दिन को बद्दर रात निबद्दर, बह पुरवैया झब्बर झब्बर।
घाघ कहैं कछु होनी होई, कुआँ के पानी धोबी धोई।
भावार्थ- यदि दिन में बादल हों और रात में आकाश साफ हो और धीर-धीरे पुरवा हवा बह रही हो तो वर्षा इतनी कम होगी कि धोबी को कपड़े धोने के लिए भी कुएं से पानी निकालना पड़ेगा।
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