जलस्तर के नीचे स्तर पर जाने का खतरा बढ़ा

मामला दिल्ली देहात के विभिन्न इलाकों में बने तालाब (वाटर बॉडी) से जुड़ा है। जो भीषण गर्मी के दौरान सूखने की कगार पर है, यह हालात तब है जब कि दिल्ली सरकार जल संरक्षण के लिये इन जोहड़ों और तालाबों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है।
दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में गर्मी अपना भीषण रूप दिखा रही है। तापमान सामान्य से 4 डिग्री ज्यादा है। ऐसे में दिल्ली के प्राकृतिक जलस्रोत अब सूखने लगे हैं।
वन्य जीवों पर असर पड़ना शुरू
जलस्रोतों के सूखने का असर अब वन्य जीवों पर पड़ना शुरू हो गया है। देहात और वन क्षेत्रों में बने इन जलस्रोतों के सूखने की वजह से अब रजौकरी, जाफरपुर कलां, खेड़ा खुर्दा आदि के जंगलों में पशुओं को पानी की तलाश में भटकना पड़ रहा है।
जल संरक्षण के तीन उपाय
जल संरक्षण के लिये कार्य करने वाले कार्यकर्ता हरपाल राणा की माने तो दिल्ली का जलस्तर खतरे की घंटी तक पहुँच गया है। ऐसे में अब अगर दिल्ली को बचाना है तो दिल्ली सरकार को पहल करनी होगी और कुछ जलस्रोतों पर ध्यान देना होगा।
1. यमुना में करीब 10 फीट तक खुदाई कर बारिश के पानी की संचय किया जाये।
2. प्राकृतिक जलस्रोतों को पुनर्जीवित किया जाये, गन्दे पानी की निकासी उन में न हो।
3. नालों पर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएँ।
वाटर बॉडी को संरक्षित करने की दरकार
वाटर बॉडी को संरक्षित करने के लिये एसडीएमसी व सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के बीच पहल का इन्तजार किया जा रहा है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि संचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग को डीएमसी एक्ट 356 व 357 के तहत नोटिस जारी कर दिया गया था। मलबा हटाने की जिम्मेदारी सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग की है और वाटर बॉडी में बहाए जा रहे गन्दे पानी पर रोक लगाने की निगम की। इसके लिये निगम की ओर से काम किया जा रहा है। लेकिन सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
अधिकारियों का यह भी कहना है कि यदि सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने मलबा नहीं हटवाया, तो एमसीडी वहाँ से मलबा हटवाएगी। ऐसे में यहाँ बने वाटर बॉडी को संरक्षण के लिये अधिकारियों की पहल का इन्तजार करना पड़ रहा है।
दिल्ली सरकार जितने भी कार्य कर रही है वह नाकाफी हैं, जल संरक्षण के लिये सरकार को विशेष प्लान के तहत बारिश के पानी को जमा करना होगा। जब तक बारिश के पानी को जमा नहीं किया जाएगा तो सूखा पड़ेगा, जंगल सूखेंगे, धरती भी सूखेगी। स्थिति ज्यादा भयानक न हो इसलिये जल्द-से-जल्द ठोस कदम उठाने की जरूरत है... राजेन्द्र सिंह, जलपुरुष
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Post By: RuralWater