व्यक्तियों पर पानी के डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से एक माह में एक नमूना उठाने का मानदंड है।

इस मानदंड के अनुसार दिल्ली जल बोर्ड को जांच के लिए एक महीने में 1,800 नमूने उठाने होते हैं। दिल्ली जल बोर्ड पानी के व्यापक परीक्षण और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक महीने में 9,000 से 10,000 नमूने एकत्रित करता है ताकि इनकी अति उन्नत और विश्वसनीय प्रयोगशाला में जांच कराई जा सके। इतना ही नहीं मानसून के दौरान एकत्रित किए गए नमूनों की संख्या कम से कम 12,000 कर दी जाती है। इसके अलावा तृतीय पक्ष के तौर पर राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरी संस्थान भी प्रति महीने 375 नमूने उठाता है। यह संस्थान आईएसओ 9001 प्रमाणित संगठन है। इतना ही नहीं दिल्ली में नगर निगमों के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और दिल्ली जल बोर्ड दोनों मिलकर भी पानी के नमूने एकत्रित करते हैं। जांच रिपोर्ट में पता चला है कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा आपूर्ति किया गया पानी पीने लायक है और वह प्रदूषित नहीं है।

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