बरेली / उत्तर प्रदेश/ जागरण धरती के गर्भ से मिल रहा अमृत तुल्य जल सीमित है। इसका जरूरत से ज्यादा दोहन हमको भयावह भविष्य की ओर ले जायेगा। इस बाबत चेतावनी तो काफी समय पहले से दी जा रही थी, मगर अब हालात बेकाबू हो चुके हैं। खेतों की सिंचाई के लिये जमीन के नीचे से लगातार निकाले जा रहे पानी का भंडार अब चुकने लगा है। भूगर्भ में जल का स्तर लगातार नीचे गिर रहा है। कई जगह तो इसकी रफ्तार प्रतिवर्ष आठ से दस सेंटीमीटर तक पहुंच गयी है। मंडल के कुल पचपन में से अठारह विकास खंडों को डार्क जोन घोषित कर वहां नये बोरिंग और ट्यूबवैल बनवाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। भूजल स्तर में गिरावट की सबसे खतरनाक स्थिति जनपद बदायूं की है। यहां के 14 ब्लाकों को डार्क जोन घोषित कर दिया गया है। इनमें से छह की स्थिति तो और बुरी है। यहां 15 मीटर तक पानी नीचे सरक गया है।
ऐसे ही हालात बरेली और शाहजहांपुर जनपद के कुछ विकास खडों में भी बन रहे हैं। भूगर्भ जल स्तर का अध्ययन करा रहे जियोहाइड्रोलोजिस्ट मो.लायक अली बताते हैं बरेली में रामनगर और आलमपुर जाफराबाद के साथ शाहजहांपुर के कलान क्षेत्र में भी गिरता जल स्तर खतरे के संकेत दे रहा हैं।
भूगर्भ में जल का स्तर लगातार नीचे गिरने के बावजूद इन हालातों से निपटने के लिये किये जा रहे उपाय नाकाफी ही साबित हो रहे हैं। हालांकि इस गम्भीर मुद्दे पर सरकारी महकमों के अधिकारी कुछ कहने की स्थिति में नही, मगर इनके आंकड़ भविष्य के भयावह हालातों की ओर ही इशारा कर रहे है। गौर करें जनपद पीलीभीत का पूरा इलाका अब तक जल स्तर के सुरक्षित क्षेत्र में माना जाता है। भूगर्भ जल का अध्यन करने वाली एजेंसियों की रिपोर्ट पर भरोसा करें तो बीते दस वर्षो में इस जनपद के अमरिया, बीसलपुर और मरौरी में जलस्तर पांच मीटर तक नीचे जा चुका है।
भूगर्भ जल लगातार नीचे जाने को खेती किसानी के भविष्य के लिये खतरनाक मानते हुए संयुक्त कृषि निदेशक ऋषि राज सिंह कहते हैं ये हालात जरूरत से अधिक जल दोहन के कारण बने हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिये सबको मिल कर प्रयास करने होंगे। इसके लिये रूफ टाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग और टैंक रिचार्ज सिस्टम के साथ ही पानी की बरबादी को रोकना जरूरी है।
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