दशहरे के बाद दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण

वायु प्रदूषण
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वायु प्रदूषण (फोटो साभार - द हिन्दू)विपरीत मौसमी दशाओं और हवा में पर्टिकुलेट मैटर प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण दशहरा के बाद यानि शनिवार को दिल्ली की एयर क्वालिटी इंडेक्स में पिछले चार सालों में सबसे उच्च स्तर की गिरावट दर्ज की गई। शनिवार को शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 326 था जिसे बहुत ही निम्न गुणवत्ता वाला माना जाता है।

पाँच श्रेणियों वाले कलर कोडेड इंडेक्स जिसे केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संचालित किया जाता है में यदि रीडिंग 400 से ज्यादा दर्ज की जाती है तो हवा की गुणवत्ता अत्यधिक निम्न स्तर की होती है।

एनवायरनमेंट पॉल्युशन (प्रीवेंशन एंड कंट्रोल) अथॉरिटी (Environment Pollution (prevention and control) Authority) द्वारा तय किये गए श्रेणीबद्ध रिस्पांस एक्शन प्लान के मुताबिक ऐसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिये बिना किसी देरी के कदम उठाए जाने की जरुरत होती है।

दिल्ली में प्रदूषण के मुख्य स्रोत सड़कों की धूल और गाड़ियों से निकलने वाला धुआँ है लेकिन दशहरा के दौरान हुए पुतला दहन ने इसके स्तर को और बढ़ा दिया। दशहरा के दौरान इस वर्ष दिल्ली की एयर क्वालिटी इंडेक्स 17, 18 और 19 अक्टूबर को क्रमशः 269, 297 और 313 दर्ज की गई।

और बिगड़ेगी हवा की गुणवत्ता

भारतीय मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले तीन दिनों में दिल्ली के ज्यादातर हिस्से में हवा का और भी ह्रास होने की सम्भावना है। पूर्वानुमान के मुताबिक सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (central road research institute) मथुरा रोड के समीप के इलाकों में रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स बदतर हो सकती है। शनिवार को भी यह अक्टूबर महीने में सबसे न्यूनतम रिकॉर्ड की गई थी। जब इस बारे में सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के अफसरों से इस विषय में द हिन्दू द्वारा पूछा गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

भारतीय मौसम विभाग के एक अफसर ने बताया कि बारिश लाने वाले पश्चिमी विक्षोभ के जम्मू-कश्मीर में होने के कारण दिल्ली में आर्द्रता का स्तर बढ़ने के साथ ही हवा की गति भी कम हो गई है। “अनुमान है कि हवा की गति में कल से सुधार आएगा जब पश्चिमी विक्षोभ यहाँ से गुजरेगा। हवा की गति कम होने के कारण ही शहर में धुंध की स्थिति बनी हुई है।” भारतीय मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक एम महापात्रा ने कहा।

वर्षों से किये जा रहे अध्ययनों के द्वारा यह पता चला है कि हवा की गति में कमी और उच्च आर्द्रता के साथ ही स्थानीय प्रदूषण के घटक दिल्ली की हवा की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।

शुक्रवार को लव कुश रामलीला के दौरान उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हवा सहित ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ, चाँदनी चौक क्षेत्र के सांसद और केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के साथ ही दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी भी उपस्थित थे। इन लोगों ने जलती तीर की सहायता से रावण, मेघनाद और कुम्भकरण के पुतलों का दहन किया।

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में मध्य अक्टूबर से मध्य नवम्बर के बीच धान की पराली जलाए जाने के कारण भी दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि होती है। इससे होने वाले प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिये पदाधिकारियों ने दिल्ली में बहुत सारे कदम उठाए जाने की घोषणा की है। रिपोर्ट्स के आधार पर यह कहा जा रहा है कि पंजाब और हरियाणा में पराली में आग लगाने की घटनाओं में अभी तक पिछले साल की तुलना में क्रमशः 75 और 40 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। फिर भी अभी तक यह निश्चित नहीं है कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र पर इसका क्या असर होगा।

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