भूकम्प के लिहाज से यूपी के 50 जिले संवेदनशील

- नेपाल के विनाशकारी भूचाल ने यहाँ बजा दी है खतरे की घण्टी
- नेपाल व उत्तरकाशी से सटे जोन-4 के तहत 29 जिले हैं अत्यन्त संवेदनशील
- राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान ने यूपी को तीन जोन में किया है विभाजित
- उत्तर प्रदेश में बढ़ते शहरीकरण से भविष्य में जानमाल का हो सकता है भारी नुकसान : वीके जोशी
लखनऊ (भाषा)। नेपाल में आए विनाशकारी भूकम्प ने सीमावर्ती राज्य उत्तर प्रदेश में खतरे की घण्टी बजा दी है। प्रदेश के 75 जिलों में से 50 जिले भूकम्प की दृष्टि से संवेदनशील हैं। गृह मन्त्रालय के अधीन राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान (एनआईडीएम) ने जोन-4 के तहत 29 जिलों की पहचान की है, जो भूकम्प की दृष्टि से अत्यन्त संवेदनशील हैं। एनआईडीएम ने राज्य को तीन जोन में विभाजित किया है। नेपाल तथा उत्तराखण्ड में उत्तरकाशी से सटे इलाकों को जोन-4 में रखा गया है।

नेपाल में आए भूकम्प की तीव्रता ने विशेषज्ञों को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उत्तर प्रदेश भूकम्प से कितना सुरक्षित है। नेपाल में आए भूकम्प के झटके उत्तर प्रदेश में भी महसूस किए गए थे। बाराबंकी, कुशीनगर, सन्त कबीर नगर और गोरखपुर जिलों में भूकम्प के बाद के कई झटके महसूस किए गए। बदायूँ, कुशीनगर, श्रावस्ती और बलिया में भी लोगों ने भूकम्प के झटके महसूस किए।

भूकम्प विशेषज्ञ एवं भारतीय भू सर्वेक्षण (जीएसआई) के पूर्व निदेशक वीके जोशी ने आशंका व्यक्त की कि उत्तर प्रदेश में बढ़ते शहरीकरण से भविष्य में जानमाल का भारी नुकसान हो सकता है। उन्होंने ‘भाषा’ से कहा कि इस बार नेपाल में आए भूकम्प के झटके सौभाग्य से उत्तर प्रदेश में उतने तीव्र महसूस नहीं किए गए। जोशी ने कहा कि वैज्ञानिक शब्दावली में बात करें तो उत्तर प्रदेश सुरक्षित जोन में आता है। जोन-4 में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, जेपी नगर, रामपुर, मुरादाबाद, बुलन्दशहर, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, कुशीनगर तथा पीलीभीत, शाहजहांपुर, खीरी, बहराइच, गोण्डा, मथुरा, अलीगढ़, बदायूँ, बरेली, बस्ती, सन्त कबीरनगर, देवरिया और बलिया के कुछ हिस्से आते हैं।

यूपी में 80 वर्ष में पहली बार इस तरह के झटके महसूस किए गए। ऊँची तीव्रता के भूकम्प से सबसे अधिक उत्तर और पश्चिमी हिस्से प्रभावित होते हैं। जोशी ने कहा कि इस पर जोर होना चाहिए कि जितनी भी ऊँची इमारतें बनें, वे भूकम्प रोधी हों। उन्होंने कहा कि राज्य में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, जो चिन्ता की बात है। कल्पना कीजिए कि यदि किसी स्कूल या अस्पताल की इमारत गिर जाए तो आपदा कितनी भयानक होगी। प्रख्यात पृथ्वी वैज्ञानिक एवं हिमालय अध्ययन के विशेषज्ञ ए.आर. भट्टाचार्य ने कहा कि सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि नियमों का सख्ती से पालन हो।

प्रदेश में जोन-3 में आने वाले कुछ कम संवेदनशील सोनभद्र, चन्दौली, गाजीपुर, वाराणसी, जौनपुर, आजमगढ़, गोरखपुर, सुल्तानपुर, रायबरेली, फैजाबाद, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, हरदोई, कन्नौज, मैनपुरी, फिरोजाबाद, एटा, महामायानगर, फर्रूखाबाद, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, कानपुर नगर, औरैया, इटावा, आगरा, मथुरा, अलीगढ़ एवं पीलीभीत के कुछ हिस्से हैं।

जोन-2 में ललितपुर, झाँसी, महोबा, जालौन, बान्दा, कौशाम्बी, इलाहाबाद व फतेहपुर, प्रतापगढ़ और मिर्जापुर के कुछ हिस्से आते हैं।

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