सिंचाई विभाग की अत्यंत महत्वाकांक्षी सौंग नदी बाँध और सूर्याधार बैराज प्रोजेक्ट के लिये राज्य सरकार ने बजट में चालीस करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इससे इस योजना के जल्द शुरू होने के आसार हैं। अगले 30 साल तक समूचे देहरादून की पेयजल समस्या को दूर करने के लिये डिज़ायन किए गए इस प्रोजेक्ट के लिये सरकार ने लगभग एक हजार करोड़ रुपये विश्व बैंक और दूसरे संसाधनों से जुटाने का लक्ष्य रखा है।
![दून घाटी में बढ़ता जल संकट](https://farm5.staticflickr.com/4042/35434785552_f1de581cd3.jpg)
- 40 करोड़ रुपये की व्यवस्था बजट में की है सरकार ने
- 01 हजार करोड़ रुपये बाहर से जुटाएगी सरकार
दून को चाहिए रोज 200 लाख लीटर पानी
देहरादून शहर को प्रतिदिन 200 मिलियन लीटर पानी की जरूरत है। फिलहाल यह जरूरत 200 ट्यूबवेल, सैकड़ों हैंडपम्प, बांदल, मासीफाल, ग्लोबी, बीजापुर कैनाल जैसे प्राकृतिक स्रोतों से उपलब्ध पानी से पूरा किया जाता है। बिजली संकट व ट्यूबवेल खराब होने से शहर पेयजल संकट की जद में आ जाता है।
पानी का समीकरण
फिलहाल जल संस्थान के उत्तर, दक्षिण, पित्थूवाला, रायपुर डिवीजन व अनुरक्षण खंड में बँटे दून में करीब 12,54,510 उपभोक्ता हैं। इनके लिये 200 एमएलडी पानी की सप्लाई को 200 ट्यूबवेल से 170 एमएलडी, 12 प्राकृतिक स्रोतों से करीब तीस एमएलडी पानी मिलता है। इनमें 25% पानी लीकेज में चला जाता है।
सूर्याधार बैराज : जाखन नदी पर बनने वाले सूर्याधार बैराज की ऊँचाई दस मीटर व झील की लम्बाई 700 मीटर होगी। बैराज पर 45 करोड़ की लागत आएगी। योजना तीन साल में पूरी होगी। बैराज में 2.30 लाख घनमीटर पानी हर समय उपलब्ध रहेगा। झील पर्यटक स्थल के रूप में विकसित की जाएगी। झील के डूब क्षेत्र में आबादी नहीं है।
सौंग बाँध : सौंग का काम 990 करोड़ रुपये की लागत से 2021 में पूरा होगा। कंक्रीट बाँध के जलाशय से 178 एमएलडी पानी दून को मिलेगा। इससे बनने वाली 12 किलोमीटर झील से दो गाँव के 61 परिवार विस्थापित होंगे। जलाशय पाँच माह में भरेगा।
ये होगा फायदा : भूजल रीचार्ज होगा। ट्यूबवेल नहीं चलने से बिजली के खर्च में करीब सौ करोड़ रुपये की बचत होगी, रिस्पना नदी को रीचार्च करने में मिलेगी मदद, बारिश के पानी का होगा उपयोग, बाढ़ के खतरे कम होंगे।
“सौंग और सूर्याधार परियोजनाएँ अस्सी के दशक की प्रस्तावित योजनाएँ थीं, जो तब मूर्त रूप नहीं ले सकीं। सूर्याधार बैराज के लिये पहला टेंडर जारी कर दिया है। दोनों योजनाएँ 2051 तक पानी उपलब्ध कराने के लिहाज से डिजाइन हैं।” - डिके पांडे, एसई, सिंचाई विभाग
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