दिल्ली, मथुरा-वृन्दावन व मुंबई में 1 मई को प्रदर्शन

हथिनीकुंड और वजीराबाद में यमुना के साथ हो रहे मजाक से चिंतित धरनारत किसान व साधु-संतों ने कड़ी रणनीति तैयार कर ली है। यमुना की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध 2 मार्च से इलाहबाद से शुरू यमुना बचाओ अभियान ने उत्कृष्ट रूप ले लिया है। इसके समर्थन में देश के तीन मुख्य हिस्सों में 1 मई को प्रदर्शन होने जा रहा है।

1. दिल्ली में जंतर-मंतर पर करीब 5000 किसानों व साधु-संतों की महापंचायत।
2. मथुरा-वृन्दावन में राजनीतिज्ञों, विद्यार्थियों, स्थानीय-निवासियों, उद्योगपतियों, डॉक्टरों आदि द्वारा धरना प्रदर्शन।
3. मुंबई में भगवान श्री कृष्ण के भक्तों व फिल्मी हस्तियों द्वारा महारैली।

भारतीय किसान यूनियन (भानू) के अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह ने यमुना तटीय राज्यों से (हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली व राजस्थान) सभी जिलों, तहसीलों, ग्रामों व शहरों के अध्यक्षों को अपने-अपने कार्यकर्ताओं सहित 1 मई को सुबह ही दिल्ली में जंतर-मंतर पर पहुँचने का आवाहन किया है।

उधर मथुरा-वृन्दावन में यमुना में मल-मूत्र के बहने से गुस्साई जनता ने भी 1 मई को विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी शुरू कर दी है जिसमें देश के बाकी हिस्सों से भी भगवान श्री कृष्ण व यमुना प्रेमी भाग लेंगे। इसमें भारी संख्या में तीर्थयात्रियों के शामिल होने की भी सम्भावना है जिनकी श्रद्धा के साथ खिलवाड़ किया जाता रहा।

यमुना की स्थिति के बारे में जानकर मुंबई के श्रद्धालुओं में हडकंप मच गया है। वहाँ भी 1 मई को चारों इस्कॉन मंदिरों से कृष्ण-भक्त जमा होकर जुहू वाले इस्कॉन मंदिर से जुहू बीच तक हरिनाम संकीर्तन सहित एक महारैली निकालने वाले हैं जिसमें फिल्मी हस्तियाँ (हेमा मालिनी व उनकी दोनों बेटियां, विवेक ओबेरॉय, सतीश कौशिक आदि), पंडित जसराज जी, पंडित रामगोविंद जी सहित 5 से 10 हजार भक्त जुड़ेंगे।

जंतर-मंतर पर चल रही श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान गंगा में भी अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक प. रामजी लाल शास्त्री जी ने आज कालिया नाग का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण सबसे बड़े पर्यावरण शोधक हुए हैं। उन्होंने प्रकृति के सभी तत्वों का शोधन किया है और यमुना जी से कालिया नाग को निकाल कर यमुना जी को भी शोधित किया था।

कल, यानि 28 अप्रैल को, देर-रात आन्दोलनकारियों की जल संसाधन मंत्री सलमान खुर्शीद से पुन: मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले को लेकर काफी गंभीर हो गई है और यमुना रक्षा की मांगों पर निश्चित निर्णय लेगी। परन्तु साधु-संत व किसानों ने तब तक जंतर-मंतर से न हिलने की ठान ली है जब तक कि मांगों पर क्रियान्वयन शुरू नहीं हो जाता।

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