5 फरवरी 2016 को केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने देश के कुछ महत्त्वपूर्ण जलाशयों में पानी के भण्डारण सम्बन्धी एक आँकड़ा जारी किया। इस आँकड़े में 4 फरवरी, 2016 तक देश के मुख्य 91 जलाशयों की भण्डारण क्षमता की स्थिति को बताया गया है।
इस आँकड़े के अध्ययन से हमारे देश में सरकारी तौर पर जल भण्डारण नीति के प्रति गम्भीरता को देखा जा सकता है। आँकड़े से एक महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आता है कि इन जलाशयों में पानी का भण्डार बहुत ही कम है। जबकि ऐसे जलाशयों का निर्माण ही पानी इकट्ठा करने के लिये किया गया था।
देश और राज्य सरकारें इन जलाशयों को भी पानी से लबालब करने को सुनिश्चित नहीं कर सकी। अब वे देश में जल क्रान्ति के लिये 1001 गाँवों का चयन करने की योजना बना रही है। इस अभियान के तहत देश के 674 जिलों में ऐसे 1,348 जल ग्राम की पहचान होगी, जहाँ पानी की कमी है।
फिलहाल ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश के 91 महत्त्वपूर्ण जलाशयों में कुल 59.335 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आँका गया था। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 38 प्रतिशत है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 78 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 76 प्रतिशत है।
इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है जो देश की अनुमानित संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशयों में पनबिजली की सुविधा है जिनमें 60 मेगावाट से ज्यादा बिजली पैदा करने की क्षमता है।
क्षेत्रवार भण्डारण स्थिति का जायजा लिया जाये तो उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण क्षमता 7.42 बीसीएम है जो कि इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 41 प्रतिशत है।
पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 38 प्रतिशत थी। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों का पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण कुल क्षमता का 44 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है। लेकिन यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत भण्डरण से कम है।
पूर्वी क्षेत्र में झारखण्ड, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 9.77 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 52 प्रतिशत है।
पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 64 प्रतिशत थी और इसी अवधि में इन जलाशयों में पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण कुल क्षमता का 59 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम रहा और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है।
पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 27.07 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 9.14 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल क्षमता का 34 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 54 प्रतिशत थी और इसी अवधि में इन जलाशयों में पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण कुल क्षमता का 60 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम है, पर पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से कम है।
मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 19.50 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 46 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 56 प्रतिशत थी और इसी अवधि में इन जलाशयों में पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण कुल क्षमता का 42 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम रहा। लेकिन यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से बेहतर रहा है।
दक्षिणी क्षेत्र में आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 13.51 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 26 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 37 प्रतिशत थी और इसी अवधि में इन जलाशयों में पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण कुल क्षमता का 49 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम रहा, और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से कम है।
पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में संग्रहण स्थिति अच्छी रही उनमें हिमाचल प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश और त्रिपुरा हैं। पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बराबर रहा है उनमें आन्ध्र प्रदेश-तेलंगाना शामिल हैं। पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण कम है उनमें पंजाब, राजस्थान, झारखण्ड, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल तथा तमिलनाडु शामिल हैं।
देश में जल संरक्षण एवं प्रबन्धन को सुदृढ़ बनाने के लिये केन्द्र सरकार रोज कोई-न-कोई योजना एवं अभियान बनाती रहती है। जबकि सच्चाई यह है कि पहले से मौजूद जलाशयों, झीलों एवं तालाबों में भी उनकी क्षमता के अनुरूप जल संग्रहण नहीं किया जा रहा है।
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