चेक डैम लाएंगे हरित क्रांति जम्मू में

जम्मू के लखनपुर से लेकर अखनूर तक फैले संभाग के कंडी क्षेत्र में सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन कर रहे लोगों को आशा की एक 'किरण' दिखी है। जी हां, यह किरण है 'चेक डैम', वह भी कंडी क्षेत्र में। यदि बाढ़ नियंत्रण विभाग सांबा द्वारा इस संबंध में किए गए प्रयास रंग ला देते हैं तो कंडी के क्षेत्र में आएगी एक 'हरित क्रांति'। यदि ये चेक डैम बन गए तो कंडी की लाखों एकड़ भूमि की प्यास बुझेगी और क्षेत्र में आएगी हरियाली, जो कंडीवासियों के दामन को खुशियों से भर देगी।

जम्मू संभाग के कंडी क्षेत्र की बात करें तो यहां मुख्य रूप से पानी की परेशानी है। चाहे व सिंचाई के लिए हो या पीने के लिए। कंडी में सिंचाई सुविधा न होने से लाखों एकड़ भूमि किसानों के लिए बेकार साबित होती है। सिंचाई के अभाव व प्राकृतिक आपदाओं के कारण कंडी में कृषि पूरी तरह से निगलेक्ट हो चुकी है। हालांकि इस क्षेत्र में हर्बल पौधों व जड़ी-बूटियों का अपार खजाना है। खैर जैसी कीमती लकड़ी भी इसी क्षेत्र में पैदा होती है। ऐसे में जब यहां के लोग खेती से बिमुख होने लगे, क्षेत्र की प्रमुख सिंचाई की समस्या को हल करने के लिए आगे आया बाढ़ नियंत्रण विभाग सांबा। विभाग ने कंडी में सिंचाई की समस्या को हल करने के लिए क्षेत्र स्थित विभन्न नालों व दरियाओं पर बनने वाले करीब 27 चेक डैम के प्रपोजल बनाकर केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा। केंद्र ने भी विभाग के प्रपोजल को सही मानते हुए तीन को तुरंत मंजूरी दे दी। यदि उक्त 27 प्रोजेक्ट मंजूर हो गए तो कंडी में सचमुच हरित क्रांति आ सकती है।

हीरानगर विधानसभा क्षेत्र स्थित गरा सतूरा में जख नाले पर पहले चेक डैम के निर्माण के लिए 4.2 करोड़ रुपये जारी होते ही काम शुरू हो गया था। इस समय यह अपने अंतिम चरण में हैं। 218 मीटर लंबे इस चेक डैम में 175 फीट गहरी झील तैयार होगी। इन चेक डैमों में एकत्रित पानी से कई उद्देश्य पूरे होंगे। अधिकारियों का मानना है कि व्यर्थ बहने वाले पानी के डैम में एकत्र होने से आसपास के क्षेत्र में भूमिगत जलस्तर भी ऊपर आएगा। इससे पुराने प्राकृतिक जल स्त्रोत कुओं, तालाबों, बाबलियों व कूलों का जलस्तर ऊपर आएगा। इसके अलावा प्रतिवर्ष बाढ़ से होने वाले भूमि कटाव को रोकने में भी सहायता मिलेगी।

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