चंबल जैसी साफ होनी चाहिए देश की सभी नदियां

चंबल नदीदेश की सभी नदिया चंबल नदी जैसी साफ-सुथरी हों ताकि प्रदूषण मुक्ति पूरी तरह से हो सके। इस तरह की बातें सामने रखी है चंबल के उन वासिंदों ने,जो सालों से चंबल नदी का पानी पीकर अपने आप को स्वस्थ्य बनाए हुए हैं।


चंबल नदी के किनारे बसे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जिले इटावा के बसवारा गांव के वासी नीरज यादव का कहना है कि नरेंद्र मोदी ने देश की गंदी हो चुकी नदियों को साफ करने की जो मुहिम शुरू कराई है वो वाकई मे ना केवल बहुत ही बेहतर है बल्कि उसका दूरगामी असर दिखलाई देगा इसके साथ ही वे यह भी कहते हैं कि हमारे गांव के पास बहने वाली चंबल नदी इतनी साफ है कि हम इस नदी जैसी ही देश की सभी नदियों को देखना चाहते हैं अगर हकीकत में ऐसा होता है तो मानिए की देश में एक नई क्रांति का संचार हो जाएगा।

इसी गांव के सरकारी शिक्षक संजय सिंह का कहना है कि हां बिल्कुल चंबल जैसी ही सब नदियां होनी चाहिए अगर चंबल जैसी सब नदी हो जाए तो शायद ही पचहत्तर प्रतिशत सुधार हो जाए क्योंकि जब स्वच्छता होगी तो जाहिर है कि हिंदुस्तान भी साफ होगा भाई जैसा गंगा-यमुना पवित्र नदियों की श्रेणी में आती हैं वो इतनी मैली हैं कि उनके पानी को उठाने से लोगो का संकट पैदा हो रहा है लेकिन गंगा जल है इसलिए लोग मुंह में डाल लेते हैं।


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एक बार नहीं कई बार चंबल नदी की तारीफ कर चुके हैं। अखिलेश यादव ने खुले लफ्जों में कहा कि “दुर्गम बीहड़ी इलाकों में से प्रभावित होकर बहने वाली चंबल नदी का पानी यदि उनके जिले इटावा में यमुना नदी में ना मिले तो यमुना नदी सूखी हुई ही नजर आएगी “पर्यावरण प्रेमी अखिलेश यादव की चंबल नदी के प्रति की गई तारीफ नदी के प्रदूषण मुक्त होने की ना केवल दुहाई देती है बल्कि चंबल को उच्च शिखर पर इसलिए पहुंचाती है क्योंकि देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री तारीफ कर रहे हैं।

यह पश्चिमी मध्य प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक है। चंबल इस पठार की एक प्रमुख नदी है। विदर्भ के राजा चेदि ने ही चंबल और केन नदियों के बीच चेदि राज्य की स्थापना की थी। जिसे बाद में कुरू की पांचवीं पीढ़ी में बसु ने यादवों के इसी चेदिराज्य पर विजय श्री प्राप्त की और केन नदी के तट पर शक्तिमति नगर को अपनी राजधानी बनाया।


चंबल नदी दुर्लभ घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुओं, डाल्फिन के अलावा कई सैकड़ा दुर्लभ जलचरों का भी प्राकृतिक संरक्षण करती है इन्हीं जलचरों को बचाने के लिए चंबल सेंचुरी की स्थापना की गई है लेकिन साल 2008 के आखिर दिनों मे आई आपदा ने दौ सौ से अधिक घड़ियालों के अलावा दर्जन भर मगरमच्छ और आधा दर्जन के आसपास डाल्फिनों को मौत की नींद में सुला दिया है चंबल के जलचरों पर आई आपदा इससे पहले ना तो देखी गई और ना सुनी गई देश-विदेश के सैकड़ों विशेषज्ञों ने चंबल में आकर कई किस्म के परीक्षण किए लेकिन आज तक नतीजे सामने नहीं आ सके हैं लेकिन उस समय विशेषज्ञों ने राय दी कि चंबल का पानी जहरीला हो गया है इसके बावजूद आज चंबल के पानी को पीने वालों को कोई नुकसान किसी भी स्तर का नहीं हुआ है बल्कि उनको भला चंगा देखा जा सकता है।

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