बुंदेलखंड में पीने के पानी के लिए हाहाकार

घटिया क्वालिटी की बेतरतीब बिछाई गई 90 किमी पाइप लाइन इस परियोजना में धांधली की पोल खोल रही है। इस योजना में छेद ही छेद नजर आ रहे हैं। आरटीआई सूचना के अनुसार वित्तीय वर्ष 2009-2010 में लोकल खरीद पर 49.38 लाख रुपया खर्चा किया गया।

महोबा, 3 मई। बुंदेलखंड क्षेत्र के सातों जिलों के लोगों-पशु-पक्षियों का हाल अब बेहाल हो रहा है। बांध, बड़े जलाशय, चन्देली तालाब, नदियां और कुएं अपनी क्षमता खो चुके हैं। पेयजल योजनाओं के नाम पर करोड़ों की रकम ठिकाने लगाने के बावजूद सभी योजनाएं अधूरी पड़ी हैं। हैंडपंपों और ट्यूबवेलों ने भी पानी देना कम कर दिया है। महोबा जिले में पांच बांधों का जल स्तर समाप्त हो गया है। भीषण संकट के पीछे सूखे के अलावा प्राचीन जलस्रोतों की अनदेखी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। जिन चन्देली तालाबों में लबालब पानी भरा रहता था उनको अतिक्रमण व कूड़ा भर कर समाप्त किया जा रहा है, सभी तालाबों की भूमि पर भवन निर्माण कर या खेती कर उनको जल विहीन किया जा रहा है।

महोबा पेयजल पुनर्गठन योजना, उरवारा ग्राम पेयजल योजना-अजनर ग्राम पेयजल योजना, बैन्दो ग्राम पेयजल योजना, तेइया ग्राम पेयजल योजना, महोबा नगर सुदृढ़ीकरण पेयजल योजना (कीरत सागर) एवं पुलिस लाइन्स सभी पेयजल योजनाएं निर्माण खंड (सिविल) उप्र जल निगम के हाथों में है, लेकिन विभागीय आंकड़ों के अनुसार लगभग सभी योजनाएं धनाभाव के कारण ठप्प पड़ी है।

अधिशासी अभियंता राजेश कुमार ने बताया कि बलखंडेश्वर पर्वत पर 3100 केएल, कीरत सागर के समीप 1700 केएल, बिन्ध्यवासिनी पर्वत पर 2000 केएल, मनियादेव पहाड़ पर 1750 केएल क्षमता के चार सीडब्लूआर ओवर हैंड टैंकों का निर्माण कराया गया। श्रीनगर में ट्रीटमैंट प्लांट 22 मीटर की ऊंचाई पर 200 केएल का बनाया गया है। इनके जरिए नगर महोबा को जल आपूर्ति की जाएगी। लेकिन बुंदेलखंड विकास फ्रंट के महामंत्री विश्वनाथ अवस्थी बताते हैं कि जल निगम के अधिकारियों का दावा खोखला है कि हम 30 अप्रैल तक पेयजल व्यवस्था दुरुस्त कर लेंगे। घटिया क्वालिटी की बेतरतीब बिछाई गई 90 किमी पाइप लाइन इस परियोजना में धांधली की पोल खोल रही है। इस योजना में छेद ही छेद नजर आ रहे हैं। आरटीआई सूचना के अनुसार वित्तीय वर्ष 2009-2010 में लोकल खरीद पर 49.38 लाख रुपया खर्चा किया गया।

उप्र. एवं मप्र. की सीमा पर बने बांधों से पानी चोरी की घटनाएं भी हो रही हैं। झांसी सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता (बेतवा) ने मुख्य अभियंता जल संसाधन सिंचाई विभाग लखनऊ को पारीक्षा-माताटीला-पहाड़ी-सपरार जामिनी-उर्मिल और बरुआ बांधों का जल मूल्य व रखरखाव का मध्य प्रदेश सरकार पर 27,48,71,000 रुपया बकाया है, सिंचाई कार्य मंडल बांदा ने रनगवां बांध, उर्मिल बांध- बरुआ नहर का जल मूल्य व रखरखाव का मध्य प्रदेश सरकार पर 24,11,01,000 बकाया है। कुल 51,59,72,000 रु. बकाया म.प्र. सरकार पर है। इसकी अदायगी पर सरकार चुप्पी साधे है और बांधों पर अपना हक जताकर पानी का जबरन उपयोग कर रहा है।

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