डीजल कार, गंगा पर फैसलों की प्रशंसा


एनजीटी ने रोहतांग दर्रा और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की तरह पर्यावरण के सन्दर्भ में संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा जैसे पर्यावरणीय मामलों को देखने वाले न्यायाधिकरण ने 10 दिसम्बर को केवल एक दिन में 209 मामलों का निपटारा करते हुए 56 निर्णय सुनाने की उपलब्धि हासिल की।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण दिल्ली में डीजल वाहनों पर रोक और स्वच्छ गंगा के लिये कई दिशा-निर्देश जारी करके सामाजिक कार्यकर्ता के अंदाज में दिखाई दिया और उसने प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के लिये वर्ष 2015 में अपने प्रयासों से दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

बड़े उद्योगों की परियोजनाओं को हरी झंडी देने में सामने आने वाली चुनौतियों से लेकर रोहतांग दर्रा और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की तरह पर्यावरण के संदर्भ में संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा जैसे पर्यावरणीय मामलों को देखने वाले न्यायाधिकरण ने 10 दिसम्बर को केवल एक दिन में 209 मामलों का निपटारा करते हुए 56 निर्णय सुनाने की उपलब्धि हासिल की।

एनजीटी को अस्तित्व में आए मात्र पाँच वर्ष हुए हैं लेकिन इतने कम समय में इसकी सक्रिय भूमिका ने अन्तरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है और उसने प्रदूषण सम्बन्धी मामलों के शीघ्र निपटारे के लिये इसकी प्रशंसा की है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने बताया कि हरित पैनल ने 2014 में 82 प्रतिशत लंबित मामलों का निपटारा कर दिया।

एनजीटी के राष्ट्रीय राजधानी में डीजल चालित नए वाहनों के पंजीकरण पर प्रतिबंध जैसे निर्णयों ने विवाद और भ्रम पैदा किए हैं और ये फैसले चर्चा का विषय बने रहे हैं।

डीजल चालित वाहनों सम्बन्धी एनजीटी के इस फैसले पर उच्चतम न्यायालय ने भी मुहर लगा दी ताकि राजधानी में प्रदूषण का स्तर नीचे लाया जा सके।

अधिकरण गंगा के मामले पर एक पैनल बनाकर और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें बंद करने का आदेश देकर उच्चतम न्यायालय की उम्मीदों पर खरा उतरा।

हरित पैनल ने गोमुख से बंगाल की खाड़ी तक स्वच्छ गंगा की अपनी योजना का अनावरण किया। उसने गोमुख से हरिद्वार तक प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया और घोषणा की कि कोई होटल, धर्मशाला या आश्रम नदी में अपशिष्ट बहाता है तो उसे पर्यावरणीय मुआवजे के तौर पर प्रतिदिन 5000 रुपए देने होंगे।

एनजीटी ने नियामक व्यवस्था के आने तक उत्तराखंड में गंगा किनारे कोडियाला से ऋषिकेश तक पूरी पट्टी में कैम्पिंग गतिविधियों पर रोक लगा दी लेकिन राफ्टिंग की मंजूरी दे दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छ गंगा परियोजना को उस समय बढ़ावा मिली जब एनजीटी ने कानपुर में नदी किनारे स्थित चमड़े के कारखानों से प्रदूषण सम्बन्धी अनिवार्य मानकों का पालन करने की हिदायत दी और ऐसा नहीं करने पर उन्हें बंद कर दिए जाने की चेतावनी दी।

सतत विकास के संकल्प को ध्यान में रखते हुए हरित पैनल ने संकेत दिया कि उसके आदेश आर्थिक विकास के रास्ते में नहीं आएँगे और इसी प्रकार के एक आदेश में उसने प्रधानमंत्री के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में कोका कोला के संयंत्र को बंद करने के उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश पर रोक लगा दी।

अधिकरण ने आदेश दिया कि यमुना नदी में अपशिष्ट और धार्मिक सामग्री फेंकते हुए पकड़े जाने पर 5000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा और शहर में हर परिवार को सीवेज के लिये न्यूनतम 100 रुपए का पर्यावरण मुआवजा देना होगा।

उसने आंध्र प्रदेश सरकार को पर्यावरणीय मंजूरी के बिना राज्य की नई राजधानी के निर्माण के लिये कृष्णा नदी के किनारे भूमि की सफाई लिये कोई अभियान नहीं चलाने का आदेश दिया। दिल्ली में विभिन्न विभागों द्वारा एक दूसरे पर दोषारोपण करने से नाराज एनजीटी ने ‘मैली से निर्मल यमुना पुनरुद्धार योजना 2017’ के क्रियान्वयन के उसके आदेश का पालन नहीं करने पर दिल्ली सरकार पर एक लाख रुपए जुर्माना लगाया।

अधिकरण ने बेंगलुरु में पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने के मामले में दो कम्पनियों पर 117.35 करोड़ रुपए और 22.5 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इस आदेश पर रोक लगा दी।

उसने हरियाणा के फरीदाबाद में 450 बिस्तर वाले एक सुपर स्पेशेलिटी अस्तपाल पर भी करीब 12 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया।

एनजीटी ने मध्य प्रदेश के सिंगरौली और उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में ताप विद्युत संयंत्रों और कोयला खदानों को अत्यधिक वायु एवं जल प्रदूषण करने के कारण बंद करने की चेतावनी दी।

उसने दिल्ली में प्रवेश करने वाले सभी वाणिज्यिक वाहनों को टोल करने के अलावा पर्यावरण मुआवजा भी देने को कहा और दिल्ली के बजाए किसी अन्य स्थान पर जाने वाले वाहनों का मार्ग परिवर्तित करने का आदेश दिया।

एनजीटी ने पर्यावरण में प्लास्टिक के बुरे प्रभाव पर ध्यान देते हुए हरिद्वार, चंडीगढ़ जैसे शहरों में प्लास्टिक के थैलों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया और इनका इस्तेमाल करने वाले पर 5000 रुपए जुर्माना लगाने की घोषणा की। एनजीटी ने कहा कि फसल जलाने से ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय प्रदूषण बहुत बढ़ता है। हरित पैनल ने कृषि संबंधी अवशिष्ट जलाने वाले किसानों पर 2500 से 15000 रुपए जुर्माना लगाया और राज्य सरकारों से इस संबंध में कार्रवाई करने को कहा।

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