चौंकिए मत! जल की रानी को भी होता है दर्द

क्या मछलियों को दर्द भी होता है? क्या वह भी आम इंसानों की भांति दर्द होने पर कराहती और चिल्लाती है....इन उलझनों को सुलझाने का दावा किया है पेन स्टेट ने। प्रोफेसर और पर्यावरणविद पेन स्टेट की किताब ‘डू फिश फील पेन?’ के मुताबिक मछलियों में खास किस्म का स्नायु फाइबर्स होता है जो उकसाने वाली गतिविधियों, उत्तकों के नुकसान और दर्द का अहसास कराता है। चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसा ही स्नायु फाइबर्स स्तनपायी जीवों और चिड़ियों में भी पाया जाता है।

स्टेट ने बताया कि 2030 तक इंसान मछलियों की अधिकांश जरूरत फिश फार्म से पूरा करेगा। इसलिए मछलियों के देखभाल और स्वास्थ्य के प्रति जानना बेहद जरूरी है। प्रयोगों से पता चला है कि मछलियां किसी भी प्रतिकूल व्यवहार के प्रति सतर्क रहती है। यदि हम उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं तो वह ही प्रतिक्रिया करती है। यदि हम उन्हें चोट पहुंचाते हैं तो उसका व्यवहार बदल जाता है। यह मछलियों के दर्द होने की अनुभूति का अहसास कराता है। अभी तक यही माना जाता रहा है कि मछलियों के पास सामान्य दिमाग होता है। वह अनुभवों को समझने में सक्षम नहीं है। किंतु, स्नायु फाइबर्स संबंधी खोज ने इस मान्यता को पूरी तरह झुठला दिया है। इससे यह साबित होता है कि मछलियां इंसानी अनुमान से अधिक तेज और समझदार है।
 

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