दमोह नगर प्राचीन गौंडवानी कस्बा था, जो अंग्रेजी शासनकाल में विकसित जिला बन गया था। इसके चारों ओर 5 निस्तारी तालाब हैं। नगर की उत्तर दिशा को फुटेरा तालाब है। फुटेरा तालाब गौंड शासनकालीन है। इसके घाट बड़े सुन्दर हैं। इसके बाँध पर एक चबूतरे पर शिवजी, पार्वती जी एवं विष्णु की प्रतिमाएँ प्रतिष्ठित हैं। दूसरा तालाब तुगलक शासनकालीन है जिसे पुरैना तालाब कहा जाता है।
दमोह जिले की प्राकृतिक संरचना बड़ी विचित्र है। इसका पश्चिमोत्तर भूभाग जो छतरपुर-पन्ना जिलों से जुड़ा हुआ है, वह वनाच्छादित पहाड़ी पठारी खाइयों, खन्दकों और पटारों वाला है। जबकि हटा क्षेत्र की भूमि काली कावर दुमट है, मैदानी है, समतल है। दक्षिण-पूर्व का क्षेत्र भी पहाड़ी है जिसमें कहीं टगरों युक्त मोटी-भूमि है तो कहीं राकड़, चचरीला, पथरीला क्षेत्र मिलता है। मैदानी क्षेत्र है तो वनांचली भूभाग भी है।दमोह जिले में तालाबों की संख्या अधिक नहीं है। दमोह क्षेत्र में गौड़वानी एवं कलचुरि राजसत्ताओं का शासन रहा जो चन्देलों के समकाल ही थे, जिनमें सत्तात्मक संघर्ष अधिक रहता था।
पहाड़ों की पटारों के मध्य से नदियाँ निकली हैं। इस क्षेत्र में अधिकांश लोग पानी के लिये नदियों एवं कुँओं पर निर्भर रहते रहे हैं। पूर्वी अंचल भी टौरियाऊ पहाड़ी है, जिनके पटारों, झोरों एवं खंदियों के मध्य तालाब हैं। यहाँ की सन नदी पर बना हाला तालाब सबसे बड़ा तालाब है। बहेरिया एवं बेचई छोटी नदियाँ हैं जिन पर भी बहेरिया एवं बेचई तालाब बनाए गए थे। यह बहेरिया एवं बेचई नदियाँ व्यारमा नदी की छोटी-छोटी सहायक नदियाँ हैं। मझगुवां, धनगुवां एवं पटना तालाब पडरी नाले पर बने हुए हैं।
जिले में सोनार एवं व्यारमा बड़ी नदियाँ हैं जो टौरियों, पहाड़ियों एवं ऊबड़-खाबड़ पथरीली भूमि की पटारों, खन्दकों जैसी नीची भूमि से बहती हैं। इन दोनों नदियों के जल का कोई उपयोग क्षेत्र की कृषि सिंचाई में नहीं होता है। पहाड़ी क्षेत्र में घांघरी, चिरई पानी, जमनेरा, देवरी, फुटेरा, बन्दर कोला, बारपाती, पुरैना, नौहटा एवं माला तालाब जैसे बड़े तालाब बने हुए हैं।
चिरई पानी तालाब हिड़ोरिया के पास है जो 1908 ई. के लगभग बना था। इसी के पास धांगरी (गराघाट) तालाब, रिछई, बहेरिया, पटना एवं मजगुवां तालाब भी सन 1908-13 के मध्य बनाए गये थे।
सन 1913-18 ई. के मध्य माला तालाब, जमनेरा तालाब, हरदुआ, तालाब, मुरान तालाब, धनगौर तालाब एवं छोटी देवरी तालाब बनाए गए थे। स्वतन्त्र्योत्तर काल में भी दमोह जिले में जन निस्तार एवं कृषि सिंचाई रकबा में विकास हेतु अनेक तालाबों का निर्माण कराया गया था जिनमें बारपाती, तेजगढ़ जबेरा, झलेहरा छाना, पिपरिया जोगराज एवं मोतीनाला तालाबों का निर्माण किया गया था। दमोह जिले में बांदकपुर, कुम्हारी एवं बनवार ग्रामों में भी छोटे-छोटे ताल तलैयां बने हुए हैं जो गाँवों के जन निस्तारी तालाब हैं।
इनके अतिरिक्त दमोह क्षेत्र की किशन तलैया, चिरई तलैया, तैदूखेड़ा क्षेत्र का सूरजपुर तालाब, तारादेही क्षेत्र का धकेरवाही तालाब एवं सिंग्रामपुर क्षेत्र का सिंगौरगढ़ एवं दानी तालाब वन तालाब हैं, जो दमोह वन विभाग के अधिकार क्षेत्र के तालाब हैं।
सिंगौरगढ़ का विजय सागर- सिंगौरगढ़ पहाड़ पर गौड़ महाराजा संग्राम सिंह का बनवाया हुआ विशाल किला था। किले के नीचे विशाल ‘विजय सागर’ नामक तालाब का निर्माण कराया था, यह लगभग 20 किलोमीटर लम्बा, पहाड़ की नीची तलहटी में तराई में था, जो किले को आक्रमणकारियों से सुरक्षित किए था। राजा संग्राम शाह की मृत्यु एवं गौंडवानी राजसत्ता के विलोपित हो जाने पश्चात तालाब फूटकर जलरहित खुले सपाट मैदान में तब्दील हो गया था जिसमें वर्तमान में अनेक ग्राम बसे हुए हैं।
कुंडलपुर का वर्धमान सागर- कुंडलपुर में पहाड़ गोलाई में कुंडल के आकार में खड़े हुए हैं। इसी कारण इस जैन क्षेत्र का नाम कुंडलपुर पड़ गया था। कुंडलाकार पहाड़ पर जैन मन्दिर स्थापित है जिनकी संख्या लगभग 20 से अधिक है जिनमें बड़े बाबा (वर्धमान-महावीर स्वामी) की प्रतिमा एवं मन्दिर भव्य हैं। तीर्थंकर वर्धमान के नाम पर ही यहाँ के तालाब का नाम वर्धमान सागर है।
ऐसी किवंदती है कि पहाड़ों के मध्य में एक प्राचीन गौड़वानी तालाब था जिसे तला मन्दिर कहा जाता था। उक्त प्राचीन तला का जीर्णोद्धार महाराजा छत्रसाल बुन्देला एवं सेठ सुचन्द्रशाह ने सन 1700 ई. में कराकर इसे कुंडलपुर तीर्थ क्षेत्र की ख्याति दिलाई थी। कुंडलपुर में वर्धमान सागर के अलावा भी एक दूसरा तालाब है वह भी गौड़वानी युगीन ही है, जो पहाड़ों के बाहर ग्राम के पास है। यह निस्तारी तालाब है जिसमें सिंघाड़ा भी पैदा किया जाता है।
तेजगढ़ के तालाब- पाटन जबलपुर बस मार्ग से संलग्न उमरिया ग्राम के पास लांती नदी पर अंग्रेजी सरकार ने सुन्दर तालाब बनाया था जिसका बाँध लगभग 500 मीटर लम्बा है और बाँध की ऊँचाई भी 25 मीटर के लगभग है। यह बड़ा तालाब है जिससे लगभग 500 एकड़ भूमि की सिंचाई की जाती है।
तेजगढ़ में ही एक दूसरा तालाब है जो जबलपुर-दमोह मार्ग पर है। इस तालाब का बाँध बड़ा है तथा भराव क्षेत्र भी कई वर्ग किलोमीटर में है। इससे लगभग 2500 एकड़ भूमि की सिंचाई होती है। यह तालाब भी अंग्रेजी शासन काल का बना हुआ है।
पथरिया का मोतीनाला तालाब- कटनी-बीना रेलवे लाइन के सागौनी स्टेशन के पास एक ग्राम पथरिया है। इस ग्राम के मोती नाला पर अंग्रेजी शासन काल में एक तालाब बना था जिसे मोती नाला तालाब कहा जाता है। इस तालाब का बाँध लगभग 700 मीटर लम्बा है और उसकी ऊँचाई भी लगभग 16 मीटर है। यह तालाब दो टौरियों के मध्य से बहते मोतीनाला पर बना है। इससे लगभग 1700 एकड़ कृषि भूमि कि सिंचाई होती है।
बारपाती तालाब- बारपाती ग्राम दमोह-जबलपुर सड़क मार्ग पर है। यहाँ अंग्रेजी शासनकाल में एक बड़ा तालाब बनाया गया था। इस तालाब से बारपाती, गौरी, अथाई, पटेरा और मुड़ेर पाती ग्रामों की कृषि भूमि की सिंचाई की जाती है।
माला ग्राम का माला तालाब- दमोह-जबलपुर बस मार्ग के बायीं ओर मुख्य सड़क से 12 किलोमीटर की दूरी पर माला-रिछाई नामक गाँव है। यहाँ दो पहाड़ियों के मध्य की पटार (खन्दक) से सागर नदी प्रवाहित रही है। ब्रिटिश काल में दोनों पहाड़ियों को जोड़ते हुए लगभग 300 मीटर लम्बा एवं 18 मीटर ऊँचा सुदृढ़ बाँध बनाकर सागर नदी के प्रवाह को रोककर सन 1913-14 ई. में यह विशाल माला तालाब बनाया गया था। यह तालाब 12 ग्रामों की कृषि भूमि की सिंचाई को पानी देता है।
माला तालाब को माला (CHAIN या LINKED) तालाब इसलिए भी कहा गया है कि एक बड़े माला तालाब से जुड़े हुए रिछाई एवं जमनेरा के तालाब भी हैं। यह तीनों एक माला (सांकल) रूप में एक-दूसरे से संलग्न हैं, इस कारण भी इन्हें माला तालाब कहा गया है।
बरात तालाब- दमोह जिला का बरात प्राचीन गौंडवानी ग्राम है। यहाँ प्राचीन गौंडवानी अच्छा छोटा तालाब रहा है। इसका बाँध लगभग 200 मीटर लम्बा है। यह निस्तारी तालाब है। अंग्रेजी शासनकाल में बरात तालाब का जीर्णोद्धार कराया गया था जिससे वर्तमान में कुछ कृषि भूमि की सिंचाई भी होने लगी है।
दमोह नगर के तालाब- दमोह नगर प्राचीन गौंडवानी कस्बा था, जो अंग्रेजी शासनकाल में विकसित जिला बन गया था। इसके चारों ओर 5 निस्तारी तालाब हैं। नगर की उत्तर दिशा को फुटेरा तालाब है। फुटेरा तालाब गौंड शासनकालीन है। इसके घाट बड़े सुन्दर हैं। इसके बाँध पर एक चबूतरे पर शिवजी, पार्वती जी एवं विष्णु की प्रतिमाएँ प्रतिष्ठित हैं। दूसरा तालाब तुगलक शासनकालीन है जिसे पुरैना तालाब कहा जाता है। तृतीय तालाब दीवान की तलैया कहलाती है जिसे मराठा हाकिम दीवान बालाजी ने बनवाया था। बालाजी दीवान की पत्नी इसी तलैया के किनारे सती हुई थी। चौथा तालाब वेला तालाब कहा जाता है जो नगर की बाहरी सीमा पर है। यह तालाब अंग्रेजी शासनकाल का है। यहाँ का पाँचवाँ तालाब बड़ा तालाब कहा जाता है जो दमोह-जबलपुर बस मार्ग पर है। इसके बीच में एक टापू है जिसका प्राकृतिक दृश्य बड़ा मनोरम है।
कनौरा तालाब- हटा तहसीली मुख्यालय के पश्चिम-उत्तर में 20 किलोमीटर की दूरी पर बरी कनौरा ग्राम है। यह ग्राम प्राचीन है, जो गौंडकालीन है। यहाँ प्राचीन विशाल तालाब है। इसी के पास एक दूसरा फुटयानी नाम से बड़ा तालाब है।
कृष्णगंज के तालाब- दमोह के उत्तर-पश्चिम, बटियागढ़ मार्ग पर कृष्णगंज गाँव है जो मराठा मालगुजार कृष्णराव का बसाया हुआ था। कृष्णगंज में मराठा मालगुजार के बनवाए हुए 2 तालाब हैं। तालाब तो छोटे-छोटे हैं, परन्तु उनके स्नानघाट सुन्दर हैं जिन पर देवालय स्थापित हैं।
नौहटा का तालाब- नौहटा दमोह-जबलपुर के बस मार्ग पर कलचुरि-कालीन प्राचीन सांस्कृतिक स्थल है। यहाँ कलचुरि-कालीन धार्मिक मन्दिर है। यहाँ का धांगरी (गराघाट) तालाब प्रसिद्ध तालाब है। इसकी मरम्मत 1908-13 ई. के मध्य ब्रिटिश शासनकाल में कराई गई थी।
रनेह के तालाब- रनेह हटा तहसील का गौंड कालीन बड़ा ग्राम है। यहाँ गौंड वंश युगीन 3 तालाब हैं। इन तालाबों में सिंघाड़ों की खूब पैदावार होती है। यहाँ का सिंघाड़ा क्षेत्र भर में प्रसिद्ध है। तीन तालाब और अनेक बावड़ियों, बेरों और कुँओं के होने पर भी रनेह में पानी का अभाव रहा है। यहाँ की एक कहावत है कि -
“बावन कुआँ चौरासी ताल।
तऊ पै सनेह में पानी कौ अकाल।।”
तात्पर्य है कि यहाँ व्यक्तिगत कुएँ हैं, बन्धियां हैं। गौंडयुग के तालाब, बैरे और बावड़ियाँ हैं। फिर भी यहाँ पानी का अभाव हो जाता है।
हटा दमोह जिले में जहाँ जो भूमि समतल है, वहाँ बन्धियां (मेड़बन्दी) बनवाने की परम्परा प्राचीनकाल से ही रही है। यहाँ खेत का पानी खेत में रोका जाता है। यहाँ जल के स्रोत के रूप में अनेक झरने भी हैं जिनमें तैंदू खेड़ा में बागदरी झिन्ना, झपन झिन्ना, तारा देही क्षेत्र में रामपुरा, झिन्ना, सिंगरामपुर क्षेत्र में देवतरा, जमुनियां एवं भवरपानी झरने हैं। इन झिन्नों से पानी झिर-झिरकर लगातार झिरता रहता है, प्रवाहित होता रहता है, एवं झोरों के डबरों में भरा रहता है।
कनैरा कला का तालाब- कनौरा कला दमोह जिला का प्राचीन गौंडवानी बड़ा कस्बा रहा होगा जिसकी पुष्टि यहाँ के खंडहर भवनों को देखने से होती है। यहाँ एक प्राचीन विशाल तालाब है। तालाब के बाँध पर अनेक देवालय हैं, जिनमें एक गणेशजी की प्रतिमा लगभग दस फुट ऊँची बड़ी विशाल है, जो दर्शनीय है।
सातपुर में भी दो एवं सिंहपुर में एक बड़ा प्राचीन तालाब है।
दमोह जिले के निम्नांकित बड़े तालाबों से सिंचाई की जाती है-
1. बहेरिया तालाब बहेरिया, 2. गढ़घाट तालाब धागरी, 3. पटना तालाब पटना, 4. माला तालाब माला रिछाई, 5. चिराई पानी तालाब चिराई पानी, 6. जमनेरा तालाब जमनेरा ग्राम, 7. मझगावन हंसराज तालाब मझगवां हंसराज, 8. मझगवां तालाब मझगवां, 9. हरदुआ तालाब हरदुआ ग्राम, 10. धान गोर तालाब धान गोर, 11. छोटी देवरी तालाब छोटी देवरी, 12. भाट खमरिया तालाब भाट खमरिया 13. केबलारी तालाब केबलारी, 14. फुटेरा ताल फुटेरा मैली ग्राम, 15. नौन पानी तालाब गुजी ग्राम, 16. तेजगढ़ तालाब तेजगढ़, 17. जबेरा तालाब जबेरा बन्दर कोला 18. झलेहरी तालाब झलेहरी, 19. पिपरिया तालाब पिपरिया जुगराज, 20. मोती नाला तालाब पथरिया ग्राम 21. झारौली नाला तालाब झारौली, 22. किल्लई तालाब किल्लई ग्राम, 23. पिपरिया तालाब पिपरिया रामनाथ, 24. दारौली तालाब दारौली ग्राम 25. बरेठ तालाब बरेठ, 26. सैमता तालाब सैमता मढ़िया, 27. दूमर तालाब दूमर ग्राम।
बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबंधन का इतिहास (इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें) | |
क्रम | अध्याय |
1 | |
2 | |
3 | |
4 | |
5 | |
6 | |
7 | |
8 | |
9 | |
10 | |
11 | |
12 | |
13 | |
14 | |
15 | |
16 |
TAGS |
Water Resources in Damoh in Hindi, Damoh Ponds history in Hindi, history of Ponds of Damoh, Damoh Ponds history in hindi, Damoh city and rural Ponds information in Hindi, Damoh palace and Ponds information in Hindi, Damoh fort and Ponds, Damoh ke talabon ka Itihas, Damoh ke talabob ke bare me janakari, hindi nibandh on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel), quotes Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi, Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi meaning, Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi translation, Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi pdf, Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi, hindi poems Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel), quotations Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi, Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) essay in hindi font, health impacts of Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi, hindi ppt on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel), Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) the world, essay on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi, language, essay on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel), Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi, essay in hindi, essay on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language, essay on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi free, formal essay on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel), essay on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language pdf, essay on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi wikipedia, Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language wikipedia, essay on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language pdf, essay on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi free, short essay on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi, Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) and greenhouse effect in Hindi, Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) essay in hindi font, topic on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language, essay on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in 1000 words in Hindi, essay on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) for students in Hindi, essay on Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) for kids in Hindi, Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) and solution in hindi, globle warming kya hai in hindi, Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) quotes in hindi, Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) par anuchchhed in hindi, Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) essay in hindi language pdf, Damoh Ponds and Lake (Talab aur Jheel) essay in hindi language. |
/articles/damaoha-jailae-kae-taalaaba