देश में 24 करोड़ लोग आर्सेनिक से प्रभावित


सबसे ज्यादा 7 करोड़ आबादी प्रभावित है यूपी की

नई दिल्ली। भारत के 21 राज्यों के 153 जिलों में रहने वाले करीब 24 करोड़ लोग (यानी देश की कुल आबादी की करीब 19 फीसदी आबादी) खतरनाक आर्सेनिक स्तर वाला पानी पीते हैं। प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो सबसे ज्यादा असम की 65 प्रतिशत आबादी आर्सेनिक दूषित पानी पीती है जबकि पश्चिम बंगाल और बिहार में ये आँकड़े 44 और 60 फीसदी हैं। ये आँकड़ा एक सवाल के जवाब में जल संसाधन मंत्रालय ने लोकसभा को बताया है। आँकड़ों के मुताबिक, आबादी के लिहाज से सबसे अधिक प्रभावित राज्य उत्तर प्रदेश है, जहाँ सात करोड़ आबादी ये जहरीला पानी पीने को मजबूर है।

आर्सेनिक युक्त हैण्डपम्प पर कोई निशान नहीं लगा है

त्वचा कैंसर हो सकता है


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी है कि लम्बे समय तक आर्सेनिक युक्त पानी पीने से आर्सेनिकोसिस हो सकता है। इसके अलावा त्वचा का कैंसर, गाल ब्लैडर, किडनी या फेफड़े से सम्बन्धित बीमारियाँ हो सकती हैं। डायबिटीज व हाइपरटेंशन भी हो सकता है।

 

राज्य

आँकड़े करोड़ में

उत्तर प्रदेश

7

बिहार

6.3

पश्चिम बंगाल

4.1

असम

2.1

मध्य प्रदेश

0.74

गुजरात

0.68

कर्नाटक

0.13

छत्तीसगढ़

0.12

दिल्ली

0.06

राजस्थान

0.03

ये आँकड़े उन घरों के हैं, जो भूमिगत जल यानी कुएँ, ट्यूबवेल और हैंडपम्प पर आश्रित हैं।

 

इन राज्यों में दूषित पानी नहीं


महाराष्ट्र, केरल, उत्तराखंड, गोवा, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में आर्सेनिक युक्त दूषित पानी की रिपोर्ट नहीं मिली है। ओडिशा और राजस्थान सबसे कम दूषित पानी प्रभावित राज्यों में शामिल हैं। यहाँ सिर्फ एक जिले में ही आर्सेनिक युक्त पानी मिला है।

ये हैं अहम वजह


खनन और औद्योगिक गतिविधियाँ अहम वजह हैं। आर्सेनिक युक्त पानी से खेतों की सिंचाई होने और इससे तैयार भोजन करने से भी लोग प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे पानी में पलीं मछलियाँ, मीट, मुर्गी व डेयरी उत्पाद व अनाज भी शरीर में आर्सेनिक की मात्रा बढ़ा सकते हैं।

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