बिलासपुर और सोलन जिले की सीमा पर त्रिवेणी घाट में चल रहे जल विवाद पर अली-खड्ड संघर्ष समिति ने उग्र आंदोलन करने व संघर्ष को तेज करने का ऐलान कर दिया है। जिसके लिए जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार जिम्मेवार होगी। अली खडड संघर्ष समिति ने प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाए हैं। समिति ने सरकार से इस मसले पर उचित कार्रवाई शुरू करने की मांग की है। यहां पर वीरवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए अली खड्ड बचाओ संघर्ष समिति के प्रधान रजनीश शर्मा ने कहा कि बिलासपुर एवं सोलन जिले की सीमा पर स्थित त्रिवेणीघाट में अली-खड्ड पर प्रभावित पंचायतों के लोग पिछले 44 दिनों से तंबू लगाकर पानी को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसके बावजूद भी सरकार की तरफ से किसी भी नेता और प्रशासनिक अधिकारी ने संघर्षरत लोगों से बात करना उचित नहीं समझा। उन्होंने कहा कि नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के इस गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण प्रभावित क्षेत्र के लोगों ने 10 मार्च को महापंचायत बुलाने का निर्णय लिया है।
10 मार्च को होने वाली महापंचायत में संघर्ष की आगामी रूपरेखा तय की जाएगी और आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया जाएगा। इसके तहत शिमला कूच और प्रशासनिक अधिकारियों के घेराव जैसे निर्णय लिए जाएंगे। उन्होंने सरकार द्वारा अली-खड्ड के पानी की जांच के लिए गठित की गई कमेटी की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाए हैं तथा कहा कि जिस दिन पानी की जांच की गई। उस दिन त्रिवेणीघाट के ऊपर की सभी पेयजल योजनाओं को बंद कर दिया था। जबकि कमेटी ने केवल एक जगह ही पानी की जांच की जबकि कमेटी को अली खड्ड के गोबिंद सागर झील में मिलने वाले संगम स्थल की जांच भी करनी चाहिए थी ताकि पता चलता कि खड्ड के अंतिम छोर में कितना पानी है। इस अवसर पर सिकरोहा पंचायत प्रधान भूपचंद, राजपाल सरीन, कर्मचंद व सुरेंद्र ठाकुर भी मौजूद रहे।
स्रोत - दैनिक सवेरा, बिलासपुर, 7 मार्च, हिमाचल
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