दैनिक जागरण, रांची, 18 जनवरी 2020
भूजल के अतिदोहन से झारखंड में पैदा हो रहे हालात पर प्रभावी नियंत्रण की पहल राज्य सरकार के स्तर से शुरू की गई है। राज्य गठन के बाद पहली बार धरती के भीतर जमा जल के संरक्षण और इसके उचित आवंटन को कानून के दायरे में लाने की कवायद शुरू की गई है।
राज्य सरकार ने झारखंड स्टेट ग्राउंट वॉटर डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) एक्ट 2019 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। इसके अंतर्गत झारखंड स्टेट ग्राउंड वॉटर अथॉरिटी (जेजीडब्ल्यूए) का गठन किया जाएगा, जिससे भूजल को संरक्षित रखने और उसके आवंटन को लेकर उचित कदम उठाया जाएगा। जल संसाधन विभाग ने एक्ट से संबंधित ड्राफ्ट तैयार कर आम लोगों के सुझाव अगले तीन दिनों के भीतर आमंत्रित किए हैं।
झारखंड में अब तक भूजल के दोहन पर नियंत्रण को लेकर कोई सख्त कानून नहीं है। भूजल निदेशालय की भूमिका भी घटते जल स्तर पर अपनी रिपोर्ट देने और वॉटर हार्वेस्टिंग को लेकर कुछ जगहों पर ढांचा बनाने तक सीमित रही है। प्रभावी कानून न होने से भूजल का अतिदोहन हो रहा है। भारत सरकार के निर्देश पर तमाम राज्यों को एक ऐसी अथॉरिटी बनाने का निर्देश दिया गया जो भूजल के अति दोहन पर नियंत्रण के साथ-साथ जल स्तर को बढ़ाने में अपनी कारगर भूमिका अदा कर सके। अथॉरिटी को यह भी अधिकार होगा कि शिकायत मिलने पर वह छापामारी भी कर सके। जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख आरएस तिग्गा ने कहा कि हमने इस संदर्भ में लोगों के सुझाव मांगे हैं। लोग जल संसाधन की वेबसाइट पर जाकर अपने सुझाव दे सकते हैं।
जल संसाधन विभाग के सचिव होंगे अथॉरिटी के चेयरमैन : जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव या सचिव राज्य स्तर पर गठित झारखंड स्टेट ग्राउंड वॉटर अथॉरिटी की गर्वनिंग बॉडी के चेयरमैन होंगे। जल संसाधन एवं पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अभियंता प्रमुख के साथ-साथ साथ-साथ झारखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक बतौर सदस्य इसमें शामिल किया जाएगा, जबकि भू-गर्भ निदेशालय के निदेशक सदस्य सचिव होंगे। अथॉरिटी की मदद के लिए एक तकनीकी टीम का भी गठन किया जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्रों को मिलेगी छूट, शहरी व कमर्शियल क्षेत्र के तय होंगे मानक
ग्रामीण क्षेत्रों में खुद के लिए भूजल का उपयोग करने वालों को अथॉरिटी से कोई अनुमति नहीं लेनी होगी। वहीं, छोटे और मझोले किसानों को कृषि क्षेत्र के उपयोग के लिए भी अनुमति की दरकार नहीं होगी। शहरी क्षेत्रों में भी दो तल के आवास के लिए भी भूजल के उपयोग के लिए भी कोई अनुमति नहीं लेनी होगी, लेकिन शर्त यह होगी कि बोरिंग चार इंच से अधिक न हो। इसके अलावा व्यक्तिगत, कमर्शियल, इंडस्टियल और अन्य संस्थागत उपयोग के लिए भूजल का दोहन करने वालों को अनुमति लेना आवश्यक होगा।
अनुमति की तय होगी मियाद
भूजल का वाणिज्यक और औद्योगिक उपयोग के लिए सरकार की अनुमति लेना आवश्यक माना जाएगा। स्टेट ग्राउंड वॉटर अथॉरिटी के गठन के 180 दिनों के भीतर ऐसी संस्थाओं को आवेदन देकर अनुमति लेनी होगी। सरकार के स्तर पर आवेदन पर विचार कर अगले 90 दिनों में निर्णय सुनाया जाएगा।
- झारखंड स्टेट ग्राउंड वॉटर अथॉरिटी (जेजीडब्ल्यूए) के गठन पर आगे बढ़ी सरकार। जेजीडब्ल्यूए के गठन से पानी की बर्बादी पर लगेगी रोक।
- एक्ट का ड्राफ्ट तैयार, जल संसाधन विभाग ने आम जनों से मांगे सुझाव
- अभी राज्य में भूजल दोहन पर नियंत्रण को नहीं है कोई सख्त कानून
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