चन्देरी नगर की जल प्रबन्धन व्यवस्था


Kirat Sagar, Mahoba, 26 Sptember 2013चन्देरी दक्षिण बुन्देलखण्ड का प्राचीन ऐतिहासिक नगर रहा है। यह बेतवा नदी के पश्चिमी पार्श्व में खंडार गिरि पर्वत की पश्चिमी तलहटी में बसा हुआ है। महाभारत काल में चन्देरी चेदि वंशीय महाराज शिशुपाल की राजधानी थी। प्राचीन काल में चन्देरी नगर निवासियों का जल आपूर्ति संसाधन स्रोत बेत्रवती नदी थी। काल परिस्थितियों बस प्राचीन नगर बेतवा नदी के तटवर्ती क्षेत्र से दक्षिण-पूर्व की ओर खिसकता बसता गया। छठीं सदी के पश्चात इस क्षेत्र में प्रतिहारों, चन्देलों, सल्तनतयुगीन सुल्तानों, मुगल सम्राटों एवं बुन्देला नरेशों ने अपना-अपना राज्य शासन कायम किया। चन्देरी नगर बेतवा एवं उर्वशी नदियों के मध्य में होने पर भी जल संकट से परेशान होता रहता था। समय-समय पर राजाओं एवं शासकों, सूबेदारों ने चन्देरी के निवासियों के जल संकट समस्या निवारण हेतु तालाबों, एवं बावड़ियों का निर्माण कराया था जिनका विवरण निम्न प्रकार है-

परमेश्वर तालाब- परमेश्वर तालाब चन्देरी नगर के मध्य है। इसे चमत्कारिक तालाब बतलाया जाता है। ऐसी किंवदंती है कि इस सरोवर का निर्माण राजा कूर्म देव (कीर्तिपाल) ने कराया था। इस सरोवर के तीन ओर बुन्देला राजाओं की छतरियाँ बनी हुई हैं। छतरियों के आस-पास मन्दिर एवं शिव मठ हैं।

हौजखास तालाब- हौजखास तालाब भी चन्देरी नगर का बड़ा तालाब है जो मौला अली की पहाड़ी के पास है। इसका निर्माण 1467 ई. में सुल्तान महमूद खिलजी प्रथम ने कराया था।

नया तालाब (शहजादी का रोजा)- नया तालाब, परमेश्वर तालाब के निकट बने शहजादी रोजे के चारों ओर घेरे के रूप में बना हुआ है। यह रोजा एवं तालाब 15वीं सदी का है। ऐसी मान्यता है कि चन्देरी का एक हाकिम था, जिसकी बेटी का नाम महरुन्निसा था। हाकिम महरुन्निसा का विवाह किसी राजकुमार से करना चाहता था परन्तु महरुन्निसा चन्देरी के सेना प्रमुख से प्यार करती थी। अस्तु हाकिम ने घात लगवाकर सेना प्रमुख को परमेश्वर तालाब के निकट मरवा डाला था। महरुन्निसा ने जब सेना प्रमुख के वध किए जाने की खबर सुनी तो वह भागी-भागी सेना प्रमुख के शव के पास पहुँची और उसके शव पर गिरी और प्राण त्याग दिए थे। बाद में हाकिम ने बेटी के मृत्युस्थल पर विशाल मकबरा बनवाकर, उस समारक के चारों ओर गहरा चौपरानुमा नया तालाब बनवा दिया था। यह चौपरा (तालाब) बिना सीढ़ियों का बनवाया था कि जिससे कोई राजा (स्मारक) तक न पहुँच सके।

जागेश्वरी देवी तालाब- यह तालाब प्रतिहार राजा कूर्मदेव (कीर्तिपाल) ने जागेश्वरी देवी गुफा मन्दिर के पास पहाड़ कटवाकर बनवाया था।

कीर्तिसागर तालाब- कीर्ति सागर तालाब, कीर्तिपाल प्रतिहार राजा का बनवाया हुआ है। इसी के पास कीर्तिनारायण मन्दिर है। यह सुन्दर तालाब है जो किला पहाड़ की तलहटी में है।

लोहरा तालाब (धुबिया)- लोहरा तालाब भी किला पहाड़ी के पश्चिमी पार्श्व में है। इसमें कपड़े धोने का काम अधिक होता था जिस कारण इसे धुबिया तालाब भी बोला जाता था।

पन बावड़ी- यह छोटा तालाब है जिसे पन बावड़ी के नाम से जाना जाता है। यह भी किला परिसर में है जो रामनगर मार्ग पर है।

लाल बावड़ी- यह लाल बावड़ी नाम से प्रसिद्ध छोटा सरोवर किला परिसर में ही है जो पन बावड़ी के पश्चिम में है।

सुल्तानिया तालाब- यह बड़ा तालाब है जो 15वीं सदी का है तथा चंदेरी के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में मुगावली रोड पर है। यह कुश्क महल निर्माण के पत्थर की खदानों से बन गया था।

मलूखां तालाब- मलूखां तालाब भी कुश्क महल निर्माण हेतु खोदे गए पत्थर की खदानों से निर्मित है, जो पहाड़ की तलहटी में है। मलूखां चन्देरी का हाकिम था।

तालाब बेहजत खाँ, रामनगर- बेहजत खाँ तालाब चन्देरी नगर के दक्षिणी पार्श्व में रामनगर के पास स्थित है। इस तालाब का निर्माण सन 1520 ई. में चन्देरी के हाकिम बेहजत खाँ ने कराया था।

सिंहपुर तालाब- चन्देरी-पिछोर मार्ग पर पहाड़ी की तलहटी में सिंहपुर तालाब है। यह सुन्दर तालाब है। पहाड़ी पर सिंहपुर महल है। महल एवं तालाब चन्देरी के बुन्देला राजा देवी सिंह ने सन 1656 में बनवाए थे।

सिंहपुर तालाब चाल्दा- सिंहपुर तालाब के पास ही पाड़री में भी 1436 ई. का निर्मित तालाब है। इसे प्राणपुर का तालाब भी कहते हैं।

हौज-ए-खुशल्ला- यह चन्देरी के फतेहाबाद में है जो 15वीं सदी में बना था। इसे हौज-ए-कुचल्ला भी कहते हैं।

कुमकुम तालाब- यह शहर में ही है। गिलउआ तालाब कूर्मदेव का बनवाया हुआ है जो कीर्ति दुर्ग के प्रांगण में है। एक जौहर तालाब भी किले में है।

इन तालाबों के अतिरिक्त चन्देरी में बावड़ियाँ बहुत रही हैं। आइने अकबरी में अबुल फजल ने उल्लेख किया है कि चन्देरी नगर एवं उसके आस-पास नागरिकों की जल व्यवस्था के लिये बड़ी-बड़ी गहरी लगभग 1200 बावड़ियाँ रही हैं। चन्देरी नगर में निम्नांकित बावड़ियाँ आज भी दर्शनीय हैं-

राजा की बावड़ी, चंदाई बावड़ी, भूसा बावड़ी, चकला बावड़ी, तपा बावड़ी, गोल बावड़ी, एक पत्थर बावड़ी, आलिया बावड़ी, जनाजन बावड़ी, गचाऊ बावड़ी, हरकुंड बावड़ी, दरीबा बावड़ी एवं विष्णु (विसर) कुंड के साथ ही शेरखाँ हाकिम के समय की बत्तीसी एवं काजियां बावड़ी दर्शनीय हैं। इसके अतिरिक्त चन्देरी नगर एवं क्षेत्र में बीसों छोटे-छोटे ताल-तलैया हैं।

 

बुन्देलखण्ड के

तालाबों एवं जल प्रबंधन का इतिहास

(इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें)

क्रम

अध्याय

1

बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास

2

टीकमगढ़ जिले के तालाब एवं जल प्रबन्धन व्यवस्था

3

छतरपुर जिले के तालाब

4

पन्ना जिले के तालाब

5

दमोह जिले के तालाब

6

सागर जिले की जलप्रबन्धन व्यवस्था

7

ललितपुर जिले के तालाब

8

चन्देरी नगर की जल प्रबन्धन व्यवस्था

9

झांसी जिले के तालाब

10

शिवपुरी जिले के तालाब

11

दतिया जिले के तालाब

12

जालौन (उरई) जिले के तालाब

13

हमीरपुर जिले के तालाब

14

महोबा जिले के तालाब

15

बांदा जिले के तालाब

16

बुन्देलखण्ड के घोंघे प्यासे क्यों

 


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