भू जल : ‘पानी का पाठ’ पढ़ेंगे स्कूली छात्र

भूमिगत जल के घटते स्तर से चिंतित केंद्र सरकार अब स्कूली बच्चों को पानी का पाठ पढ़ाने की सोच रही है। उन्हें भूमिगत जल के प्रवाह, गुणवत्ता और अत्यधिक दोहन के असर की सही जानकारी देने के लिए योग्य शिक्षकों की नियुक्ति का भी प्रस्ताव है, जिन्हें भू जल प्रचारक कहा जाएगा। बच्चों को पानी की अहमियत समझाने के अलावा यह लोग स्थानीय समुदाय को भूमिगत जल बचाने और इसके कृत्रिम रिचार्ज का तरीका भी बताएंगे।

जल संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बुधवार को विज्ञान भवन में होने वाली भूमिगत जल के कृत्रिम रिचार्ज संबंधी सलाहकार परिषद की बैठक में इस पर चर्चा होगी। सहमति के बाद ठोस निर्णय लिया जाएगा। भूमिगत जल एक प्रकार का गुप्त संसाधन है, जिसके बारे में लोगों को सटीक जानकारी नहीं होती, ऐसे में मंत्रालय ने स्कूलों से जागरूकता अभियान छेड़ने की सोची है। उसका अनुमान है कि बचपन में जल ही जीवन है, यह मंत्र कंठस्थ कर लेने के बाद बच्चे आजीवन नहीं भूलेंगे और पानी का दुरुपयोग रोकने की भरसक कोशिश करेंगे।

पिछले तीस वर्षों के दौरान कृषि, उद्योग, अन्य क्षेत्रों समेत व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए पानी की मांग कई गुना बढ़ी है। इसे पूरा करने के लिए भारी मात्रा में भूमिगत जल का दोहन किया जा रहा है, जिस कारण कई इलाकों में जल स्तर बहुत नीचे चला गया है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में भूमिगत जल की स्थिति चिंताजनक है। गुजरात और आंध्र प्रदेश सामुदायिक भागीदारी कार्यक्रमों के मार्फत कृत्रिम रिचार्ज में कामयाब रहे हैं। मंत्रालय की योजना उनकी सफलता की कहानी पर डॉक्यूमेंटरी फिल्म बनाने की है ताकि दूसरों को भी इस दिशा में प्रेरित किया जा सके।

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