दिल्ली सचिवालय का सदाबहार तालाब

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तालाब में इकट्ठे पानी का मुख्य स्रोत वर्षाजल एवं यमुना से आने वाला भूमिगत जल है। जिससे तालाब में पानी के साथ-साथ ही इसके आसपास भी साल भर नमी बनी रहती है। इस तालाब के चारों तरफ घुमावदार रास्ते हैं जो हरे-भरे घासों से ढँके हैं। घुमावदार रास्ते में लगे टाइल्स ही हरियाली के बीच रास्ते को इंगित करते हैं। तालाब के चारों तरफ हरे भरे पेड़-पौधे, पर्णपाती और सदाबहार पौधों की प्रजातियों को लगाया गया है। हरियाली कर रहे पौधों को हम चार भागों में बाँट सकते हैं। जब गाँवों में ही तालाब अपने अस्तित्व को लेकर संघर्ष कर रहे तो दिल्ली जैसे अति आधुनिक शहर में तालाब की बात करना बेमानी जैसा लगता है। लेकिन दिल्ली में एक ऐसा तालाब है जो न सिर्फ अपने अस्तित्व को बचाए रखा है बल्कि शासन-प्रशासन और पर्यावरणविदों की नजर में यह तालाब मिशाल के तौर पर पेश किया जाता है।

दिल्ली में तालाबों को संरक्षित करने में लगी एजेंसियाँ सचिवालय के तालाब को मानक मानती है। कहने को तो दिल्ली में हजारों तालाब हैं। लेकिन अधिकांश तालाब अतिक्रमण और मानवीय लोभ के शिकार बन दुर्दशाग्रस्त हो चुके हैं। कई तालाब तो अपना अस्तित्व ही खो चुके हैं।

दिल्ली से निकलने वाली तथाकथित विकास की किरण पूरे देश की कृषि भूमि, प्राकृतिक संसाधन एवं जलस्रोत्रों के साथ ही आबोहवा को नष्ट कर रही है। फिर भी दिल्ली जैसे अति आधुनिक कहे जाने वाले शहर में एक तालाब अपने अस्तित्व को बचाए हुए है।

यह तालाब दिल्ली सचिवालय कैम्पस के अन्दर स्थित है। इसलिये इसे दिल्ली सचिवालय का तालाब भी कहते हैं। दिल्ली के हजारों तालाबों को यदि देखा जाये तो उसमें से यही एक तालाब है जो तालाब के सारे मानको को पूरा करता है। पर्यावरणविद् भी इस तालाब को सही दशा में होने को स्वीकार करते हैं।

नया सचिवालय स्थित इस तालाब के आसपास जहाँ विभिन्न किस्म के घास और पेड़-पौधे मौजूद हैं वहीं पर इसके जल में कई प्रजाति मछलियाँ भी तैरते हुए दिख सकती हैं। बारहों महीनें पक्षियों की चहक भी तालाब के आस-पास सुनी जा सकती है। दिल्ली सचिवालय स्थित तालाब की गणना आज भी जिन्दा तालाबों में की जाती है।

यमुना नदी के किनारे 211 मीटर की ऊँचाई पर यह स्थित है। यह तालाब के एक तरफ दिल्ली सचिवालय के अति आधुनिक भवन है तो दूसरी तरफ इन्दिरा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय स्टेडियम से घिरा हुआ है। जबकि अन्य दो तरफ से सड़क है। तालाब में बरसात का पानी आने के लिये जगह भी छोड़ा गया हैं। इस तरह से यह तालाब साल भर पानी से भरा रहता है।

तालाब में इकट्ठे पानी का मुख्य स्रोत वर्षाजल एवं यमुना से आने वाला भूमिगत जल है। जिससे तालाब में पानी के साथ-साथ ही इसके आसपास भी साल भर नमी बनी रहती है। इस तालाब के चारों तरफ घुमावदार रास्ते हैं जो हरे-भरे घासों से ढँके हैं। घुमावदार रास्ते में लगे टाइल्स ही हरियाली के बीच रास्ते को इंगित करते हैं।

तालाब के चारों तरफ हरे भरे पेड़-पौधे, पर्णपाती और सदाबहार पौधों की प्रजातियों को लगाया गया है। हरियाली कर रहे पौधों को हम चार भागों में बाँट सकते हैं। पहली श्रेणी में घास, दूसरे में झाड़ी, तीसरे श्रेणी में मध्यम कद के पौधे और चौथी श्रेणी में बड़े दरख्त शामिल हैं। तालाब के किनारे लगे पौधे देशी और विदेशी दोनों प्रजातियों के हैं।

कई पौधे तो औषधीय महत्त्व की हैं। जिसमें बहेड़ा, आँवला, बेर, बाँस, नंदी, चील, गूलर, अमलतास, टिकोमा, बोतलब्रश, आदि के वृक्ष हैं। पानी में मछलियों की प्रजातियों में रोहू और कतला शामिल हैं। यह तालाब कई प्रजातियों के पक्षियों का भी बसेरा है। पक्षियों में कंघी बतख, बगुला, हंस, मैना, कबूतर, ग्रीन बी और कीट आदि मिलते हैं।

दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग के अन्तर्गत यह तालाब आता है। विभाग समय-समय पर तालाब की सफाई और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। लेकिन तालाब में हरी काई तालाब की सुन्दरता को नष्ट करता है। दरअसल तालाब के चारों तरफ की चारदीवारी होने के कारण तो यह कई मामलों में सुरक्षित है। लेकिन सूर्य की रोशनी पहुँचने में परेशानी होती है।

देश के सुदूर गाँवों में आज तालाब और पोखर की बात करना पुराने समय को याद करना है। गाँव की संस्कृति में भी तालाब अपना स्थान खो चुके हैं। लेकिन इससे तालाबों की महत्ता और जरूरत कम नहीं हुई है। तालाब एक तरफ जहाँ पानी के प्राकृतिक स्रोत होते हैं जो सिंचाई के साधन के साथ ही पशुओं और आदमियों के लिये पीने का पानी मुफ्त उपलब्ध कराते हैं। वहीं पर तालाबों से हमारी जैव विविधता ही बरकरार रहती है। तालाब से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कई लाभ मानव जाति के साथ ही प्रकृति को भी मिलता है। जरूरत है तालाबों को उनके मूलस्वरूप में वापस लाने की।

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Post By: RuralWater
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