भू-अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

Land acquisition
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आन्दोलन के कई प्रमुख साथीगण अभी भी जेल में हैं और अदालती कार्रवाई को प्रशासन के हस्तक्षेप के कारण बार-बार स्थगित किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र के लोगों के नागरिक अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। राष्ट्रीय आन्दोलनकारी संगठन अब कन्हर प्रभावित क्षेत्र में मिलकर नागरिक अधिकारों की पुनर्बहाली के लिये कन्हर आन्दोलन को तेज़ करेंगे। इसी तरह अन्य राज्यों में भी जहाँ-जहाँ भू-अधिकार आन्दोलन चल रहे हैं वहाँ भी उन्हें मिलकर मज़बूत किया जायेगा और आने वाले दिनों में भू-अधिकार के मुद्दे पर राष्ट्रीय आन्दोलन को सशक्त किया जायेगा, जो कि संसद से लेकर गाँव तक चलेगा। इससे देश की राजनैतिक स्थिति पर बुनियादी परिवर्तन की प्रक्रिया भी शुरू होगी।

देश के विभिन्न जनांदोलनों जनसंगठनों, ट्रेड यूनियनों व राजनैतिक मंचों द्वारा भूमि अधिकार के सवाल पर व भू-अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में गठित संयुक्त मोर्चा ‘‘भूमि अधिकार आन्दोलन’’ द्वारा तय किये गये राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भूमि अधिकार आन्दोलन व अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन के बैनर तले केन्द्र द्वारा पारित भूमि अधिग्रहण अध्यादेश व उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सोनभद्र में कन्हर बाँध के लिये किये जा रहे अवैध भू-अधिग्रहण और गरीब किसानों, खेतीहर मज़दूरों व महिलाओं पर दमनकारी कार्रवाईयों के विरोध में प्रदर्शन किया।

इस प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों तराई क्षेत्र लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, गौंडा, बहराईच, बुन्देलखण्ड क्षेत्र चित्रकूट, कैमूर सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, अधौरा व रोहताश बिहार से यूनियन के करीब 3000 की संख्या में समुदाय के सदस्यों व नेतृत्वकारी साथियों ने हिस्सा लिया। इनमें विशेष रूप से कन्हर बाँध प्रभावित गाँवों के 50 लोगों का एक दमनकारी स्थिति में भी शामिल होना बहुत महत्त्वपूर्ण रहा। अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव व भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य का हन्नान मौला, मज़दूरों के राष्ट्रीय यूनियन एन.टी.यू.आई के महासचिव का गौतम मोदी, अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश महासचिव का दीनानाथ सिंह, एन.ए.पी.एम के संयोजक श्री संदीप पांडे, कम्यूनिस्ट पार्टी माले केन्द्रीय कमेटी सदस्यगण का. सुधाकर, का. कृष्णा अधिकारी, का. सलीम, का. रमेश व दलित भूमि अधिकार आन्दोलन से साथी रामकुमार व इनके अलावा दिल्ली समर्थक समूह-दिल्ली से कुछ साथीगण इस प्रदर्शन में शामिल हुए। इस ​कारण प्रदर्शन का मंच एक मज़बूत साझा राजनैतिक मंच के रूप में तब्दील हो गया। जो कि बहुत उत्साहजनक रहा।

राज्यों के अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाले समुदायों के लोग शहर के अलग-अलग स्टेशनों से रैली की शक्ल में अपने हाथों में लाल रंग के बैनरों व झण्डों को लेकर भू-अधिग्रहण अध्यादेश और कन्हर बाँध विरोधी आन्दोलन के समर्थन में पुरजोर नारेबाज़ी करते हुए धरना स्थल लक्ष्मण मेला मैदान में पहुँचे जहाँ एक विशाल जनसभा की गई। इस जनसभा को समुदाय के नेतृत्वकारी साथियों मातादयाल, सोकालो गोण्ड, निबादा राणा, फुलबासी व श्यामलाल ने सम्बोधित करते हुए अपनी बात में केन्द्र द्वारा भू-अधिग्रहण अध्यादेश जारी करने और राज्य सरकार द्वारा कन्हर बाँध विरोधी आन्दोलन को दमन द्वारा कुचलने और अवैध भूमि अधिग्रहण करने की कोशिश को लेकर सत्ता को सीधी चुनौती देने की बात की और यह बात खुलकर कही गई कि कन्हर की लड़ाई महज सोनभद्र की लड़ाई नहीं है, ये पूरे देश की लड़ाई है और अपने जल जंगल ज़मीन को बचाकर अपनी आजीविका और पर्यावरण को सुरक्षित करने की लड़ाई है, जिसे हम सभी क्षेत्रों के साथी मिलकर लड़ेंगे और कन्हर बाँध विरोधी आन्दोलन को साँगठनिक मज़बूती देंगे।

का. हन्नान मौला, का. गौतम मोदी, का. दीनानाथ सिंह, का. कृष्णा अधिकारी, श्री संदीप पांडे, का. सलीम, का. सुधाकर व रामकुमार ने कहा कि मौजूदा भूमि अधिग्रहण व प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ भूमि अधिकार आन्दोलन के बैनर तले राष्ट्रीय आन्दोलन के चलते भू-अधिकार राष्ट्रीय राजनीति का एक केन्द्र बिन्दु बन गया है और आज़ादी के आन्दोलन के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। इसलिये ये ज़रूरी है कि राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ-साथ क्षेत्रीय आन्दोलन भी मज़बूत हों और इसके लिये राष्ट्रीय नेतृत्वकारी आन्दोलन सभी क्षेत्रीय आन्दोलनों को भी इकट्ठा होकर लड़ें। इस सन्दर्भ में सभी प्रमुख नेतृत्वकारी साथियों ने कन्हर में चल रहे बाँध विरोधी आन्दोलन को एक महत्त्वपूर्ण आन्दोलन के रूप में चिन्हित किया। जहाँ पर अध्यादेश आने के बाद आन्दोलनकारियों पर पुलिस द्वारा दो बार गोलीबारी की गई और जिसके कारण वहाँ के आन्दोलनकारी लोगों पर पुलिस प्रशासन का भारी दमन चल रहा है।

क्षेत्र में आदिवासी दलित और किसान मज़दूरों के ऊपर प्रशासन ने एक आतंक की स्थिति कायम की हुई है, जिससे वहाँ की आम जनता की स्वाभाविक जिन्दगी प्रभावित हो रही है। आन्दोलन के कई प्रमुख साथीगण अभी भी जेल में हैं और अदालती कार्रवाई को प्रशासन के हस्तक्षेप के कारण बार-बार स्थगित किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र के लोगों के नागरिक अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। राष्ट्रीय आन्दोलनकारी संगठन अब कन्हर प्रभावित क्षेत्र में मिलकर नागरिक अधिकारों की पुनर्बहाली के लिये कन्हर आन्दोलन को तेज़ करेंगे। इसी तरह अन्य राज्यों में भी जहाँ-जहाँ भू-अधिकार आन्दोलन चल रहे हैं वहाँ भी उन्हें मिलकर मज़बूत किया जायेगा और आने वाले दिनों में भू-अधिकार के मुद्दे पर राष्ट्रीय आन्दोलन को सशक्त किया जायेगा, जो कि संसद से लेकर गाँव तक चलेगा। इससे देश की राजनैतिक स्थिति पर बुनियादी परिवर्तन की प्रक्रिया भी शुरू होगी। कार्यक्रम का सफल संचालन यूनियन की उपमहासचिव रोमा द्वारा किया गया और अन्त में यूनियन के महासचिव अशोक चौधरी द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव रखकर कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।

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