![मगरमच्छ](/sites/default/files/styles/node_lead_image/public/hwp-images/crocodial_1_11.jpg?itok=_UR2uP0q)
भोपाल। चंबल नदी में जो राष्ट्रीय अभ्यारण्य बना है, उसमें घड़ियाल ही घड़ियाल पैदा हो सकते हैं। बशर्ते यहां लोकल हेचरी यानी स्थानीय प्रजनन गृह नदी क्षेत्र में ही बना दिया जाए। इसे बनाने की अनुमति भारत सरकार से मद्रास के क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट ने मांगी है लेकिन ट्रस्ट को इसकी इजाजत नहीं दी गई है। जबकि ट्रस्ट ने हार नहीं मानी है, उसकी कोशिश जारी है।
वन विभाग के आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट एक एनजीओ संस्था है। यह मद्रास में सन 1965 से मगरमच्छ, घड़ियाल, कछुए और सापों का एक वाइल्ड लाइफ पार्क संचालित कर रही है। यह पार्क वहां रिहायशी बस्ती के पास पांच एकड़ जमीन में फैला है। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष रोमूलस मिटेकर हैं, जो देश में मगरमच्छ, घड़ियाल, कछुओं और सापों का संरक्षण करने के लिए जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि जो लोकल हेचरी बनाने का सपना मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट ने देखा है, उसमें चंबल अभ्यारण्य के क्षेत्र विशेष में जाली लगाकर एक बड़ा इलाका घेरे में लिया जाएगा। इसमें घड़ियालों के अंडे संग्रहीत करके उन्हें वहीं प्राकृतिक वातावरण में रहने दिया जाएगा, जिनमें से घड़ियाल निकलकर सीधे पानी में विचरण करेंगे। घड़ियाल ही घड़ियाल जब चंबल सेंचुरी में होंगे तो इनके बीच टकराव होगा। आधिकारिक सूत्र कहते हैं कि घड़ियालों की संख्या अभ्यारण्य में ज्यादा होने पर इनके बीच भोजन और प्रजनन को लेकर फाइटिंग होगी। इसलिए यहां एक सीमित संख्या में ही घड़ियाल रखे जाएं और बाकी घड़ियालों को अन्यत्र नदियों व वाइल्ड लाइफ पाकरें में शिफ्ट किए जाने पर कोई खतरा नहीं होगा।
मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट एक एनजीओ संस्था है तो उसके अपने नियम-प्रोग्राम होंगे। अगर भारत सरकार उसे यहां नेशनल चंबल सेंचुरी में लोकल हेचरी की अनुमति दे देगी तो इससे फायदे के साथ नुकसान भी संभव है। क्योंकि एनजीओ तो अपने प्रोग्राम के मुताबिक काम करेगा, तब वह कुछ मनमानी भी कर सकता है। आरएसएस सिकरवार, नेशनल चंबल सेंचुरी मप्र प्रमुख व डीएफओ मुरैना कहते हैं कि नेशनल चंबल सेंचुरी में लोकल हेचरी बनाने की अनुमति मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट ने भारत सरकार से मांगी है। लेकिन उसे अनुमति नहीं दी गई है। क्योंकि इसके फायदे के संग नुकसान भी संभव है।
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