चिनॉयकी जिगोकू लेक : बेहद खतरनाक साक्षात मौत


करीब सौ वर्ष पहले 1924 में इस विलक्षण झील की खोज जापान के इतिहासकारों की दृष्टि में हुयी थी। खतरनाक होने के बावजूद जापान सहित दुनिया से करीब 12 मिलियन पर्यटक इस विलक्षण झील की विलक्षणता का अवलोकन करने आते हैं। हालाँकि सुरक्षा की दृष्टि से इस झील के चारों ओर रेलिंग बना दी है जिससे पर्यटकों को झील से होने वाली किसी भी दुर्घटना से बचाया जा सके।

पानी की निर्मलता में सौन्दर्य बोध है तो वहीं विषाक्तता बेहद खतरनाक भी। जीवन की आवश्यकता तो ‘बिन पानी सब सून’। जी हाँ, पानी में जीवन है तो मौत भी। देश-दुनिया में ‘ब्लडी पॉण्डस’ की संख्या भी कम नहीं है। एक ऐसा ही ब्लडी पॉण्ड अर्थात झील जापान के शहर बेप्पू में ‘चिनॉयकी जिगोकू लेक’ है। ‘चिनॉयकी जिगोकू लेक’ साक्षात मौत से कम नहीं। लिहाजा जापान शासन ने इस झील में नहाना एवं तैरना पूर्णत: प्रतिबंधित कर रखा है। हालाँकि यह जापान के मुख्य प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। ‘चिनॉयकी जिगोकू लेक’ के जल अर्थात पानी का तापमान हमेशा 194 फारनेहाइट रहता है। यह दशा-दिशा किसी मौत से कम नहीं। इस विलक्षण झील में लौह तत्व क्षारीय-खारीय तत्व की अधिकता है। नमक भी कहीं अधिक तादाद में पानी में पाया जाता है। जापान में ‘चिनॉयकी जिगोकू लेक’ ब्लडी पाण्ड के मान से मशहूर है। सामान्यत: इस झील के आस-पास भी आने-जाने पर प्रतिबंध है, लेकिन सावधानी बरतने की हिदायत के साथ अनुमति दे दी जाती है। विशेषज्ञों की मानें तो इस विलक्षण ‘चिनॉयकी जिगोकू लेक’ झील की सतह से भाप-वाष्प निकलती रहती है।

यह एक रासायनिक प्रक्रिया है। रासायनिक प्रक्रिया के कारण ही इस झील के पानी का रंग खून की तरह गाढ़ा लाल रहता है। कोई भी एकबारगी झील के पानी को देखकर खून का धोखा खा जाता है। जापान के बेप्पू शहर का यह असाधारण जलस्रोत देश-दुनिया में अपनी एक अलग पहचान रखता है। विशेषज्ञों की मानें तो ‘चिनॉयकी जिगोकू’ का जापानी अर्थ ब्लडी हेल्ल पॉण्ड होता है। खास यह है कि मौसम बदलने के साथ ही इस विलक्षण झाल के पानी का रंग भी तेवर-कलेवर बदलता रहता है। धूप हो तो झील का पानी नारंगी, गुलाबी व सुर्ख लाल होता है। यह धूप के तल्ख तेवर पर निर्भर करता है। तेज-कड़क धूप होने पर झील का पानी सुर्ख लाल होगा। मौसम में बादल हो तो पानी का रंग लाल चमकदार हो जाएगा। आँधी-अंधड़ के दौरान तो रहस्यमयी पानी दिखता है। खून की तरह लाल एवं गाढ़ा दिखता है। विशेषज्ञों की मानें तो जलाशय के स्रोत में बड़ी तादाद में मैग्नीशियम एवं लौह तत्व की उपलब्धता पानी के रंग परिवर्तन का एक बड़ा कारक है। खास यह है कि नित्य रात्रि में झील के जलस्तर में वृद्धि महसूस की जाती है।

करीब पचास हजार घनमीटर पानी का उत्प्रवाह होता है। झील में निरंतर लाल पानी का उत्सर्जन होता है। तो वहीं पानी हमेशा उबलता रहता है। पानी उबलने की खदबदाहत हर चालीस से पैंतालीस मिनट में महसूस की जा सकती है। यह दशा अविश्वसनीय प्रतीत होती है लेकिन हकीकत है।

यह विलक्षणता ही पर्यटकों को झील तक आने को विवश कर देती है। करीब सौ वर्ष पहले 1924 में इस विलक्षण झील की खोज जापान के इतिहासकारों की दृष्टि में हुयी थी। खतरनाक होने के बावजूद जापान सहित दुनिया से करीब 12 मिलियन पर्यटक इस विलक्षण झील की विलक्षणता का अवलोकन करने आते हैं। हालाँकि सुरक्षा की दृष्टि से इस झील के चारों ओर रेलिंग बना दी है जिससे पर्यटकों को झील से होने वाली किसी भी दुर्घटना से बचाया जा सके।

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