चमोली में 50 साल से मृत पड़ी झील को ज़िंदा करने के प्रयास

दुर्मिताल
दुर्मिताल

उत्तराखंड हमेशा से अपनी खूबसूरत वादियों नदियों और झीलों के लिए जाना जाता रहा है। उत्तराखंड में कई सारे पर्यटन स्थल मौजूद हैं। यहां पर कई सारे पर्यटक स्थल ऐसे भी हैं जिनके बारे में अभी ज्यादा लोगों को पता नहीं है, उत्तराखंड में हर साल  छोटी बड़ी प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं। प्राकृतिक आपदाओं की वजह से यहां जान माल का काफी नुकसान भी होता है कभी-कभी यह प्राकृतिक आपदाएं इतनी विकराल होती हैं जिसकी वजह से कई सारे पर्यटक स्थल नष्ट हो गए हैं और फिर वह दोबारा अपने पुराने स्वरूप में वापस नहीं लौट पाए ।

100 साल पहले बनी  झील आपदा की वजह से हो गई थी नष्ट

उत्तराखंड के चमोली जिले के दुर्मिताल में ऐसी ही एक जगह थी जो प्राकृतिक आपदा की वजह से आज नष्ट हो चुकी है । बताया जाता है की विरहिताल में आज से लगभग 100 साल पहले साल 1890 के आसपास एक झील बनी थी। इस इलाके के आसपास रहने वाले बुजुर्ग लोग बताते हैं कि यहां पर करीब 5 किलोमीटर लंबी एक झील हुआ करती थी उस समय यहां काफी पर्यटक आया करते थे । लेकिन साल 1971 में इस इलाके में बादल फटने की वजह से आई बाढ़ और मलबे की वजह से यह झील पूरी तरह से नष्ट हो गई । बताया यह जाता है कि उस समय की एशिया की सबसे बड़ी झीलों में से एक मानी जाती थी ।

झील की खुदाई में दबी मिली वर्षों पुरानी नाव

15 अगस्त को यहां के स्थानीय लोगों ने मोहन सिंह नेगी के नेतृत्व में एक बार फिर से झील का पुनर्निर्माण करने की ठानी।मोहन सिंह ईरानी गांव के प्रधान हैं और पर्यावरण के प्रति खासे जागरूक इंसान हैं। खुदाई और झील को फिर से जिंदा करने के इस काम में मोहन सिंह के साथ और भी बहुत से लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। ग्राम प्रधान के मुताबिक लगभग दस से ज्यादा गांवों के लोगों ने इस काम में अपनी भागीदारी की। लोगों में उत्साह और जोश इस कदर था कि सबने मिलकर जल्दी से झील की खुदाई कर दी। करीब 5 फीट की खुदाई के दौरान यहां पर एक पुरानी नाव मिली है। बताया यह जाता है कि यह नाव अंग्रेजों के समय की है उस समय अंग्रेज इस झील में नौका विहार करते थे यहां आज भी अंग्रेजों के समय के बनाए हुए बंगले मौजूद है।

ईरानी गांव के ग्राम प्रधान मोहन सिंह नेगी ने बताया कि

हमने गांव के बुजुर्गों से सुना था कि यहां एक झील थी जिसमें नाव भी दबी है तो हमने आसपास के 10 गांव के लोगों की मदद से यहां खुदाई करके इस नाव को सुरक्षित निकाला है।

झील के पुनरुद्धार के लिए सरकार से मांग

इस इलाके के स्थानीय लोगों का कहना है कि हमारे आस पास कोई खेती या उद्योग नहीं है ऐसे में पर्यटन एक कमाई का अच्छा जरिया हो सकता है । इसलिए स्थानीय लोग श्रमदान करके इस झील का पुनरुद्धार करने की सोच रहे हैं । साथ ही साथ लोगों की सरकार से मांग है कि वह इस झील को दोबारा अपने पुराने स्वरूप में वापस लाने में लोगों की मदद करें या किसी अन्य तरह की सहायता प्रदान करें जिससे कि इलाके में रहने वाले रहने वाले लोगों को रोज़गार मिल सके और पलायन रुक सके।   

Path Alias

/articles/camaolai-maen-50-saala-sae-marta-padai-jhaila-kao-jaindaa-karanae-kae-parayaasa

Post By: Shivendra
×