जयजयराम आनंद का दोहा संग्रह ,बूँद बूँद आनंद ,कथ्य जल और उसके चारों ओर घूमता है जो लगभग ५५० दोहों में सिमटा बूँद बूँद आनंद है. इन दोहों में इतिहास, भूगोल, संस्कृति, ज्ञान विज्ञान भूगर्भ एवम् जल विज्ञान, सभ्यता का विकास, सृजन आदि का समावेश है. ग्यारह खंडों में पसरा जल का वर्णन मिलेगा :जल महिमा. जल संस्कृति, औषधीय जल, जल प्रवृति, जल प्रदूषण, जल संकट, जल नीति बनाम राजनीति, जल चेतना, जल संकट समाधान एवम् आशेष।
प्रकाशक: आनंद प्रकाशन प्रेम निकेतन, ए७/७०, ईमेल;अशोका सोसाएटी, अरेरा कालोनी, भोपाल [म प्र]४६२०१६।
जल महिमा
घर आए मेहमान का, पानी से सत्कार
पानी को पूंछे बिना, सब होगा बेकार
जहां कहीं भी जाईए, पहली होगी बात
पानी को पूंछे बिना, सब होगा बेकार
पानी में मिल जायेगा, किया धरा सत्कार
पानी यदि परसा नहीं, पानी -सा व्यावहार
बादल सूरज खेलते, आँख मिचौनी खेल
दुनिया दुबली हो रही, पढ़ पानी अभिलेख
एक बार भोजन मिले, पानी बारम्बार
थका पथिक पानी पिए, बढ़ जाती रफ्तार
पानी पानी हो गए, दुश्मन पानीदार
पानी परसा प्रेम से, किया सहज व्यवहार
मीठे पानी के बिना, नर नारी हैरान
प्यासे की पानी बिना, पलटे नहीं जबान
बूँद बूँद का मोल है, पानी है अनमोल
सागर सरिता ताल का, पानी के बल मोल
प्रकाशक: आनंद प्रकाशन प्रेम निकेतन, ए७/७०, ईमेल;अशोका सोसाएटी, अरेरा कालोनी, भोपाल [म प्र]४६२०१६।
जल महिमा
घर आए मेहमान का, पानी से सत्कार
पानी को पूंछे बिना, सब होगा बेकार
जहां कहीं भी जाईए, पहली होगी बात
पानी को पूंछे बिना, सब होगा बेकार
पानी में मिल जायेगा, किया धरा सत्कार
पानी यदि परसा नहीं, पानी -सा व्यावहार
बादल सूरज खेलते, आँख मिचौनी खेल
दुनिया दुबली हो रही, पढ़ पानी अभिलेख
एक बार भोजन मिले, पानी बारम्बार
थका पथिक पानी पिए, बढ़ जाती रफ्तार
पानी पानी हो गए, दुश्मन पानीदार
पानी परसा प्रेम से, किया सहज व्यवहार
मीठे पानी के बिना, नर नारी हैरान
प्यासे की पानी बिना, पलटे नहीं जबान
बूँद बूँद का मोल है, पानी है अनमोल
सागर सरिता ताल का, पानी के बल मोल
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