एक परिचय
राज्य में भूगर्भ जल स्रोतों के नियोजित उपयोग, प्रबन्धन, अनुसंधान एवं अन्वेषण हेतु वर्ष 1975 में स्वतन्त्र विभाग के रूप में भूगर्भ जल सर्वेक्षण संगठन के नाम से एक पृथक विभाग स्थापित किया गया। वर्ष 1983 में इसका नाम परिवर्तित कर 'भूगर्भ जल विभाग' कर दिया गया।
इस विभाग का मूल उद्देश्य प्रदेश की भूजल सम्पदा का अनुसंधान, प्रबन्धन, नियोजन एवं सम्बन्धित समस्याओं का सर्वेंक्षण, अध्ययन, आंकलन, नियोजन तथा विकास हेतु दिशा निर्देश निर्गत किया जाना है।
शासनादेश सं० 1624/62-1-2004-7 डब्लू पी/2004 टी सी दिनांक 6 सितम्बर, 2004 द्वारा प्रदेश में भूजल संरक्षण, संचयन एवं रिचार्जिंग योजनाओं के प्रभावी समन्वय व अनुश्रवण, भूजल अनुसंधान व अन्वेषण, भूजल संपदा के दीर्घकालिक प्रबन्धन एवं नियोजन तथा भूजल दोहन के नियंत्रण हेतु भूगर्भ जल निदेशालय को 'नोबल एजेन्सी' घोषित किया गया है।
राज्य में भूगर्भ जल स्रोतों के नियोजित उपयोग, प्रबन्धन, अनुसंधान एवं अन्वेषण हेतु वर्ष 1975 में स्वतन्त्र विभाग के रूप में भूगर्भ जल सर्वेक्षण संगठन के नाम से एक पृथक विभाग स्थापित किया गया। वर्ष 1983 में इसका नाम परिवर्तित कर 'भूगर्भ जल विभाग' कर दिया गया।
इस विभाग का मूल उद्देश्य प्रदेश की भूजल सम्पदा का अनुसंधान, प्रबन्धन, नियोजन एवं सम्बन्धित समस्याओं का सर्वेंक्षण, अध्ययन, आंकलन, नियोजन तथा विकास हेतु दिशा निर्देश निर्गत किया जाना है।
शासनादेश सं० 1624/62-1-2004-7 डब्लू पी/2004 टी सी दिनांक 6 सितम्बर, 2004 द्वारा प्रदेश में भूजल संरक्षण, संचयन एवं रिचार्जिंग योजनाओं के प्रभावी समन्वय व अनुश्रवण, भूजल अनुसंधान व अन्वेषण, भूजल संपदा के दीर्घकालिक प्रबन्धन एवं नियोजन तथा भूजल दोहन के नियंत्रण हेतु भूगर्भ जल निदेशालय को 'नोबल एजेन्सी' घोषित किया गया है।
भूगर्भ जल विभाग
1. | निदेशक | श्री एम० एम० अंसारी |
2. | अधिशासी अभियन्ता (या) | श्री एच० बी० सामवेदी |
3. | सीनियर जियोफिजीसिस्ट | श्री बी० डी० राय |
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