दो पत्ती क्यों न निराये।
अब बीनत क्यों पछिताये।।
भावार्थ- जब कपास में दो पत्तियाँ निकली थीं तभी उसकी निराई क्यों नहीं की? अब कपास चुनते हुए क्यों पछताते हो अर्थात् कपास के पौधे में जब दो पत्तियाँ निकलें तभी उसकी निराई करवा देनी चाहिए। इससे फसल अच्छी होती है।
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