उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र देहरादून द्वारा "Water scarcity and Springshed Management in the Indian Himalayan Region" विषय पर टेक फोर सेवा के संयुक्त तत्वाधान में जल शिक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन आज 28 जून 2022 को किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अनिता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा विगत वर्ष आयोजित किए गए विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम से प्राप्त वैज्ञानिक निष्कर्षों के आधार पर प्रतिमाह जल स्रोत प्रबंधन, संरक्षण,संवर्धन, गुणवत्ता, तकनीक एवं विज्ञान आधारित अध्ययन आदि विषयों को केंद्रित करते हुए विशेषज्ञों के ऑनलाइन व्याख्यानों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें उत्तराखंड राज्य की जल से संबंधित समस्याओं एवं उनके तकनीक निदान आदि को मुख्य रूप से केंद्रित किया जा रहा है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए कार्यक्रम समन्वयक डॉ भवतोष शर्मा ने कहा कि जल शिक्षा कार्यक्रम विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए आयोजित किया जा रहा है। प्रदेश के जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन, उपयोग एवं उनको प्राकृतिक रूप से सतत क्रियाशील बनाए रहने आवश्यकता है जिसमें विशेषज्ञों का तकनीकी सहयोग एवं सामाजिक सहभागिता बहुत आवश्यक है।
कार्यक्रम के मुख्य विशेषज्ञ टेरी विश्वविद्यालय नई दिल्ली के नेचुरल एंड अप्लाइड साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनय सिन्हा ने "भारतीय हिमालय क्षेत्र में पानी की कमी और स्प्रिंग प्रबंधन (Water scarcity and Springshed Management in the Indian Himalayan Region)" विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि उत्तराखंड के विभिन्न भागों के लगभग 1219 स्प्रिंग्स के जल श्राव में कमी आई है। हमको जलागम प्रबंधन करना होगा, भूजल रिचार्ज को बढ़ाने के प्रयास सामुदायिक सहभागिता से करने होंगे, वर्षा जल संचयन करना होगा, सतही एवं भूजल प्रणाली के साथ साथ वायुमंडलीय जल प्रणाली भी को समझना होगा। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट हाइड्रोलॉजी के माध्यम से स्प्रिंग्स का बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है। सामुदायिक जन सहभागिता से राज्य के जलस्रोतों का डिस्चार्ज बढ़ाने में मदद मिलेगी।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों ने अपने अपने प्रश्नों का समाधान प्राप्त किया। कार्यक्रम के अंत में यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ ओम प्रकाश नौटियाल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभी से यूसर्क की विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों से जुड़ने का आवाहन किया। इस कार्यक्रम में कुल 184 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया। कार्यक्रम में डॉ मंजू सुंदरियाल, डॉ राजेंद्र राणा, इं. उमेश जोशी, ओम जोशी, राजदीप, शिवानी, आदि के द्वारा सहयोग प्रदान किया गया
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