भूकम्प अज्ञान से विज्ञान तक


प्रथम भूकम्प रिकार्ड चीन में 1177 बी.सी. में पाया गया। इतिहास गवाह है कि अज्ञानता में ईश्वर शक्ति के प्रति आस्था कितनी परिपूर्ण है कि कथाओं में भूकम्प को भी महत्त्वपूर्ण माना गया। एक रोमन कथा वाचक ने समुद्री ताकतों को भगवान की कृति के रूप में परिभाषित किया।

यूरोप के इतिहास में शुरुआती 580 बी.सी. में भूकम्प का आलेख किया गया है। 1811-1812 में उत्तर अमेरिका के न्यू मरिड, मेसूरी के नजदीक एक बड़े भूकम्प का आलेख है जिसकी तीव्रता 8 से अधिक पायी गयी। दरअसल तीन और भूकम्पों का भी आलेख है जो लगभग 4 महीनों के अन्तराल में आये थे। इन्हें भूकम्प के बाद के भूकम्प कहा गया जबकि सबसे पहले बड़े भूकम्प ने अमेरिका के बहुत ही बड़े हिस्से को नुकसान पहुँचाया था जिसका असर बोस्तन तक पहुँचा था।

Fig-1सबसे ज्यादा विध्वंसकारी भूकम्प अमेरिका के इतिहास में 1906 में सैंन फ्रांसिस्को में आया जिसमें लगभग 700 से ज्यादा जानें गई थीं। उसके बाद 1964 में अलास्का भूकम्प जो इस भूकम्प से दोगुना होने के बावजूद कम विनाशकारी हुआ क्योंकि वहाँ आबादी कम पाई गई। 1960 का चिलियन भूकम्प विश्व भूकम्प इतिहास का बड़ा भूकम्प आलेखित है, जिसे बाद में 9.5 रिक्टर स्केल का दर्जा दिया गया।

भूकम्प विषय पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण व अध्ययन भूकम्प विज्ञान कहलाता है। प्रारम्भ में चीनी वैज्ञानिकों ने भूकम्प पर काफी गहन अध्ययन किया और एक भूकम्प भविष्यवाणी यंत्र की भी रचना की। चीनी वैज्ञानिकों ने एक लबालब पानी से भरा जार एक स्थिर जगह पर रखा और लगातार उसका परीक्षण किया। यदि जार का पानी ऊपर से छलकता है तो भूकम्प आने को दर्शायेगा। निःसन्देह यह अस्थिर व अनिश्चित विधि मानी गई। फिर इस बात पर भी गौर किया जाने लगा व ध्यान दिया गया कि जानवरों में कम्पन की संवेदना मनुष्य से अधिक व ज्यादा होती है। भूकम्प आने से कुछ मिनटों पहले जानवरों के बर्ताव में अचानक बेचैनी प्रदर्शित होती है। कुत्ते भौंकने व रोने लगते हैं, उड़ने, वाले पक्षी अनियंत्रित ढंग से उड़ने लगते हैं।

एरिस्टोलट पहला यूरोपियन था जिसने भूकम्प के होने को वैज्ञानिक परिभाषा देने का प्रयत्न किया। उनका विचार था कि भूकम्प तेज हवाओं का असर है। 1700 के अन्त तक भूकम्प पर कोई ज्यादा अध्ययन नहीं हुआ। किन्तु जब लिस्बन, लंदन में भारी भूकम्प व सुनामी ने झटका दिया और उससे कुछ ही समय बाद पुर्तगाल में झटका लगा, तब जौन मिशेल (इंग्लैण्ड) और एैली बर्ट्रान्ड (स्विट्जरलैंड) ने आपस में बैठ कर भूकम्प के समय व भूकम्प के आने के कारणों का गहन अध्ययन किया। समय के साथ विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों ने इकट्ठे होकर इस विषय पर चिन्तन किया। 1820 का चिली भूकम्प, वैज्ञानिकों के अध्ययन का केन्द्र बिन्दु बना और यह प्रतिक्रिया रही कि भूकम्प आने पर समूद्री किनारों में बदलाव आता है। इस बात की पुष्टि कैप्टन रोबर्ट फिजरोय ने की।

1850 के आस-पास राबर्ट मैलेट ने भूकम्पीय तरंगों की गति को मापने की रूपरेखा तैयार की। इसी बीच इटली के वैज्ञानिक लुइगी पालमेन ने विद्युत चुम्बकीय भूकम्प मापिक यंत्र की खोज की। सबसे पहला भूकम्पीय माप यंत्र माउंट विसूवियस के पास व दूसरा नेपल्स विश्वविद्यालय में लगाया गया जो सिर्फ अदृश्य भूमि कम्पन को जानने के लिये सीमान्तित था।

.1872 में अमेरिकी वैज्ञानिक ग्रेव गिल्बर्ट ने भूकम्प के परिपेक्ष में पहला वैज्ञानिक तर्क दिया कि भूकम्प समतल क्षेत्र के आस-पास ही केन्द्रित होते हैं। जिसकी 1906 के सैन फ्रान्सिस्को के बड़े भूकम्प के बाद वैज्ञानिक पुष्टि की गई। और उसके बाद भूकम्प आने के कारणों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भ्रंश के आस-पास बने दबाव या बदलाव के कारण होना स्वीकारा गया।

1910 में जर्मन एल्फ्रेड वैगेनर ने पट्ट विवर्तनिकी की परिकल्पना पर एक किताब प्रकाशित की जिसमें ज्वालामुखी व भूकम्प के विषय पर वैज्ञानिक तर्क प्रकाशित किये।

Fig-3तभी से भूकम्प वैज्ञानिक भूकम्प को मापने के भूकम्पीय यंत्र, कम्प्यूटर मॉडल, भूकम्प के आने के सैद्धान्तिक कारणों पर गहन शोधकार्य में जुटे हुये हैं। दुनिया भर के वैज्ञानिक पूर्वानुमान भूकम्प आने की प्रक्रिया व परिणाम के शोधकार्य में अग्रसर हैं।

Fig-4

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एस. के. चबाक
वा. हि. भूवि. सं., देहरादून


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