भारत में वायु प्रदूषण से हर तीन मिनट हो रही एक बच्चे की मौत

भारत में वायु प्रदूषण से हर तीन मिनट हो रही एक बच्चे की मौत
भारत में वायु प्रदूषण से हर तीन मिनट हो रही एक बच्चे की मौत

अभी तक हम कहते आए थे कि बच्चे देश का भविष्य हैं, लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मैं मानता हूं कि बच्चे पृथ्वी का भविष्य हैं और बदलाव की उम्मीद की एक नई किरण हैं, लेकिन जिन बच्चों में हमें भविष्य नजर आता है, आज वही बच्चे वायु प्रदूषण के कारण दम तोड़ रहे हैं। कई लोग विशेषकर भारत में, इसके के लिए किस्मत या पूर्व जन्म के कर्म को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन वास्तव में इन सब के जिम्मेदार हम हैं। हमने आने वाली पीढ़ी की चिंता करे बिना संसाधनों का इस प्रकार दोहन किया कि आज वे समाप्त होने की कगार पर हैं। विज्ञान के नाम पर प्रदूषणयुक्त संसार का निर्माण किया। हवा, पानी और जमीन तीनों को ही दूषित कर दिया। नतीजा ये रहा कि जीवन देने वाली हवा ज़हर उगल रही है और आज वायु प्रदूषण के कारण भारत में हर तीन मिनट में एक बच्चे की मौत हो रही है। यानी ये बच्चे अपना छठा वर्ष नहीं देख पाते हैं।

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, भारतीय अनुसंधान चिकित्सा परिषद और आईएचएमई ने संयुक्त रूप से अध्ययन कर एक रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट को ग्लोबल बर्डन डिजीज 2017 नाम दिया गया है। अध्ययन में सामने आया कि वायु प्रदूषण के कारण भारत में हर तीन मिनट में 0 से 5 साल तक की आयु के एक बच्चे की मौत हो जाती है। रोजाना लगभग 508 बच्चे मौत के मुंह में समा रहे हैं। साथ ही हर मिनट निचले फेंफड़े में संक्रमण (एलआरआई) के कारण एक बच्चे की मौत होती है। अध्ययन में बताया बताया गया कि वर्ष 2017 में वायु प्रदूषण के कारण 0 से 5 वर्ष की आयु के 1 लाख 85 हजार से अधिक बच्चों की मौत हो गई, लेकिन इसमें अभी तक कोई सुधार नहीं आया है और मौत का आंकड़ा हर साल बढ़ रहा है। यदि पांच वर्ष से अधिक आयु वर्ग के बच्चों का आंकड़ा देखेंगे तो उसकी भयावहता हर किसी को अचंभित कर सकती है। इसके अलावा पिछले दस सालों में इसी आयु वर्ग के बच्चों में प्रमुख दस बीमारियों से लगभग दस लाख बच्चों की मौत हो चुकी है। जिसमें एलआरआई से मरने वाले बच्चों की संख्या प्रमुख बीमारियों में दूसरे स्थान पर है। 

ग्लोबल बर्डन डिजीज 2017 की रिपोर्ट दर्शाती है कि शासन और प्रशासन की कथनी और करनी विपरीत है। सरकार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों से प्रदूषण को कम करने की बात तो कहती है। इसके लिए नियम भी बनाए जाते हैं, लेकिन इसका अनुपालन होता नहीं दिखता। मंत्री, नेता और अधिकारी ही नियमों को तक पर रखते हैं। तो वहीं जनता में भी पर्यावरण को संरक्षित करने के प्रति जागरुकता का अभाव है, लेकिन शायद जान की कीमत सभी का पता है। इसलिए अपने भविष्य और आने वाली पीढ़ी का सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण की हमें पहल करनी चाहिए। ताकि पृथ्वी के साथ ही इंसान का अस्तित्व भी बचा रहे। 

 

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Post By: Shivendra
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