दादूपुर-नलवी नहर विवाद : 27 सालों से पानी की बाट जोह रहे किसानों को झटका


डार्क जोन में कैसे मिलेगा पानी, फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएगी किसान यूनियन

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरुनाम सिंह चढूनी ने कहा कि खट्टर सरकार का यह फैसला पूरी तरह से किसान विरोधी है और इस फैसले के खिलाफ अब यूनियन हाईकोर्ट जाएगी। चढूनी ने कहा कि इस नहर के जरिये डार्क जोन क्षेत्र में पानी पहुँचाना था, लेकिन सरकार ने किसानों को मुआवजा देने के बजाय इस नहर को ही डी-नोटिफाई करना मुनासिब समझा जोकि किसानों के साथ धोखा है।

पिछले 27 वर्षों से दादूपुर-नलवी नहर के जरिये पानी की एक-एक बूँद का इंतजार कर रहे 3 जिलों के किसानों को खट्टर सरकार ने जोर का झटका धीरे से दिया है। खट्टर सरकार ने दादूपुर-नलवी नहर के लिये मुआवजा देेने के बजाय अब डी-नोटिफाई कर दिया है। सरकार के फैसले को लेकर एक ओर जहाँ प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दलों ने ताल ठोंक दी है तो वहीं भारतीय किसान यूनियन ने कोर्ट जाने की बात कही है। भारतीय किसान यूनियन सरकार के फैसले की आहट पर पिछले 37 दिनों से धरना दे रही थी, जहाँ अब यूनियन ने सरकार के फैसले को किसान विरोधी करार दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और इनैलो नेता अभय सिंह चौटाला ने भी सरकार के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे किसानों के खिलाफ सबसे बड़ा धोखा बताया है। खास बात यह है कि इस नहर के खत्म होने से अब तीन जिलों के डार्क जोन क्षेत्रों में पानी की भारी समस्या खड़ी हो जाएगी। किसानों का सवाल है कि आखिर डार्क जोन की समस्या से कैसे निपटेगी सरकार?

दादूपुर-नलवी नहर की नींव 1990 में रखी गई थी। इस नहर को बनाने की वजह क्षेत्र में घटता जलस्तर रहा है, जहाँ किसानों की माँग पर इस नहर को बनाने की कवायद शुरू हुई। इस नहर को चुनावी मुद्दा भी बनाया गया और 1997 में इस नहर के लिये 137 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया। उस समय नहर निर्माण के लिये करीब 45 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया गया था। 16 नवम्बर 2004 को तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने अम्बाला जिले के गाँव अधोया में नहर का नींव पत्थर रखा। पूर्व की हुड्डा सरकार के कार्यकाल में करोड़ों रुपये खर्च कर इस नहर के पहले चरण का काम पूरा किया गया। पिछली हुड्डा सरकार के समय ही किसानों को पाँच लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया गया, लेकिन किसान कम मुआवजे की माँग को लेकर कोर्ट चले गये, जहाँ कोर्ट ने 16 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने का आदेश दिया था। इसी बीच कुछ गाँवों का अपील पर कार्ट ने 2887 रुपये प्रति गज वर्गमीटर के हिसाब से मुआवजा देने का आदेश दिया। यमुनानगर, अम्बाला व कुरुक्षेत्र के 225 गाँवों से गुजरने वाली इस नहर के लिये 267 करोड़ रुपये का प्रावधान तय किया गया। जोकि पूर्व के बजट से काफी ज्यादा था।

कोर्ट में दस्तक देगी किसान यूनियन : चढूनी


भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरुनाम सिंह चढूनी ने कहा कि खट्टर सरकार का यह फैसला पूरी तरह से किसान विरोधी है और इस फैसले के खिलाफ अब यूनियन हाईकोर्ट जाएगी। चढूनी ने कहा कि इस नहर के जरिये डार्क जोन क्षेत्र में पानी पहुँचाना था, लेकिन सरकार ने किसानों को मुआवजा देने के बजाय इस नहर को ही डी-नोटिफाई करना मुनासिब समझा जोकि किसानों के साथ धोखा है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने सरकार को मुआवजा देने का आदेश दिया था जिस पर सरकार ने अमल करने के बजाय डी-नोटिफाई का रास्ता अपनाकर कोर्ट की अवमानना की है।

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