गर्मी की शुरुआत होते ही विश्रामपुर नगर परिषद में पेयजल के लिए हाहाकार मच गया है। मई महीने में ही नगर परिषद का लाइफ़ लाइन भेलवा नदी सुख चुका है। क्षेत्र के तालाबों व कुएं से पानी गायब हो चुका है। जल स्तर 250 फिट से भी नीचे जा चुका है, जिसके चलते नप क्षेत्र के चापानल भी जवाब देने लगे हैं।
जब-जब गर्मी आती है व पेयजल का किल्लत होता है, तब-तब जन प्रतिनिधियों व नप प्रतिनिधियों द्वारा बड़े-बड़े दावे व वादे किये जाते हैं। लेकिन होता कुछ नहीं है। जैसे ही गर्मी बीत जाती है, वे पेयजल की समस्या को भूल जाते हैं.ऐसा नहीं है कि सरकारी स्तर पर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने का प्रयास नहीं किया गया है। प्रयास हुआ, लेकिन सफल नहीं हो पाया। पेयजल आपूर्ति की दो योजना शुरू की गयी, लेकिन इनमें से एक भी योजना धरातल पर नहीं उतर पायी।
लाखों रुपये सरकार ने पेयजल आपूर्ति योजनाओं में खर्च किया। लेकिन समस्या जस की तस बनी रही। नगर परिषद की 45 हजार की आबादी पेयजल की किल्लत से जुझ रहा है।
चालू ही नहीं हुआ रेहला पेयजलापूर्ति योजना
पेयजल समस्या के निदान को लेकर 1999 में एकीकृत बिहार के तत्कालीन मंत्री अब्दुल बारी सिद्दकी ने रेहला पेयजल आपूर्ति योजना का आधारशिला रखा था। 99 लाख की लागत से बनने वाले इस पेयजलापूर्ति योजना से एक बूंद पानी भी लोगों को मय्यसर नहीं हो पाया। इस योजना के चालू होने से पहले ही इसे मृत घोषित कर दिया गया। जबकि संवेदक द्वारा लगभग सारी राशि की निकासी कर ली गयी। विभागीय अभियंता योजना के लिए बने पानी टैंक को अयोग्य घोषित कर दिया था।
27 करोड़ की योजना चार वर्ष पूर्व हुई है स्वीकृत
नगर विकास विभाग द्वारा लगभग 27 करोड़ की दो पेयजलापूर्ति योजना स्वीकृत की गयी है। रेहला पेयजलापूर्ति योजना 9.11 करोड़ की लागत से बनना है। जिसका शिलान्यास भी चार वर्ष पूर्व हो चुका है। लेकिन कार्य की प्रगति लगभग शून्य है। विश्रामपुर के लिए भी 17 करोड़ 90 लाख पेयजलापूर्ति योजना हेतु स्वीकृत किया गया था, लेकिन अब तक इस योजना का शिलान्यास भी नहीं हो पाया है।
जलस्तर नीचे चले जाने से दर्जनों चापानल बेकार
आंकड़ों के अनुसार विश्रामपुर नगर परिषद क्षेत्र में लगभग 1650 सरकारी चापानल है, इसमें से कई के जलस्तर नीचे चले जाने के कारण मृतप्राय हो चुका है। मामूली खराबी के कारण दर्जनों चापानल बेकार हो चुके हैं। हालांकि नगर परिषद सूचना मिलने के बाद चापानल की मरम्मत करा रहा है।
5000 आबादी जनसेवा ट्रस्ट के भरोसे
विश्रामपुर नगर परिषद के मुख्य कस्बा रेहला में सालों भर बीसीसीएल जनसेवा ट्रस्ट द्वारा टैंकर से पानी आपूर्ति की जाती है। रेहला के 5000 की आबादी पेयजल के लिए जनसेवा ट्रस्ट के भरोसे है। जनसेवा ट्रस्ट जो पेयजल रेहलवासियो को देता है, आबादी के अनुसार वह नाकाफी है।
वृहद ग्रामीण पेयजल योजना भी अधूरी
2011 में फिर एक पेयजलापूर्ति योजना लाया गया, जिसका नाम विश्रामपुर वृहद ग्रामीण पेयजलापूर्ति योजना रखा गया। इस योजना का शिलान्यास तत्कालीन विधायक चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे ने 05 मार्च 2011 को किया था। 9.58 करोड़ की लागत से बनने वाली इस योजना का काम आंध्रप्रदेश की विश्वा कंपनी को दिया गया था। यह योजना आज भी आधी-अधूरी ही रह गयी। बाद में इस योजना को भी मृत घोषित कर दिया गया।
विश्रामपुर नगर परिषद अध्यक्ष हलीमा बीबी ने कहा कि पेयजल संकट से निबटने की सारी तैयारी कर ली गयी है। ख़राब चापानलों की मरम्मत करायी जा रही है। जरूरत के अनुसार नये चापानल भी गड़वाये जायेंगे। नप क्षेत्र के प्रत्येक वार्ड में टैंकर से पेयजलापूर्ति जल्द ही शुरू करायी जायेगी। पेयजल संकट से निबटने के लिए हर संभव प्रयास किया जायेगा।
चापानल मरम्मत कराने की मांग
मेदिनीनगर सदर प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में भी पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गयी है। भीषण गर्मी के कारण लोग जल संकट झेल रहे है। कई जगहों पर चापानल खराब रहने के कारण भी लोगों को परेशानी हो रही है। लेकिन पेयजल व स्वच्छता विभाग इस मामले में गंभीर नही दिखता। प्रखंड मुख्यालय मेदिनीनगर से करीब सात किलोमीटर दूरी पर स्थित पोखराहा कला गांव के कई चापानल खराब है। आदिवासी बहुल इस गांव के अखरा के पास लगा चापानल पिछले दो माह से खराब पड़ा है। गांव के सुरेंद्र उरांव, सूरजदेव उरांव, ब्रह्मदेव उरांव, सुनील उरांव, बरमुउरांव, सुशील उरांव, सत्यानंद मेहता आदि ने बताया कि चापानल की मरम्मत कराने के लिए पेयजल व स्वच्छता विभाग के पास आवेदन दिया गया। लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। चापानल खराब रहने के कारण लोगों को पानी के लिए परेशानी उठाना पड़ रहा है। दूर से पानी लाकर लोग काम चला रहे हैं।
/articles/bhauugarabha-jala-satara-gayaa-250-phaita-sae-bhai-naicae-darajanaon-caapaanala-haue