डग डग डोलन फरका पेलन, कहाँ चले तुम बाँड़ा।
पहिले खाबइ रान परोसी, गोसैयाँ कब छाँड़ा।।
शब्दार्थ- फरका- छप्पर।
भावार्थ- जो बैल कटी हुई पूँछ वाला हो, डगमगा कर चलने वाला हो और अपनी लम्बी सींगों से छप्पर को ढकेलने वाला हो, वह इतना अशुभ होता है कि अपने मालिक के साथ-साथ पड़ोसियों को भी खा जाता है।
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