भोजताल का अशंमात्र है भोपाल की झील

भोपाल झील
भोपाल झील

भोपाल। भोजताल के अस्तित्व उपयोगिता और भविष्य की संभावनाओं पर मध्यप्रदेश जल एवं भूमि प्रबंध संस्थान ओम घाटी बेतवा बेसिन में दबे हुए भोजताल एवं उसकी सहायक नदियों की उत्पत्ति पर भूजल पर्यावरण खोज तथा अध्ययन किया जा रहा है। इस संबंध में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग नई दिल्ली से तीन वर्ष की अवधि के लिए यह परियोजना स्वीकृत की गई है। दसवीं शताब्दी में निर्मित झील आज के भोपाल ताल से 40 गुना अधिक बड़ी थी। यह तथ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग नई दिल्ली द्वारा किए गए शोध से मिला है। शोध के अनुसार भोपाल शहर की खूबसूरत धरोहर बड़ी झील प्राचीन भोजताल की एक अंश मात्र है। अध्ययन के अनुसार भोजताल के नाम से चिन्हित विश्व की सबसे बड़ी इस झील का निर्माण सन 1010 में कराया गया था। अध्ययन में ओम के आकार में निर्मित इस झील का स्वरूप भोपाल भोजपुर गौहरगंज एवं मंडीदीप के चारों ओर तक फैले होने के प्रमाण मिले हैं। अध्ययन के अनुसार भोजताल का स्थल भोजपुर है, जो गौहरगंज कटारा हिल एवं कोलार रोड तक फैली हुई थी।

कालांतर से धीरे-धीरे संरक्षण न होने के कारण यह विलुप्त हो गई एवं उसका एक अंशमात्र भोपाल शहर में स्थित यह बड़ी झील है। परियोजना के अंतर्गत हुए अब तक के अध्ययनों से पता चला है कि ओम घाटी में समाहित यह भोजताल भोपाल स्थित बड़े ताल से चालीस गुना बड़ा था। भोजताल का कुल जल विस्तार क्षेत्र 421.9 स्क्वायर किलोमीटर था, जबकि वर्तमान में भोपाल स्थित बड़ी झील का जल विस्तार क्षेत्र अब मात्र 32 स्क्वायर किलोमीटर ही रह गया है। पुरातात्विक और ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर भोजताल का निर्माण राजा भोज ने सन 1010 से 1055 ए.डी. में कराया था। उस समय यह विश्व की सबसे बड़ी मानव निर्मित कृत्रिम झील थी। भोपाल गजेटियर के अनुसार इसे सन 1034 ई. में हुसंगशाह द्वारा तुड़वाया गया था। इसके अवशेष आज भी भोजपुर के आसपास विद्यमान हैं। इसके बाद अमेरिका की मीड झील आती थी, जो अमेरिका के कोलोरोडो में स्थित थी।

भोजताल उस समय 250 मील में फैला हुआ था, जबकि 1924-193६ में अमेरिका में मानव निर्मित मीड झील मात्र 101 मील क्षेत्र में विस्तारित है। अध्ययन में एक महत्वपूर्ण तथ्य उभरकर सामने आया है कि भोजपुर के चारों ओर की पहाड़ियां ओम का आकार निर्मित करती हैं। इसी ओम की परिधि में भोजताल स्थित था, जो ओम को अपने पवित्र जल से सतत स्पर्श करता था। एशिया का विशालतम शिवलिंग भी इसी ओम के बीच भोजपुर मंदिर में स्थित है। ओम घाटी में समाहित भोजताल के अस्तित्व आकार एवं आकृति के अध्ययन में इस पूरे क्षेत्र की वैज्ञानिक एवं तकनीकी तथ्यों के प्रकाश में रेखांकित किया जा रहा है। भोजताल जो कि 421.9 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ था। इसे तीन स्थानों पर बांधा गया था। अध्ययन में पता चला कि भोजताल में नौ नदियां बेतवा कालियासोत, केरवा, बनसी, घेरवा , जामनी, गोदर, सेगुरू और बांगना आकर मिलती थी।
 

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