दो छायाचित्र

(1)
नदी-पथ पर डगमगाते चंद्रमा के पाँव।
नदी-तट पर खोजते शायद प्रिया का गाँव!

(2)
नदी की गोद में नादान शिशु-सा
अर्द्धसोया द्वीप-
झिलमिल चाँदनी में नाचती परियाँ,
लहर पर लहर लहरातीं
बजाकर तालियाँ गातीं
सुनाती लोरियाँ-
सुनता नदी का लाड़ला बेटा,
चमकते चाँद के चाँदी-कटोरे से
मजे में दूध पीता।

‘परिवेश : हम तुम’ में संकलित

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