शौचालयों से ट्यूबवेल, हैण्ड पम्प, उथले कुएं (कम गहराई के कुआं) आदि जल-स्रोतों का संदूषण एक चिन्ताजनक मुद्दा है। जिस पर सामान्यतया कम ध्यान दिया जाता है। जलापूर्ति, स्वच्छता कार्यक्रम के क्रियान्वयन में संलग्न संस्थायें इसका आंकलन अविवेकपूर्ण ढंग से करती है और यह पूर्व अनुमानित कर लिया जाता है कि इस स्थिति से स्वास्थ्य के लिए खतरा प्रायः कम रहता है।
इस तथ्य चार्ट (Fact Sheet) में वर्णित खतरा आंकलन की विधियां, योग्य तकनीकी सक्षम इंजीनियर से सम्पन्न की जा सकेगी। समस्या को अच्छी तरह से समझना, इस सम्बन्ध में पहला कदम होना चाहिए। इस तथ्य चार्ट सूक्ष्म जीवों के संदूषण को उत्पन्न करने के कारकों पर आधारभूत जानकारी देता है जैसे खतरा आंकलन के सिद्धान्त और इससे सम्बन्धित विषय बिन्दुओं, खतरा आंकलन का कार्य सही ढंग से करने के लिए जिन पर अधिक ध्यान और निरीक्षण करने की आवश्यकता होती है। नाइट्रेट या रासायनिक प्रदूषण आंकलन की इस लेख की कोई जानकारी नहीं दी गयी पर कुछ क्षेत्रों में इसके प्रदूषण की भी समस्या हो सकती है।
रोगाणु के गुण और जल संदूषण
अधिकांश रोगाणु जिस पर्यावरण में रहते हैं वहाँ स्वयं आगे गति करने या आगे बढ़ने की क्षमता नहीं रखते हैं और न ही उनमें अधिक दूरी तक पुँचने/ चलने की क्षमता भी नहीं होती है। अतः रोगाणु एक स्थान से दूसरे स्थान पर माध्यम द्वारा जिसमें वे रहते हैं, ले जाये जाते हैं जैसे शौचालय से जल संदूषण स्थल तरल पदार्थ के रूप में गड्ढे में एकत्रित हो जाते हैं। अतः रोगाणु आगे नहीं बढ़ते हैं या जिस जल में वे निलंबित रहते हैं उसकी तुलना में वे आगे नहीं बढ़ते हैं। इस महत्वपूर्ण जानकारी का स्मरण रहना चाहिए जब जल संदूषण स्थल समझने का प्रयास कर रहे हों।
रोगाणु की दो अन्य विशेषतायें हैं जो जल-स्रोत के संदूषण की उनकी क्षमता को प्रभावित करती है- रोगाणु का आकार, रोगाणु मरने की दर।
आकार
हेल्मिथींज कृमि अण्डा और प्रोटोजोआ अपेक्षाकृत बड़े हैं और मिट्टी में भौतिक छानने की प्रक्रिया के माध्यम से प्रभावी रूप से निकल जाते हैं। (लोविस फोस्टर अइटआल 1980) जीवाणु और विषाणु बहुत छोटे आकार के होते है और वे मिट्टी और उप-मिट्टी की परतों से बगैर किसी रूकावट के चलने में बहुत अधिक सक्षम होते हैं। जीवाणु और विषाणु जिनकी घातकता बहुत चिंतनीय है उनको यहाँ पर सारणी में दिया गया है।
क्रं. | विषाणु जनित रोग | रोगाणु |
1 | इनफैक्टियस हैपेटायसिस | हैपेटायसिस ए विषाणु |
2 | पोलियोमायलिटिस | पोलियो विषाणु |
3 | डायरियल बीमारी | रोटा विषाणु, नारवाक एजेन्ट, अन्य विषाणु |
| जीवाणु जनित रोग | जीवाणु |
1 | कॉलर | विवरियो कोलेरो |
2 | टायफायड | सलमोनिला टायफो |
3 | पैराटायफायड | सलमोनिला पेराटायफो |
4 | वैसीलरी डायसेन्टरी | सेजिला |
5 | डायरीयल बीमारी | इण्टरटोक्सीजेनिक्स इ. कोलाई. सालमोनिला spp, कैम्पयलोवैक्टर Spp |
मृत्यु दर
भिष्टा (Faecal) के साथ सूक्ष्म जीव रहते हैं जो पर्यावरण में सीमित अवधि जीवन रखते हैं पर इनके मरने की अवधि में बहुत अधिक अन्तर देखा गया है, यह कुछ घण्टों से कई महीनों तक हो सकती है। भूजल में कुछ विषाणु 150 दिन तक जीवित रहते हैं। ई. कोलाई की सूचकांक जीवाणु की स्थिति में भूजल में आधा जीवन अनुमानित किया गया। 50% संख्या कम होने में लगा समय यह अधिकतम 10 से 12 दिन तक रहते हैं। अधिकतम संख्या में 32 दिन तक जीवित रहते हैं। सलमोमिला की कुछ जातियां 42 दिन तक रहती है। यदि रोगाणु को जल-स्रोत तक पहुँचने में अधिक समय लगता है तो रोगाणु मर जायेंगे और जल लम्बे समय में लोक स्वास्थ्य के लिए भय नहीं रहेगा। नीचे चित्र में छः विभिन्न कारकों को दर्शाया गया है जो रोगाणु को शौचालय से नजदीक के जल-स्रोत में प्रेषण को प्रभावित कर सकते हैं। ये चक्रीय रूप में वर्णित किए गए है।शौचालय
जल-स्रोतक्र.सं. 1 गड्ढे में तरल पदार्थ की मात्रा
क्र.सं. 3 गड्ढे और भूजल स्तर के बीच की दूरी
क्र.सं. 2 असंतृप्त क्षेत्र की प्रकृति
क्र.सं. 5 शौचालय और जल-स्रोत के बीच क्षैतिज दूरी
क्र.सं. 4 संतृप्त क्षेत्र की प्रकृति
क्र.सं. 6जल प्रवाह की दिशा तथा वेग
1.गड्ढे में तरल पदार्थ की मात्रा
गड्ढे में कोई भी तरल पदार्थ निश्चित या पूरा संदूषित होगा। इस तरल की मात्रा शौचालय के प्रकार और शौच क्रिया की साफ-सफाई की विधि पर निर्भर करती है। यदि गड्ढा तरल पदार्थ से पूरी तरह भरा हुआ है तो यह गड्ढे के अन्दर में अधिक Static head उत्पन्न करता है और तरल पदार्थ उप मिट्टी के असंतृप्त क्षेत्र पर अधिक बल के साथ दबाव डालेगा (कुछ क्षेत्र जो भूजल स्तर से ऊपर है जो जल से संतृप्त नहीं है) अगर गड्ढा सूखा है तो Static head उत्पन्न नहीं होता है और कोई दबाव नहीं पड़ता है और असंतृप्त क्षेत्र में प्रवाह नहीं होता है। सूखे शौचालय तन्त्र संदूषित नहीं होते हैं। सूखे शौचालय तन्त्र का प्रयोग भूजल संदूषण की दृष्टि से पारिस्थितिकीय स्वच्छता में सुरक्षित विकल्प है।
सामान्य नियमः गड्ढे में तलर की कम मात्रा से जल-स्रोत के संदूषण जोखिम कम हो जाते हैं।
2.असंतृप्त क्षेत्र की प्रकृति
कुछ प्रकार की उप मिट्टियों के कणों के मध्य स्थान बहुत कम है तो वे रोगाणुओं को मिट्टी से पास नहीं होने देते हैं। मिट्टी फिल्टर की तरह कार्य कर प्रभावित करती है। छानने की यह प्रक्रिया शौचालय स्थापित में और बढ़ जाती है, जब सूक्ष्म जीवों की कार्बनिक परत उप मिट्टी के कणों के ऊपर विकसित होती है ( जैसे मन्द रेत फिल्टर) और यह रोगाणुओं को आगे बढ़ने में प्रभावकारी रूप से रोक देती है।
अवसाद | चिकनी और बलुई | बारीक रेत | मध्यम रेत | रेतीली पथरीली | पथरीली |
कणों का आकार | <0.06 मि.मी. | 0.06 मि.मी. 0.2 मि.मी. | 0.02 मि.मी. 0.06 मि.मी. | 0.6.मि.मी. 2 मि.मी. | >2 मि.मी. |
कुछ बलुई मिट्टियां विषाणुओं को अवशोषित करने की भी क्षमता रखती है और उन्हें संतृप्त क्षेत्र में जाने से रोक देती है।
सामान्य नियमः छोटे कणों के अवसाद में संदूषण का जोखिम कम रहता है।
1.गड्ढे के आधार और जल स्तर के मध्य दूरी
रोगाणु युक्त जल में रोगाणु जल स्तर की ओर जाते हैं। अधिक टेढ़ा-मेढ़ा इसका मार्ग और लम्बा, इसको रोक लेता है। इस अतिरिक्त समयान्तराल में अधिकांश रोगाणु स्वाभाविक रूप से मर जाते हैं। जब इस कारक का आंकलन वर्षा के समय या गीले मौसम में अधिक गहराई के जल स्तर में कर रहे हैं और शीघ्र सूखे मौसम के जल स्तर में यह सब ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
सामान्य नियमः गड्ढे के आधार और जल स्तर के मध्य अधिक दूरी से जल संदूषण का जोखिम कम हो जाता है।
2.संतृप्त क्षेत्र की प्रकृति (Aquifer)
जल चट्टान के माध्यम से प्रवाहित होता है तो इसे जल प्रवेश्यता (भेदता) के रूप में जानते हैं (इसे मीटर प्रतिदिन के रूप में मापते हैं) और यह कणों के आकार और कणों के मध्य में स्थान (छिद्रता) पर निर्भर करती है, काफी अच्छी तरह से एक दूसरे के साथ जुड़े हैं। रेतीली और पथरीली मिट्टी के कणों के छिद्र एक दूसरे से अच्छी तरह से जुड़े रहते हैं और जल अपेक्षाकृत सरलता से प्रवाहित हो जाता है परिणामस्वरूप वे जल प्रवेश्यता की सीमा 10 से 100 मी. प्रति दिन रखते हैं। बलुई अधिक छिद्रता रखते हैं पर उनके छिद्र बहुत कम जुड़े रहते हैं और जल उनसे बड़ी कठिनाई से निकलता है फलस्वरूप बलुई 0.01 से 0.1 मी. प्रति दिन की जल प्रवेश्यता रखते हैं।
सतत् आकार के आस-पास बचे छोटे कण बहुत कम एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। फलस्वरूप जल आसानी से प्रवाहित नहीं हो पाता।
बड़े असतत आकार कण फलस्वरूप छिद्र स्थान अच्छे से एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं और जल सरलता से प्रवाहित हो जाता है।
नीचे की सतत अक्यूफर में जल एकत्र करने की क्षमता कणों मध्य उपस्थित स्थान के आयतन पर निर्भर करता है। रेतीली मिट्टी 0.3 छिद्रता रख सकते हैं। (उनके 30% आयतन में वायु है) संघटित ठोस चट्टान की छिद्रता बहुत कम अवसरों 0.1 अधिक होती है।
सामान्य नियमः अक्यूफर (नीचे की सतह) की अधिक प्रवेश्यता से जल-स्रोत के संदूषण का जोखिम अधिक रहता है।
3.जल-स्रोत और शौचालय के मध्य की क्षैतिज दूरी
शौचालय और जल-स्रोत के मध्य क्षैतिज दूरी अधिक होने पर रोगाणु मध्य स्थित दूरी को तय करके भूजल स्तर में प्रवेश कर जल-स्रोत में पहुंचते हैं। अतः रोगाणु अधिक समय तक रूके रहते हैं। इस दौरान अधिकांश रोगाणु सम्भवतया मर जाते हैं।
सामान्य नियमः जल-स्रोत और शौचालय के मध्य अधिक क्षैतिज दूरी होने पर जल-स्रोत संदूषण का खतरा कम रहता है।
6. भूजल प्रवाह की दिशा और वेग
सामान्यतया जल नीचे की ओर प्रवाह करता है यद्यपि भूजल के लिए प्रायः इसी तरह अपेक्षित है । यह बहुत सही कहा जाता है कि जल हमेशा कम जल शक्ति और ढाल की ओर चलता है। यह अधिक दबाव क्षेत्र से कम दबाव क्षेत्र की ओर प्रवाहित होता है। सामान्यतया भूजल पहाड़ी के ढाल का अनुसरण करेगा और नदी, झील या समुद्र की ओर प्रवाहित होगा। अधिक ढाल में भूजल पहाड़ी के ढाल का अनुसरण करेगा और नदी, झील या समुद्र की ओर प्रवाहित होगा। अधिक ढाल में भूजल पहाड़ी के ढाल का अनुसरण करेगा और नदी, झील या समुद्र की ओर प्रवाहित होगा। अधिक ढाल में भूजल अपेक्षाकृत तेजी से प्रवाहित होता है (यदि रोगाणु संदूषित जल है) तो यह जल-स्रोत में पहुँच जायेंगे।
यदि शौचालय जल-स्रोत से अधिक ऊँचाई पर स्थित है तो जल-स्रोत में शौचालय से संदूषण की समस्या उत्पन्न होगी। फिर भी कई गाँव में शौचालय को ऊँचाई क्षेत्र/ ऊँचे स्थानों पर रखते हैं जबकि जल-स्रोत सामान्यतया नीचे स्थलों/ घाटी में पाये जाते हैं जहाँ इन्हें भूजल सरलता से प्राप्त हो जाता है।
सामान्य नियमः जल-स्रोत की ओर अधिक ढाल या नीचे में स्थित जल-स्रोत में संदूषण का खतरा अधिक रहता है।
उपर्युक्त छः नियमों को समझने के साथ प्रारम्भिक जोखिम आंकलन करना सम्भव होता है।
जल-स्रोत संदूषण के खतरों का आंकलन
शौचालय से जल-स्रोत संदूषण के खतरों का आंकलन निम्न बातों पर आधारित है। रोगाणुयुक्त जल के जल-स्रोत तक पहुँचने में लगा समय। रोगाणुयुक्त जल शौचालय गड्ढे से जल-स्रोत की ओर चलता है और इसे जल-स्रोत तक पहुँचने में अधिक समय लगता है तो रोगाणु मर जाते हैं और इनकी संख्या में बहुत अधिक कमी हो जाती है। हमारा आशय होना चाहिए कि शौचालय या जल-स्रोत का स्थान ऐसे सुनिश्चित करें कि रोगाणु जल-स्रोत में पहुँचने के पहले ही मर जाये और रोगाणु संदूषण के खतरे का स्तर कम हो जाये जिससे लोक स्वास्थ्य के लिए कोई समस्या न हो सके।
शौचालय से जल-स्रोत तक पहुँचने में लगा समय संदूषण के खतरों के सूचकांक के रूप में उपयोग किया जा सकता है। ब्रिटिश भूगर्भ सर्वेक्षण (BGS) ने शौचालय/स्वच्छता के क्षेत्र से भूजल संदूषण के खतरों के आंकलन के लिए मार्गदर्शिका विकसित की गई (BGS) जिसमें कहा कि निम्न समय का उपयोग सूक्ष्म जीवों के संदूषण के खतरों के आंकलन में किया जाता है।
1. | संदूषण का अधिक खतरा | 25 दिन से कम समय |
2. | कम खतरा | 25 दिन से अधिक समय |
3. | बहुत कम खतरा | 50 दिन से अधिक समय |
(BGS-ARGOSS 2001)
ARGOSS ने सावधानी लेते हुए कहा कि कम खतरा श्रेणी से विश्वास बनाना चाहिए लेकिन इसकी गारण्टी नहीं है कि दूरी तय करने के समय परिणाम के साथ सूक्ष्म जीवों के स्तर और उनसे होने वाले स्वास्थ्य के खतरे भी हो सकते हैं। बहुत कम खतरा श्रेणी कुछ सुरक्षा और अधिक विश्वास बढ़ाती है कि जल WHO की निर्देशिका के स्तर को पा सकेगा और अधिक समय रहने वाले रोगाणु को अलग करेगा।
आंकलन की पहली अवस्था – क्या असंतृप्त क्षेत्र पर्याप्त मात्रा में रोगाणुओं के स्तर को कम कर रहा है?
असंतृप्त क्षेत्र में जल प्रवाह का वेग बहुत कम होने के कारण अक्यूफर में फीकल का संदूषण रोकने या बचाने के लिए महत्वपूर्ण स्तर हैं (Cave Kalsky 1999) यदि अक्यूफर को जल प्रवेश की दर धीमी है और गड्ढे से जल अक्यूफर में देर से पहुँचता है तो रोगाणु मर जायेंगे और लोक स्वास्थ्य के लिए होने वाला खतरा कम हो जायेगा।
शौचालय रूपरेखा की क्षमता और असंतृप्त क्षेत्र जल-स्रोत संदूषण के खतरा को कम करते हैं। इनका संयुक्त रूप में उपयोग करके निम्न तालिका में अनुमानित किया गया।
शौचालय रूपरेखा से खतरों में कमीः
खतरा श्रेणी | शौचालय के प्रकार |
बहुत कम | सूखी अपघटन पारिस्थितिकीय शौचालय |
कम | वी.आई.पी. परम्परागत गड्ढा शौचालय फ्लश शौचालय |
अधिक सेप्टिक टैंक, अक्वा प्रिवी, हाई यूसिज पोर फ्लैश शौचालय, गड्ढे के साथ स्नान घर के जल सम्बन्ध रखना।
खतरे की कमी | |||
असंतृप्त क्षेत्र की भूगर्भ संरचना | भूजल स्तर 5 मीटर से नीचे | भूजल स्तर 5 से 10 मीटर के मध्य | भूजल स्तर 10 मीटर से अधिक |
बारीक रेत, चिकनी बलुई |
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बीयदरड़ आधार |
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| कम और बहुत कम खतरा सूक्ष्म जीव अवांछनीय स्तर में भूजल में पहुँच सकते हैं। |
मध्य रेतीली |
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रेतीली पथरीली |
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ठोस चट्टान | पर्याप्त खतरा सूक्ष्म जीव अवांछनीय स्तर में भूजल स्तर में पहुँच सकते हैं। |
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यदि यह रोगाणुओं को पर्याप्त मात्रा में कमी कर संदूषण के खतरे को कम नहीं करता है तो यह आवश्यक होगा कि अक्यूफर का रोगाणुओं पर कैसा प्रभाव रखता है। इसका अनुमान करना होगा।
आंकलन अवस्था-दो- संतृप्त क्षेत्र का रोगाणुओं का स्तर पर प्रभावः
जल स्रोत में रोगाणु प्रवेश करने के पहले कितने दिन अक्यूफर में रहते हैं यह इस पर आधारित है। निम्न सूत्र का प्रयोग करके यह गणना की जाती है।
दूरी तय करने में लगे दिन = छिद्रता x क्षैतिज दूरी/प्रवेश्यता x जल शक्ति (ढाल)
ए.आर.जी.ओ.एस.एस. निम्नलिखित सारणी को देती है जो मार्ग निर्देशन के रूप में कार्य करेगी। जब सही मान का पता न हो। यह 1/100 (0.01) ढालन शक्ति के उपयोग का सुझाव भी देता है।
अक्यूफर के प्रकार | छिद्रता | प्रवेश्यता (मी./दिन) |
चिकनी | 0.1-0.2 | 0.01-0.1 |
बारीक चिकनी रेत | 0.1-0.2 | 0.1-10 |
असंगठित बीयदरड़ आधार | 0.5-0.2 | 0.01-10 |
रेत | 0.2-0.3 | 10-100 |
पथरीली | 0.2-0.3 | 100-1000 |
टूटी चट्टान | 0.01 | कहना कठिन है-1000 मी. प्रतिदिन हो सकता है। |
उदाहरण-1
रेतीले अक्यूफर में जहाँ शौचालय जल-स्रोत से 20 मीटर की दूरी पर स्थित है। रोगाणुओं को जल-स्रोत में प्रवेश/पहुँचने में कितने दिन लगेंगे।
जल-स्रोत में पहुँचने में लगा समय = 0.25 x 20/60 मी./दिन x 0.01
दूरी तय करने के दिन = 8.3 दिन = पर्याप्त संदूषण खतरा
उदाहरण-2
बारीक चिकनी रेत अक्यूफर में जहाँ शौचालय जल-स्रोत से 20 मी. पर स्थित है। अतः रोगाणुओं को जल-स्रोत में पहुँचने में कितने दिन लगते हैं।
दूरी तय करने में लगे दिन =0.15 x 20 मी./ 6 मी./दिन x 0.01
दूरी तय करने में लगे दिन = 50 दिन = संदूषण का खतरा बहुत कम
यदि छिद्रता और प्रवेश्यता के वास्तविक मानों की जानकारी नहीं हैं तो शीर्ष, मध्य और तल्ली के दिए गए मानों को रखकर विशेष परिस्थिति के लिए गणना करके निकाल लें। संतृप्त क्षेत्र की रोगाणुओं को कम करने की न्यूनतम और अधिकतम क्षमता जो रोगाणुओं को कम करके सुरक्षित स्तर तक पहुँचाती है मार्गदर्शन के रूप में उपलब्ध करेगी और रूपरेखी निर्मित करने वाले को अधिक सघन आंकलन करने के लिए निर्देशित करेगी।
विचारणीय अन्य कारक
• शहरी क्षेत्रों में जहाँ शौचालय अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र में हो सकते हैं, प्रदूषण का संचय प्रभाव भूजल स्तर पर करेगा, जो महत्वपूर्ण होना चाहिए तथा इसके लिए अतिरिक्त सावधानी लेने की आवश्यकता है।
• अक्यूफर के भीतर में पतली अधिक जल प्रवेश्यता की क्षैतिज परत होने पर यह जल-स्रोत को जाने के लिए तेजी का रास्ता उपलब्ध कराती है। अक्यूफर में एक रूपता कैसे है?
• अक्यूफर में टूटी हुई चट्टानों की उपस्थिति बहुत तेजी के साथ रोगाणुओं को जल-स्रोत में भेज सकती है।
• स्रोत से जल निकास की अधिक दर (उदाहरण – ट्यूबवेल अधिक बड़े समुदाय की जलापूर्ति की जाती है) जल-स्रोत के पास जल शक्ति ढाल (जल दबाव) को बढ़ायेगी जिससे जल-स्रोत पहुँचने में लगने वाला समय कम हो जायेगा और संदूषण का खतरा बढ़ जायेगा।
अगला कदम
यदि आंकलन स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि संदूषण का खतरा बहुत कम है तो दूरी निश्चित रखने, रूपरेखा और निर्माण गुणवत्ता अच्छी रहे आदि के अनुमापन की तुलना में अन्य दूसरे से कार्य करना कोई जरूरी नहीं है।
यदि आंकलन संदूषण के खतरे को कम बताता है तो जल-स्रोत का प्रतिनिधित्व करने वाले जल नमूना के जांच परिणामों से निश्चित किया जा सकता है। यदि जांच परिणाम में कुछ संदूषण निश्चि होता है तब यह सत्यापित करना आवश्यक होगा कि शौचालय सचमुच समस्या का कारण है। जल-स्रोत का संदूषण कई कारणों से उत्पन्न हो सकता है जैसे गलत या मानक के अनुसार जल-स्रोत का निर्माण न करना जो सतहीय जल प्रवाह को भूजल में प्रवेश करने देता है।
सीधे निष्कर्ष पर नहीं जाना चाहिए इसमें सावधानी रखनी चाहिए। वर्णित विधियों का प्रयोग करें और मिट्टी के प्रकार, श्रेणी, संचार, ढाल आदि पर आधारित कई धारणाएं बनाएं। यदि परिणाम संदूषण खतरे की सीमा रेखा को दर्शाता है तो भूजल विज्ञान विशेषज्ञ की सेवा को उपयोग करना उचित हो सकता है और इसका अधिक सही आंकलन कर सकते हैं।
समुदाय परिणामों के बारे में जानकारी देना और निष्कर्षो के मायने उनके साथ चर्चा करना महत्वपूर्ण है। सार्वजनिक समुदाय जल-स्रोत के लाभार्थियों के साथ अन्ततः निर्णय रखना चाहिए। आपकी भूमिका उनको विभिन्न विकल्पों के बारे में जागरूक बनाने, जानकारी के साथ निर्णय करने में सुनिश्चित करने का हो सकता है।
संदूषण के खतरे को कम करने की विधियां
• शौचालय और जल-स्रोत के मध्य क्षैतिज पृथक्करण दूरी को बढ़ाना।
• शौचालय की तुलना में जल-स्रोत को अधिक ऊँचाई पर बनाना।
• शौचालय के सूके रूपो में बदलाव।
• उथले गड्ढे या वोल्ट्स शौचालय उपयोग करके शौचालय गड्ढा और भूजल स्तर के मध्य क्षैतिज पृथक्करण दूरी को बढ़ाना।
• यदि बोरहोल (ट्यूबवेल) का उपयोग किया जा रहा है तो भूजल स्तर के नीचे चलनी लगानी चाहिए।
• जलापूर्ति के जल को संशोधित करे या घरेलू संशोधित करने के उपयोग को बढ़ावा दे।
निर्णय लेने के पूर्व विचारणीय अन्य मुद्दे
• यदि जल-स्रोत बन्द कर दिया जाता है तो जल का वैकल्पिक स्रोत क्या है? यदि वैकल्पिक स्रोत भी बहुत अधिक संदूषित है तो जल-स्रोत को बन्द करना बहुत संवेदनशील विकल्प नहीं हो सकता है।
• यदि गड्ढा शौचालय बन्द कर दिया जाता है तो विकल्प क्या है? यदि समुदाय खुले शौचालय पर लौटने का दबाव देती है तो स्वास्थ्य के लिए खतरा गड्ढा शौचालय के रूप में पेयजल संदूषण के खतरे से अधिक हो सकता है।
• यदि अवजल नाली का निर्माण के विकल्प को विचार किया जाता है। सामान्यतया यह माना गया कि दूसरे स्थान से पाइप जलापूर्ति तन्त्र की तुलना अवजल नाली का निर्माण अधिक महंगा है।
• यदि आप जल गुणवत्ता जांच किट रखते हैं तो पेयजल श्रृंखला के विभिन्न बिन्दुओं पर जल की जांच क्यों नहीं करते? सीधे जल-स्रोत जल ले जाने वाले बर्तन, जल संग्रहण बर्तन, जल पीने का बर्तन आदि से जल की जांच करें। श्रृंखला में अतिरिक्त संदूषण कैसे प्रवेश करता है, गणना करें और अधिक समस्या के यथार्थ दृष्टिको को लें। तय करें कि अन्त में पीने में उपयोग किए जा रहे जल में क्या कार्य करें या स्वभाव में क्या परिवर्तन करें कि जीवाणुओं के स्तर को बहुत सीमा तक कम किया जा सकेगा।
विचारणीय कुछ निर्णायक विषय बिन्दु- भूजल संदूषण एक गणनात्मक विषय है और अपेक्षाकृत सभी निर्णय पूरी तरह लक्षित जल गुणवत्ता या मार्ग निर्देशिका पर आधारित हों। यह बहुत व्यावहारिक जल गुणवत्ता को निकालने में मददगार हो सकते है जिससे आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी सीमा के साथ पाया जा सकता है। यह तरीका स्थानीय जलापूर्ति उपलब्ध विकल्पों के साथ निर्भर करेगा।
यदि मात्रा और उसके पेयजल में प्रतिउत्तर के मध्य सम्बन्ध से सम्बन्धित स्वास्थ्य बीमारियों के सबूत की समीक्षा भी की जाती है, प्रमाण सामान्य रूप से सूचकांक में उपयोग करें (ई. कोलाई) 1000 ई. कोलाई प्रति 100 मि.मी. से अधिक मात्रा पर मिलते हैं तो यह महत्वपूर्ण होते हैं। 1000 ई. कोलाई/प्रति 100 मि.ली. से कम पर भूजल संदूषण संकट मिट जाता है और सरल स्वच्छता प्रबन्धन और लाभप्रद स्वास्थ्य आदतें छोड़ देना अविवेकपूर्ण होगा।
जानकारियां
• शौचालय स्थित स्वच्छता क्षेत्र से भूजल संदूषण खतरा आंकलन के लिए मार्ग निर्देशिका (ए.आर.जी.ओ.एस.एस.) ब्रिटिश भूगर्भ सर्वेक्षण (बी.जी.एस.) 1991
• भूजल शौचालय और स्वास्थ्य वेल टास्क 1631 बेन केव और पिटे कोलसकी 1999
नये स्रोतों की पहचान और शौचालय निर्माण के लिए मार्गदर्शिका
कार्य क्षेत्र का अध्ययन, सर्वे, प्रश्न पत्र और कुछ सामान्य सिद्धान्तों से पेयजल के नये स्रोत और नये शौचालयों के निर्माण की पहचान कार्य क्षेत्रों में की जा सकती है।
मिट्टी की स्थिति मूलभूत विषय है जो भूजल अक्यूफर के सन्दूषण को नियंत्रण करती है। भूजल पीने के पानी का प्रमुख स्रोत है। अक्यूफर की प्रकृति रोगाणुओं के भूजल में पहुँचने की गति की दर को निर्धारित करती है और यह उसकी छिद्रता और जल प्रवेश्यता के अनुसार होती है। सामान्यतया मिट्टी का असंतप्त क्षेत्र संदूषण के बचाव और रोकने के रूप में कार्य करता है। एक बार रोगाणु अक्यूफर में पहुँच जाते हैं तो वे कई दिनों तक अक्यूफर में जीवित रह सकते हैं। अतः संदूषण की संभावना को ज्ञात किया जा सकता है। शौचालय के स्थापन और निर्माण के समय में मिट्टी की स्थिति का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।
शौचालय स्थापन और निर्माण के दौरान निम्नलिखित दिशा निर्देशों को सामान्यतया ध्यान में रखना चाहिए। ये निम्न प्रकार से नीचे वर्णित किए गए हैं:
तकनीकी दिशा निर्देश
• क्षेत्र की मिट्टी की स्थिति पर अवश्य ध्यान रखना चाहिए जब शौचालय की रूपरेखा और निर्माण किया जा रहा हो। जल प्रवेश्य मिट्टी की स्थिति में जैसे समुद्र के किनारे के क्षेत्रों की रेतीली मिट्टी में शौचालय के गड्ढे और भूजल स्तर के मध्य दूरी अधिक होनी चाहिए। कम जल प्रवेश्य मिट्टी की स्थिति में यदि कोई विकल्प नहीं रहने पर शौचालय और भूजल स्तर के मध्य की दूरी में कुछ छुट हो सकती है।
• शौचालय और जल-स्रोत के मध्य की क्षैतिज दूरी लगभग 30 मी. रखना चाहिए, विशेषकर उन क्षेत्रों में जो बारीक रेतीली, पथरीली, रेतीली दोमट मिट्टियां और टूटी चट्टानें रखती हैं।
• निश्चित क्षेत्रों में जहाँ जनसंख्या अधिक है और शौचालय तथा भूजल स्तर के मध्य क्षैतिज दूरी 30 मी. रखना सम्भव नहीं होता है वहाँ जल-स्रोत को शौचालय से अधिक ऊँचाई पर रखना चाहिए जिससे शौचालय से दूषित जल जल-स्रोत की ओर प्रवाह न करे। उथले गड्ढे या वायल्टस शौचालय के प्रयोग द्वारा गड्ढे के आधार और भूजल स्तर के मध्य लम्बवत पृथक्करण को बढ़ाना चाहिए।
• क्षेत्र जहाँ पर भूजल स्तर ऊपर है जैसे समुद्री किनारे वहाँ गड्ढे शौचालय की तुलना में सूखे शौचालय का विकल्प रहता है। यदि सूखे शौचालय संभाव्य नहीं है तो शौचालय की शीट का ढाल 450 तक बढ़ा देना चाहिए जिससे जल की आवश्यकता कम पड़े। यह जल दबाव को कम करेगा और दूषित जल के रिसाव को भूजल में मिलने से रोकने में मदद करेगा।
• उचित निस्तारण नाली तन्त्र को बनाना चाहिए। क्षेत्र जहाँ भूजल स्तर ऊपर है वहाँ जल-स्रोत से निकलने वाली निस्तारण नाली के जल का उपयोग साग-सब्जी, बागवानी आदि में सिंचाई हेतु किया जा सकता है।
• यदि ट्यूबवेल का उपयोग किया जा रहा है तो भूजल के स्तर में चलनी को लगायें।
• हैण्डपम्प के चबूतरा और ट्यूबवेल की बाह्य संरचना को ठीक रखना चाहिए। अंततः यह संदूषण के खतरे को कम करते हैं। देश के कई क्षेत्रों में देखा गाय है कि हैण्ड पम्प की तलछट (grouting) अच्छी नहीं हुई है जो नाली के पानी भूजल में प्रवेश की संभावना को बढ़ाता है।
• सोख्ता गड्ढों की संख्या को मध्य और उत्तरी भारत के क्षेत्रों में कम किया जाना चाहिए. क्षेत्र की सोख्ता गड्ढा निर्माण का धारण करने की क्षमता पर विचार होना चाहिए।
• शहरी सघन गंदी बस्तियों के लिए सस्ते सेप्टिक टैंक का निर्माण किया जा सकता है, जो बाद में भूमि के नीचे की नालियों के तंत्र (यू.जी.डी.) से जोड़े जा सकते हैं। घरों के समूह के लिए संयुक्त सेप्टिक टैंक का निर्माण किया जा सकता है इससे टैंक के निर्माण की कीमत कम होगी और स्वच्छता की गुणवत्ता में सुधार होगा।
स्वभाव और दृष्टिकोण का बदलाव
• जहाँ तक सम्भव हो जानवरों के हस्तक्षेप को अवश्य रोकना चाहिए। देश के कई भागों में बहुत स्थितियों में देखा गया है कि जानवर और मानव एक ही पेयजल स्रोत का उपयोग करते हैं। जानवरों का गोबर पेयजल स्रोत के आस-पास पाया जाना सामान्य घटना है। यह विशेषकर गाय के गोबर के लिए सत्य है जो परम्परागत समय से गाँववालों के लिए पूजनीय है। लोगों को जानवरों के गोबर से भूजल स्रोत संदूषण की संभावनाओं के बारे में अवश्य बताना चाहिए।
• अविवेकपूर्ण ढंग से कूड़े-कचरे का निस्तारण, जल-स्रोत के आस-पास अवश्य रोकना चाहिए। जल-स्रोत के कम से कम 10 मी. की दूरी के भीतर कूड़ा कचरा निस्तारण की जगह उपस्थित नहीं होना चाहिए क्योंकि जल-स्रोत का संदूषण केवल शौचालयों से नहीं होता है बल्कि यह प्रदूषण के अन्य स्रोतों से भी हो सकता है।
• खुले में शौच करने की आदत अधिकांश गाँवों में है इसमें यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि खुला शौच स्थल सतही जल-स्रोत के संग्रहण क्षेत्र में तो नहीं है संदूषित सतही जल-स्रोत से रिसाव भूजल को संदूषित कर सकता है जिसका उपयोग पीने में किया जाता है। अतः सतही जल-स्रोत को प्रदूषित होने से बचाना चाहिए।
• अधिकांश गाँवों में लोगों के मध्य स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा बहुत कम है। सरल उपाय जो पीने और जल संग्रहण के दौरान होने वाले जल संदूषण को रोक सके, लोगों को अवश्य बताना चाहिए।
नीतिगत बदलाव
• जलापूर्ति के जल को उपचारित किया जाना चाहिए या शुद्ध पेय जल के लिए घरेलू उपचार की विधियों का प्रयोग किया जाना चाहिए। अध्ययन के दौरान सामुदायिक जलापूर्ति के जल की जांच की गयी और वह प्रायः फीकल संदूषण से प्रदूषित पायी गई तो उपयोग के पूर्व सामुदायिक जलापूर्ति के जल को उपचारित करना परम आवश्यक है।
• जलापूर्ति के पाईप में रिसाव से होने वाले संदूषण से बचाने के लिए जहाँ सम्भव हो पाइपों को अवजल से दूर रखना चाहिए।
• जल निस्तारण नालियों का रख रखाव उचित ढंग से करना चाहिए।
• सोक्ता गड्ढा की तुलना में सेप्टिक टैंक स्वच्छता के लिए एक अच्छा विकल्प है। जहाँ भी सेप्टिक टैंक बने हुए हैं उन्हें भूमिगत अवजल नालियों के साथ जोड़ देना चाहिए।
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