तीन-चौथाई की प्यास बुझाने वाली यमुना की हालत खस्तादिल्ली की तीन चौथाई आबादी की प्यास बुझाने वाले यमुना नदी की हालत बेहद खराब है। वजीराबाद से आगे निकलते ही यमुना नाले जैसी दिखाई देती है। दिल्ली की 50 फीसदी से ज्यादा गंदा पानी यमुना में बिना ट्रीटमेंट के बहाया जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में रिपोर्ट देने के बाद भी यमुना की बदहाली में कोई सुधार नहीं हो रहा है। यमुना में प्रदूषण इतना ज्यादा है कि जलचर खत्म हो चुके हैं। ओखला बैराज के पास पानी में कुछ छोटी-छोटी मछलियाँ पाई जाती हैं, लेकिन वे साफ पानी की मछलियाँ नहीं होती और खाने में काम नहीं आ सकती। जानकारी के मुताबिक राजधानी दिल्ली में यमुना पल्ला से प्रवेश करती है। करीब 25 किलोमीटर के स्ट्रेज के बाद वजीराबाद तक यमुना पहुँचती है। इससे पहले ही जलबोर्ड दिल्ली में सप्लाई के लिए यहां से पानी उठा लेता है। इसके बाद यमुना नाले जैसी दिखाई देने लगती है।
पानीपत से ड्रेन-2 के जरिए यमुना में दिल्ली के लिए पानी छोड़ा जाता है। वजीराबाद से ओखला बैराज के तकरीबन 23 किमी तक यमुना ज्यादा जहरीली है। यहां पर बीओडी की मात्रा 99 तक मिली है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक निजामुद्दीन पुल के नीचे यमुना का पानी सबसे ज्यादा प्रदूषित है। यमुना का फ्लड एरिया यानी बाढ़ जनित क्षेत्र करीब दो से तीन किलोमीटर तक है। मानसून के अलावा यमुना न्यूनतम प्रवाह में भी नहीं बहती।
37 बीओडी होता निजामुद्दीन पुल के नीचे
40 बीओडी आगरा कैनाल के कालिंदी कुंज के पास
99 बीओडी सबसे ओखला बैराज के बाद होती है। पानी में (बीओडी पानी और प्रदूषण के बीच मानक है इसके तहत सिर्फ तीन बीओडी ही सुरक्षित स्तर है)
हरियाणा से ड्रेन-2 के जरिए दिल्ली के पानी छोड़ा जाता है। जलबोर्ड के अनुसार दिल्ली में सप्लाई के लिए वजीराबाद से पहले यमुना से 840 एमजीडी पानी उठा लिया जाता है। इसके बाद यमुना में दिल्ली की गंदगी डाले जाने की शुरुआत हो जाती है। एक के बाद एक 18 नालों से यमुना में प्रदूषित पानी जाता है। इसमें से आधे से ज्यादा पानी बिना ट्रीटमेंट के डाला जाता है। यहां से आगे यमुना में सिर्फ गंदा पानी रह जाता है।
कोर्ट के निर्देशों के अनुसार यमुना में पानी का न्यूनतम प्रवाह 10 क्यूबिक प्रति सेकेंड होना चाहिए। यदि हम इसे बाल्टियों के हिसाब से निकाले तो 8 लाख 60 बाल्टी पानी हर दिन के हिसाब से यमुना में पानी की गति होनी चाहिए, लेकिन यमुना में न्यूनतम पानी का प्रवाह आधे से कम है।
3814 एमएलडी पानी यानी 381 करोड़ लीटर पानी रोजाना जलबोर्ड लेता है सप्लाई के लिए, ग्राउंड वाटर भी इसमें शामिल है।
17 प्लांट के जलबोर्ड के गंदे पानी को साफ करने के लिए
2460 एमएलडी यानी 246 करोड़ लीटर क्षमता है प्लांट की पानी साफ करने की
150 करोड़ लीटर पानी की पहुँचता है प्लांट में ट्रीटमेंट के लिए, बाकी बिना ट्रीटमेंट के जाता है यमुना में।
60 प्रतिशत गंदा पानी ट्रीटमेंट के लिए नहीं पहुंच पाता है ट्रीटमेंट के लिए।
यहां भयानक जहर
पानीपत से ड्रेन-2 के जरिए यमुना में दिल्ली के लिए पानी छोड़ा जाता है। वजीराबाद से ओखला बैराज के तकरीबन 23 किमी तक यमुना ज्यादा जहरीली है। यहां पर बीओडी की मात्रा 99 तक मिली है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक निजामुद्दीन पुल के नीचे यमुना का पानी सबसे ज्यादा प्रदूषित है। यमुना का फ्लड एरिया यानी बाढ़ जनित क्षेत्र करीब दो से तीन किलोमीटर तक है। मानसून के अलावा यमुना न्यूनतम प्रवाह में भी नहीं बहती।
खास स्थानों पर प्रदूषण की यह है स्थिति
37 बीओडी होता निजामुद्दीन पुल के नीचे
40 बीओडी आगरा कैनाल के कालिंदी कुंज के पास
99 बीओडी सबसे ओखला बैराज के बाद होती है। पानी में (बीओडी पानी और प्रदूषण के बीच मानक है इसके तहत सिर्फ तीन बीओडी ही सुरक्षित स्तर है)
वजीराबाद से पहले उठा लिया जाता है सप्लाई का पानी
हरियाणा से ड्रेन-2 के जरिए दिल्ली के पानी छोड़ा जाता है। जलबोर्ड के अनुसार दिल्ली में सप्लाई के लिए वजीराबाद से पहले यमुना से 840 एमजीडी पानी उठा लिया जाता है। इसके बाद यमुना में दिल्ली की गंदगी डाले जाने की शुरुआत हो जाती है। एक के बाद एक 18 नालों से यमुना में प्रदूषित पानी जाता है। इसमें से आधे से ज्यादा पानी बिना ट्रीटमेंट के डाला जाता है। यहां से आगे यमुना में सिर्फ गंदा पानी रह जाता है।
कोर्ट के निर्देशों के अनुसार यमुना में पानी का न्यूनतम प्रवाह 10 क्यूबिक प्रति सेकेंड होना चाहिए। यदि हम इसे बाल्टियों के हिसाब से निकाले तो 8 लाख 60 बाल्टी पानी हर दिन के हिसाब से यमुना में पानी की गति होनी चाहिए, लेकिन यमुना में न्यूनतम पानी का प्रवाह आधे से कम है।
क्या है दिल्ली की स्थिति
3814 एमएलडी पानी यानी 381 करोड़ लीटर पानी रोजाना जलबोर्ड लेता है सप्लाई के लिए, ग्राउंड वाटर भी इसमें शामिल है।
17 प्लांट के जलबोर्ड के गंदे पानी को साफ करने के लिए
2460 एमएलडी यानी 246 करोड़ लीटर क्षमता है प्लांट की पानी साफ करने की
150 करोड़ लीटर पानी की पहुँचता है प्लांट में ट्रीटमेंट के लिए, बाकी बिना ट्रीटमेंट के जाता है यमुना में।
60 प्रतिशत गंदा पानी ट्रीटमेंट के लिए नहीं पहुंच पाता है ट्रीटमेंट के लिए।
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